पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन: Difference between revisions

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== परिचय ==
क्या आप सभी इस बात से अश्चर्यचकित नहीं होते कि पुष्प भी लैंगिक जनन करते हैं। कोई भी पुष्प जो आप देखते हैं, उसकी सुगंध, उसका रंग एवम उसका आकार यह सभी लैंगिक जनन में सहायक होते हैं। परन्तु प्रश्न ये है कि क्या सभी पादपों में पुष्प होते हैं? यह ज्ञात है कि केवल आवृतबीजी पौधों में ही फूल होते हैं। और सभी पुष्पो में लैंगिक जनन पाया जाता है। इस अध्याय में हम सभी, पुष्प की आकृति, संरचना और लैंगिक जनन की प्रक्रिया को समझेंगे। परंतु सबसे पहले आप सभी दो ऐसे पुष्पो के नाम बताएं जो कि हमारे घरो में सांस्कृतिक उत्सव में उपयोग होते हैं I
क्या आप सभी इस बात से अश्चर्यचकित नहीं होते कि पुष्प भी लैंगिक जनन करते हैं। कोई भी पुष्प जो आप देखते हैं, उसकी सुगंध, उसका रंग एवम उसका आकार यह सभी लैंगिक जनन में सहायक होते हैं।
 
परन्तु प्रश्न ये है कि क्या सभी पादपों में पुष्प होते हैं? यह ज्ञात है कि केवल आवृतबीजी पौधों में ही फूल होते हैं। और सभी पुष्पो में लैंगिक जनन पाया जाता है।
 
इस अध्याय में हम सभी, पुष्प की आकृति, संरचना और लैंगिक जनन की प्रक्रिया को समझेंगे। परंतु सबसे पहले आप सभी दो ऐसे पुष्पो के नाम बताएं जो कि हमारे घरो में सांस्कृतिक उत्सव में उपयोग होते हैं I


== पुष्प ==
== पुष्प ==
[[File:पुष्प.jpg|thumb|एक फूल का आरेखीय प्रतिनिधित्व. (एल.एस.)]]
[[File:पुष्प.jpg|thumb|एक फूल का आरेखीय प्रतिनिधित्व. (एल.एस.)]]
फूलों को लंबे समय से मनुष्यों द्वारा उनकी सुंदरता और सुखद सुगंध के लिए सराहा गया हैI ये धार्मिक अनुष्ठानो मे सांस्कृतिक महत्व भी रखते हैंI ये दवा और भोजन के स्रोत के रूप में भी उपयोग में लाए जाते हैं ।आवृतबीजी में पुष्प लैंगिक जनन की इकाई है। फूलों द्वारा नर और मादा युग्मक के उत्पादन और नर युग्मक द्वारा मादा युग्मक के निषेचन से, वे पौधों की नई पीढ़ी की उत्पत्ति सुनिश्चित करते हैं। अब हम फूल की संरचना का विस्तार से अध्ययन करें।  
फूलों को लंबे समय से मनुष्यों द्वारा उनकी सुंदरता और सुखद सुगंध के लिए सराहा गया है I ये धार्मिक अनुष्ठानो मे सांस्कृतिक महत्व भी रखते हैं I ये दवा और भोजन के स्रोत के रूप में भी उपयोग में लाए जाते हैं।आवृतबीजी में पुष्प लैंगिक जनन की इकाई है। फूलों द्वारा नर और मादा युग्मक के उत्पादन और नर युग्मक द्वारा मादा युग्मक के निषेचन से, वे पौधों की नई पीढ़ी की उत्पत्ति सुनिश्चित करते हैं। अब हम फूल की संरचना का विस्तार से अध्ययन करें।  


=== पुष्प के भाग ===
=== पुष्प के भाग ===
पुष्प की संरचना का अध्ययन दो भागों में किया जा सकता है: वनस्पति भाग, जिनमें कर्णिका और दलपुंज आते हैं और जनन भाग, जिनमें पुंकेसर और जायांग आते हैं I एक फूल में चार विभिन प्रकार के पुष्प चक्र होते हैं, सभी क्रमिक रूप से थैलेमस पर व्यवस्थित होते हैं। इनमें से कार्णिका और दलपुंज (वनस्पति भागों का निर्माण करते हैं) एवं पुंकेसर और जायांग (जनन भागों का निर्माण करते हैं) ये सभी क्रमिक रूप से थैलेमस पर व्यवस्थित होते हैं। आइए विस्तार से अध्ययन करें-
पुष्प की संरचना का अध्ययन दो भागों में किया जा सकता है: वनस्पति भाग, जिनमें कर्णिका और दलपुंज आते हैं और जनन भाग, जिनमें पुंकेसर और जायांग आते हैं I एक फूल में चार विभिन प्रकार के पुष्प चक्र होते हैं, सभी क्रमिक रूप से थैलेमस पर व्यवस्थित होते हैं। इनमें से कार्णिका और दलपुंज (वनस्पति भागों का निर्माण करते हैं) एवं पुंकेसर और जायांग (जनन भागों का निर्माण करते हैं) ये सभी क्रमिक रूप से थैलेमस पर व्यवस्थित होते हैं। आइए विस्तार से अध्ययन करें-
* '''कर्णिका'''- फूल के सबसे बाहरी घेरे को कर्णिका कहा जाता है। कर्णिका की एकाई को बाह्यदलपुंज कहा जाता है। यह पुष्प का सबसे नीचे एवं बाहर का भाग है। इसमें पत्तियों के समान हरे रंग के कई बाह्य दल या अंखुड़ी पाए जाते हैं। ये कलियों को सुरक्षित रखता है।
* '''कर्णिका''' फूल के सबसे बाहरी घेरे को कर्णिका कहा जाता है। कर्णिका की एकाई को बाह्यदलपुंज कहा जाता है। यह पुष्प का सबसे नीचे एवं बाहर का भाग है। इसमें पत्तियों के समान हरे रंग के कई बाह्य दल या अंखुड़ी पाए जाते हैं। ये कलियों को सुरक्षित रखता है।


