अंकगणित की आधारभूत प्रमेय: Difference between revisions

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[[Category:वास्तविक संख्याएँ]]
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अंकगणित गणित की मुख्य शाखाओं में से एक है।  जो संख्याओं और अक्षरों से संबंधित है, गणित की शुरुआत संख्याओं से होती है ।यह शाखा गणित का आधार है जिसके माध्यम से हम कठिन प्रश्नों को हल कर सकते हैं । दैनिक जीवन में अंकगणित का उपयोग करें जो जोड़, घटाव, गुणा ,भाग, अंश और दशमलव जैसे विभिन्न कार्यों से संबंधित है।  आइए अभाज्य और भाज्य संख्याओं को समझकर प्रमेय की शुरुआत करें।
अंकगणित गणित की मुख्य शाखाओं में से एक है, जो संख्याओं और अक्षरों से संबंधित है । यह  शाखा गणित का आधार है जिसके माध्यम से हम कठिन प्रश्नों को हल कर सकते हैं । दैनिक जीवन में अंकगणित का उपयोग जोड़, घटाव, गुणा ,भाग, अंश और दशमलव जैसे विभिन्न कार्यों मेहोता है। आइए इस इकाई की शुरुआत भाज्य और अभाज्य संख्याओं को समझ कर करते हैं।


=== अभाज्य और भाज्य संख्याएँ ===
== अभाज्य और भाज्य संख्याएँ ==


=== <u>अभाज्य संख्याएँ</u> ===


वे संख्याएँ जिनमें केवल दो गुणनखंड होते हैं अर्थात् एक और स्वयं एक संख्या, अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं


उदाहरण के लिए 3, 5, 7[[Category:गणित]][[Category:कक्षा-10]]
वे संख्याएँ जिनमें केवल दो गुणनखंड होते हैं अर्थात् एक (1) और वे स्वयं ( number itself) ,  वे संख्याएँ अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं ।
 
उदाहरण - 3, 5, 7,11 आदि ।
 
=== <u>भाज्य संख्याएँ</u> ===
 
 
वे संख्याएं  जिनमें  दो  से ज्यादा गुणनखंड होते हैं, वह संख्याएँ भाज्य संख्याएँ कहलाती  हैं ।
 
उदाहरण - 4,9,12,15 आदि ।
 
== अंकगणित की आधारभूत प्रमेय का कथन ==
 
 
"अंकगणित के मौलिक प्रमेय में कहा गया है कि 1 से बड़ा प्रत्येक पूर्णांक या तो एक अभाज्य संख्या ( prime number) है या इसे अभाज्य संख्या के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, सभी प्राकृत संख्याओं ( natural number) को उसके अभाज्य गुणनखंडों ( prime number) के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है । "
 
एक मिश्रित संख्या ( composite number) को अभाज्य संख्या ( prime number)  के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जाता है , इस प्रमेय से हम यह भी देख सकते हैं कि न केवल एक भाज्य संख्या को उनके अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में गुणनखंडित किया जा सकता है, बल्कि प्रत्येक भाज्य संख्या के लिए गुणनखंडन  विशिष्ट ( unique )  अर्थात अलग होता है।
 
सामान्यतः एक भाज्य संख्या "C" को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है, C = p<sub>1</sub> p<sub>2</sub> p<sub>3</sub> ………… p<sub>n</sub>,
 
जहां p<sub>1,</sub> p<sub>2,</sub> p<sub>3</sub>  ………… p<sub>n</sub> आरोही क्रम ( ascending order) में लिखे गए अभाज्य गुणनखंड ( prime factors) हैं , ( p1≤p2≤p3 ………… ≤  p<sub>n</sub>)
 
अभाज्य संख्याओं को आरोही क्रम में लिखने से गुणनखंडन प्रकृति में  विशिष्ट ( unique) हो जाता है।
 
हम किसी भी संख्या को विशिष्ट रूप से अभाज्य संख्याओं के गुणनफल में विघटित कर सकते हैं।
 
=== <u>उदाहरण</u> ===
1. संख्या 350   को उनके अभाज्य गुणनखंडो के रूप में व्यक्त कीजिए  ।
 
हल –  350 के अभाज्य गुणनखंड = 2*5*5*7  
 
2. संख्या 3045  को उनके अभाज्य गुणनखंडो के रूप में व्यक्त कीजिए ।
 
हल –  3045 के अभाज्य गुणनखंड = 3×5×7×29
 
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Revision as of 19:50, 28 August 2023

अंकगणित गणित की मुख्य शाखाओं में से एक है, जो संख्याओं और अक्षरों से संबंधित है । यह शाखा गणित का आधार है जिसके माध्यम से हम कठिन प्रश्नों को हल कर सकते हैं । दैनिक जीवन में अंकगणित का उपयोग जोड़, घटाव, गुणा ,भाग, अंश और दशमलव जैसे विभिन्न कार्यों मेहोता है। आइए इस इकाई की शुरुआत भाज्य और अभाज्य संख्याओं को समझ कर करते हैं।

अभाज्य और भाज्य संख्याएँ

अभाज्य संख्याएँ

वे संख्याएँ जिनमें केवल दो गुणनखंड होते हैं अर्थात् एक (1) और वे स्वयं ( number itself) , वे संख्याएँ अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं ।

उदाहरण - 3, 5, 7,11 आदि ।

भाज्य संख्याएँ

वे संख्याएं जिनमें दो से ज्यादा गुणनखंड होते हैं, वह संख्याएँ भाज्य संख्याएँ कहलाती हैं ।

उदाहरण - 4,9,12,15 आदि ।

अंकगणित की आधारभूत प्रमेय का कथन

"अंकगणित के मौलिक प्रमेय में कहा गया है कि 1 से बड़ा प्रत्येक पूर्णांक या तो एक अभाज्य संख्या ( prime number) है या इसे अभाज्य संख्या के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, सभी प्राकृत संख्याओं ( natural number) को उसके अभाज्य गुणनखंडों ( prime number) के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है । "

एक मिश्रित संख्या ( composite number) को अभाज्य संख्या ( prime number) के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जाता है , इस प्रमेय से हम यह भी देख सकते हैं कि न केवल एक भाज्य संख्या को उनके अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में गुणनखंडित किया जा सकता है, बल्कि प्रत्येक भाज्य संख्या के लिए गुणनखंडन विशिष्ट ( unique ) अर्थात अलग होता है।

सामान्यतः एक भाज्य संख्या "C" को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है, C = p1 p2 p3 ………… pn,

जहां p1, p2, p3 ………… pn आरोही क्रम ( ascending order) में लिखे गए अभाज्य गुणनखंड ( prime factors) हैं , ( p1≤p2≤p3 ………… ≤ pn)

अभाज्य संख्याओं को आरोही क्रम में लिखने से गुणनखंडन प्रकृति में विशिष्ट ( unique) हो जाता है।

हम किसी भी संख्या को विशिष्ट रूप से अभाज्य संख्याओं के गुणनफल में विघटित कर सकते हैं।

उदाहरण

1. संख्या 350  को उनके अभाज्य गुणनखंडो के रूप में व्यक्त कीजिए ।

हल – 350 के अभाज्य गुणनखंड = 2*5*5*7

2. संख्या 3045  को उनके अभाज्य गुणनखंडो के रूप में व्यक्त कीजिए ।

हल – 3045 के अभाज्य गुणनखंड = 3×5×7×29