वायु प्रदूषण: Difference between revisions
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* अम्लीय वर्षा - नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें जब वर्षा के साथ मिलती हैं और अम्लीय वर्षा बनाती हैं, जो मनुष्यों, जानवरों, परिदृश्यों और पौधों को नुकसान पहुँचाती हैं। | * अम्लीय वर्षा - नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें जब वर्षा के साथ मिलती हैं और अम्लीय वर्षा बनाती हैं, जो मनुष्यों, जानवरों, परिदृश्यों और पौधों को नुकसान पहुँचाती हैं। | ||
* सुपोषण (eutrophication) - सुपोषण की प्रक्रिया में जलाशय में पौधों तथा शैवाल ( algae) की अत्यधिक वृद्धि होती है। जल में बायोमास की उपस्थिति के कारण उस जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। | * सुपोषण (eutrophication) - सुपोषण की प्रक्रिया में जलाशय में पौधों तथा शैवाल ( algae) की अत्यधिक वृद्धि होती है। जल में बायोमास की उपस्थिति के कारण उस जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। | ||
* ओजोन परत रिक्तीकरण - घटती ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोक नहीं पाती है और यह आसानी से पृथ्वी तक पहुंच जाती है जिससे लोगों में त्वचा रोग और आंखों की समस्याएं होती हैं। |
Revision as of 10:42, 6 September 2023
वायु प्रदूषण को किसी भी रासायनिक, भौतिक या जैविक एजेंट द्वारा पर्यावरण के प्रदूषण के रूप में परिभाषित किया गया है जो वायुमंडल की प्राकृतिक विशेषताओं को संशोधित करता है।वायु प्रदूषण वायुमंडल में हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति के कारण होने वाला दूषितकरण है जो मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है।
वायु प्रदूषण के कारण
- जीवाश्म ईंधन का जलना - अधिकांश वायु प्रदूषण जीवाश्म ईंधन के अधूरे जलने के कारण होता है। इन ईंधनों में मुख्य रूप से कोयला, तेल और गैसोलीन शामिल हैं। दहन से उच्च स्तर पर CO निकलती है। इससे हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे अन्य जहरीले प्रदूषक भी उत्सर्जित होते हैं।
- औद्योगिक उत्सर्जन - कोयले और लकड़ी का उपयोग उद्योगों में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10, NO2, SO2 और CO प्रमुख प्रदूषक हैं जो कोयले और लकड़ी का उपयोग करने वाले उद्योगों से उत्सर्जित होते हैं।
- जंगल की आग - पराली और खेत के अवशेष जलाने से जंगल की आग में योगदान होता है। इससे हवा में PM2.5 बढ़ जाता है। इससे आगे चलकर स्मॉग बनता है।
- कृषि गतिविधियाँ - कृषि गतिविधियों के दौरान अमोनिया उत्सर्जित होता है। इसके अलावा, कीटनाशक, कीटनाशक और उर्वरक वातावरण में हानिकारक रसायनों का उत्सर्जन करते हैं जो इसे प्रदूषित करते हैं।
- खनन कार्य - खनन प्रक्रिया से धूल और रसायन-आधारित वायु प्रदूषक निकलते हैं।
- लैंडफिल अपशिष्ट - लैंडफिल मीथेन उत्पन्न करता है, जो अत्यधिक ज्वलनशील और बहुत खतरनाक है।
- उद्योग और कारखाने का उत्सर्जन - ये हवा में हाइड्रोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बनिक यौगिक और अन्य रसायन छोड़ते हैं।
वायु प्रदूषण के प्रभाव
- सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याएँ - वायु प्रदूषण अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, वातस्फीति, दिल के दौरे, स्ट्रोक और कैंसर सहित कई श्वसन और हृदय समस्याओं का कारण बनता है।
- वन्यजीवों को नुकसान - जीवों के आवास का विनाश और जीवों के आवास का दूषित होना वायु प्रदूषण का परिणाम है।
- ग्लोबल वार्मिंग - ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से तापमान में वृद्धि हो रही है।
- अम्लीय वर्षा - नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें जब वर्षा के साथ मिलती हैं और अम्लीय वर्षा बनाती हैं, जो मनुष्यों, जानवरों, परिदृश्यों और पौधों को नुकसान पहुँचाती हैं।
- सुपोषण (eutrophication) - सुपोषण की प्रक्रिया में जलाशय में पौधों तथा शैवाल ( algae) की अत्यधिक वृद्धि होती है। जल में बायोमास की उपस्थिति के कारण उस जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है।
- ओजोन परत रिक्तीकरण - घटती ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोक नहीं पाती है और यह आसानी से पृथ्वी तक पहुंच जाती है जिससे लोगों में त्वचा रोग और आंखों की समस्याएं होती हैं।