* '''दलपुंज'''- दलपुंज पुष्प का दूसरा घेरा होता है। ये रंग बिरंगी पंखुड़ियों से बना होता है। इनका मुख्य कार्य कीड़ों को लैंगिक जनन के लिए आकर्षित करना होता है।
* '''दलपुंज''' दलपुंज पुष्प का दूसरा घेरा होता है। ये रंग बिरंगी पंखुड़ियों से बना होता है। इनका मुख्य कार्य कीड़ों को लैंगिक जनन के लिए आकर्षित करना होता है।


* '''पुमंग-''' पुमंग की इकाई पुंकेसर है जो की पुष्प का नर अंग हैI पुंकेसर परागकण उत्पन्न करते है। इसके दो भाग होते हैं परागकोष और डंठल। डंठल लंबा,पतला रेशे नुमा होता है और पुंकेसर को फूल से जोड़ने में मदद करता है। जबकि परागकोष एक टर्मिनल, द्विपालीय संरचना है जिस में परागकण उत्पन्न होता है I
* '''पुमंग''' पुमंग की इकाई पुंकेसर है जो की पुष्प का नर अंग हैI पुंकेसर परागकण उत्पन्न करते है। इसके दो भाग होते हैं परागकोष और डंठल। डंठल लंबा,पतला रेशे नुमा होता है और पुंकेसर को फूल से जोड़ने में मदद करता है। जबकि परागकोष एक टर्मिनल, द्विपालीय संरचना है जिस में परागकण उत्पन्न होता है I


* '''जायांग'''- पुष्प का मादा अंग है जो बीजाणु का निर्माण करता है I ये फूल का सबसे भीतरी घेरा है जिसमें एक या एक से अधिक स्त्रीकेसर होते हैं। प्रत्येक स्त्रीकेसर के तीन भाग होते हैं- कलंक, शैली और अंडाशयI  
* '''जायांग'''- पुष्प का मादा अंग है जो बीजाणु का निर्माण करता है I ये फूल का सबसे भीतरी घेरा है जिसमें एक या एक से अधिक स्त्रीकेसर होते हैं। प्रत्येक स्त्रीकेसर के तीन भाग होते हैं- कलंक, शैली और अंडाशयI  
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==== समरूपता के आधार पर वर्गीकरण: ====
==== समरूपता के आधार पर वर्गीकरण: ====


* '''असममित पुष्प''': एक पुष्प असममित होता है यदि इस के बीच से गुजरने वाली किसी भी ऊर्ध्वाधर विमान द्वारा दो समान हिस्सों में विभाजित नहीं किया जा सकता है, जैसा कि '''''Canna''''' के पुष्प  में पया जाता है।
* '''असममित पुष्प''': एक पुष्प असममित होता है यदि इस के बीच से गुजरने वाली किसी भी ऊर्ध्वाधर लाइन द्वारा दो समान हिस्सों में विभाजित नहीं किया जा सकता है, जैसा कि '''''Canna''''' के पुष्प  में पया जाता है।


* '''एक्टिनोमोर्फिक पुष्प:''' जब एक पुष्प को केंद्र से गुजरने वाले किसी भी रेडियल विमान में दो बराबर रेडियल हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है, तो इसे एक्टिनोमोर्फिक पुष्प कहा जाता है। उदाहरण: सरसों, धतूरा और मिर्च।
* '''एक्टिनोमोर्फिक पुष्प:''' जब एक पुष्प को केंद्र से गुजरने वाले किसी भी रेडियल लाइन में दो बराबर रेडियल हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है, तो इसे एक्टिनोमोर्फिक पुष्प कहा जाता है। उदाहरण: सरसों, धतूरा और मिर्च।


