वायुमंडलीय प्रदूषण: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

(ADDED CONTENT RELATED atmospheric pollution)
mNo edit summary
Line 2: Line 2:
'''वायुमंडलीय प्रदूषण'''
'''वायुमंडलीय प्रदूषण'''


हम पृथ्वी की सतह पर, जीवमंडल में रहते हैं।  वातावरण वह आवरण है जो हमें चारों ओर से ढक लेता है।
हम पृथ्वी की सतह पर, जीवमंडल में रहते हैं  और वातावरण वह आवरण है जो हमें चारों ओर से ढक लेता है।


जब अवांछित पदार्थ (प्रदूषक कारक) वातावरण में प्रवेश कर प्राकृतिक संसाधनों के सामान्य अनुपात को खराब करते हैं और पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं, तो उसे '''वायुमंडलीय प्रदूषण''' कहा जाता है।
जब अवांछित पदार्थ (प्रदूषक कारक) वातावरण में प्रवेश कर प्राकृतिक संसाधनों के सामान्य अनुपात को खराब करते हैं और पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं, तो उसे '''वायुमंडलीय प्रदूषण''' कहा जाता है।

Revision as of 15:02, 31 August 2023

वायुमंडलीय प्रदूषण

हम पृथ्वी की सतह पर, जीवमंडल में रहते हैं  और वातावरण वह आवरण है जो हमें चारों ओर से ढक लेता है।

जब अवांछित पदार्थ (प्रदूषक कारक) वातावरण में प्रवेश कर प्राकृतिक संसाधनों के सामान्य अनुपात को खराब करते हैं और पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं, तो उसे वायुमंडलीय प्रदूषण कहा जाता है।

वायुमंडल कई परतों से बना है। ये परतें क्षोभमंडल, समतापमंडल, मध्यमंडल और थर्मोस्फीयर हैं।  इन्हें उनके तापमान के आधार पर विभाजित किया गया है। सबसे बाहरी परत थर्मोस्फीयर में उच्चतम तापमान होता है।

प्रदूषक कारक

हमारा पारिस्थितिकी तंत्र जैविक और अजैविक घटकों से बना है।  यह हमारे संसाधनों को चक्रीय श्रृंखला प्रणाली से निरंतर जारी रखता है।  यदि यह श्रृंखला किसी कारण से बाधित होती है।  तब उस कारक को प्रदूषक कारक कहा जाता है,

प्रदूषकों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है

ठोस प्रदूषक- धुएँ के कण, धूल, धुंध और रेत के कण।

तरल प्रदूषक- विषैले यौगिकों का एयरोसोल, कार्बोनिक एसिड के साथ नमी।

गैसी य प्रदूषक- CO, CO2, NOx, SO2, हैलोजेनेटेड हाइड्रोकार्बन, छोटे संतृप्त हाइड्रोकार्बन।

प्राकृतिक संसाधनों का संतुलन

हमारे प्राकृतिक संसाधन विशेष अनुपात में हैं।  यदि यह अनुपात बिगड़ जाए तो समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं।

उदाहरण के लिए

  • हम श्वसन के दौरान हवा से ऑक्सीजन लेते हैं, जो हृदय के माध्यम से हमारे रक्त प्रवाह को ऑक्सीजनित करती है और पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ती है।

पौधे उस कार्बन डाइऑक्साइड का उपभोग करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं और यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।  लेकिन जब प्रदूषण, वनों की कटाई के कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता बढ़ जाती है।

तब इससे समस्याएं पैदा होने लगती हैं जैसे कार्बोनिक एसिड द्वारा अम्लीय वर्षा ।

  • हमें जीने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।  यह हमें हानिकारक पराबैंगनी सौर विकिरण से भी बचाता है।  क्योंकि यह समतापमंडलीय क्षेत्र में एकत्रित होकर ओजोन का निर्माण करता है।  हमारे वायुमंडल में ओजोन का उच्च होना एक अच्छी बात है।

लेकिन, जब ओजोन जमीन के करीब होता है, तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए वास्तव में खराब हो सकता है।  जमीनी स्तर पर ओजोन फोटोकैमिकल स्मॉग बनाता है। जिससे  ह्रदय संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।

निस्कर्ष

तो कुल मिलाकर हमने यह सीखा कि वातावरण में हर चीज़ उचित मात्रा  और उचित अनुपात में होनी चाहिए।  वे सभी वस्तुएँ जिनकी आवश्यकता नहीं है, अवांछनीय हैं, प्रदूषक हैं।