परागकोश: Difference between revisions
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पुंकेसर के शीर्ष पर स्थित पुष्प का वह भाग जहाँ परागकोश उत्पन्न होते हैं परागकोश कहलाता हैI | |||
परागकोष द्विपालीय होता है जिसका अर्थ है कि इसमें दो पालियाँ होती हैं। परागकोष के प्रत्येक लोब में दो थेका होते हैं इसलिए हम इसे डाइथेकस कहते हैं। परागकोश में नर युग्मक होते हैं जिन्हें परागकण कहते हैं । प्रत्येक पालि के कोनों में दो थैली जैसी संरचना मौजूद होती है जिसमें परागकण परिपक्व होते हैं। इन थैलीनुमा संरचनाओं को माइक्रोस्पोरंगिया कहा जाता है। | परागकोष द्विपालीय होता है जिसका अर्थ है कि इसमें दो पालियाँ होती हैं। परागकोष के प्रत्येक लोब में दो थेका होते हैं इसलिए हम इसे डाइथेकस कहते हैं। परागकोश में नर युग्मक होते हैं जिन्हें परागकण कहते हैं । प्रत्येक पालि के कोनों में दो थैली जैसी संरचना मौजूद होती है जिसमें परागकण परिपक्व होते हैं। इन थैलीनुमा संरचनाओं को माइक्रोस्पोरंगिया कहा जाता है। |
Revision as of 19:22, 8 September 2023
पुंकेसर के शीर्ष पर स्थित पुष्प का वह भाग जहाँ परागकोश उत्पन्न होते हैं परागकोश कहलाता हैI
परागकोष द्विपालीय होता है जिसका अर्थ है कि इसमें दो पालियाँ होती हैं। परागकोष के प्रत्येक लोब में दो थेका होते हैं इसलिए हम इसे डाइथेकस कहते हैं। परागकोश में नर युग्मक होते हैं जिन्हें परागकण कहते हैं । प्रत्येक पालि के कोनों में दो थैली जैसी संरचना मौजूद होती है जिसमें परागकण परिपक्व होते हैं। इन थैलीनुमा संरचनाओं को माइक्रोस्पोरंगिया कहा जाता है।