* '''जाइगोमॉर्फिक पुष्प:'''  जब एक पुष्प को केवल एक विशेष ऊर्ध्वाधर तल में दो समान हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है तो इसे जाइगोमोर्फिक पुष्प कहा जाता है। उदाहरण: मटर, गुलमोहर, सेम।
* '''जाइगोमॉर्फिक पुष्प:'''  जब एक पुष्प को केवल एक विशेष ऊर्ध्वाधर तल में दो समान हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है तो इसे जाइगोमोर्फिक पुष्प कहा जाता है। उदाहरण: मटर, गुलमोहर, सेम।


== लैंगिक जनन ==
== लैंगिक जनन ==
पुष्प की संरचना समझने के बाद हम उनमें लैंगिक जनन की प्रक्रिया को भी समझते हैं I पुष्पो द्वारा अपनी जनन कोशिकाओं या युग्मकों का प्रयोग कर नए पौधे को जन्म देने की प्रक्रिया को 'लैंगिक जनन' कहते है| नर और मादा युग्मक क्रमशः नर और मादा युग्मक द्वारा निर्मित होते हैं। लैंगिक जनन में नर युग्मक मादा युग्मक को निषेचित करता है और परिणामस्वरूप भ्रूण का निर्माण होता है। यह भ्रूण नये पौधे को जन्म देता है (जब परिस्थितियाँ अनुकूल हों)।  
पुष्प की संरचना समझने के बाद हम उनमें लैंगिक जनन की प्रक्रिया को भी समझते हैं I पुष्पो द्वारा अपनी जनन कोशिकाओं या युग्मकों का प्रयोग कर नए पौधे को जन्म देने की प्रक्रिया को 'लैंगिक जनन' कहते है| नर और मादा युग्मक क्रमशः नर और मादा युग्मक द्वारा निर्मित होते हैं। लैंगिक जनन में नर युग्मक मादा युग्मक को निषेचित करता है और परिणामस्वरूप भ्रूण का निर्माण होता है। यह भ्रूण नये पौधे को जन्म देता है (जब परिस्थितियाँ अनुकूल हों)।
 
आगे आने वाले अध्यायों में पुष्प में लैंगिक जनन की प्रक्रिया और प्रयोग में आने वाली संरचनाओं को विस्तार से पढ़ेंगे।

Revision as of 11:13, 11 September 2023

क्या आप सभी इस बात से अश्चर्यचकित नहीं होते कि पुष्प भी लैंगिक जनन करते हैं। कोई भी पुष्प जो आप देखते हैं, उसकी सुगंध, उसका रंग एवम उसका आकार यह सभी लैंगिक जनन में सहायक होते हैं। परन्तु प्रश्न ये है कि क्या सभी पादपों में पुष्प होते हैं? यह ज्ञात है कि केवल आवृतबीजी पौधों में ही फूल होते हैं। और सभी पुष्पो में लैंगिक जनन पाया जाता है। इस अध्याय में हम सभी, पुष्प की आकृति, संरचना और लैंगिक जनन की प्रक्रिया को समझेंगे। परंतु सबसे पहले आप सभी दो ऐसे पुष्पो के नाम बताएं जो कि हमारे घरो में सांस्कृतिक उत्सव में उपयोग होते हैं I

पुष्प

एक फूल का आरेखीय प्रतिनिधित्व. (एल.एस.)

फूलों को लंबे समय से मनुष्यों द्वारा उनकी सुंदरता और सुखद सुगंध के लिए सराहा गया है I ये धार्मिक अनुष्ठानो मे सांस्कृतिक महत्व भी रखते हैं I ये दवा और भोजन के स्रोत के रूप में भी उपयोग में लाए जाते हैं।आवृतबीजी में पुष्प लैंगिक जनन की इकाई है। फूलों द्वारा नर और मादा युग्मक के उत्पादन और नर युग्मक द्वारा मादा युग्मक के निषेचन से, वे पौधों की नई पीढ़ी की उत्पत्ति सुनिश्चित करते हैं। अब हम फूल की संरचना का विस्तार से अध्ययन करें।

पुष्प के भाग

पुष्प की संरचना का अध्ययन दो भागों में किया जा सकता है: वनस्पति भाग, जिनमें कर्णिका और दलपुंज आते हैं और जनन भाग, जिनमें पुंकेसर और जायांग आते हैं I एक फूल में चार विभिन प्रकार के पुष्प चक्र होते हैं, सभी क्रमिक रूप से थैलेमस पर व्यवस्थित होते हैं। इनमें से कार्णिका और दलपुंज (वनस्पति भागों का निर्माण करते हैं) एवं पुंकेसर और जायांग (जनन भागों का निर्माण करते हैं) ये सभी क्रमिक रूप से थैलेमस पर व्यवस्थित होते हैं। आइए विस्तार से अध्ययन करें-

  • कर्णिका फूल के सबसे बाहरी घेरे को कर्णिका कहा जाता है। कर्णिका की एकाई को बाह्यदलपुंज कहा जाता है। यह पुष्प का सबसे नीचे एवं बाहर का भाग है। इसमें पत्तियों के समान हरे रंग के कई बाह्य दल या अंखुड़ी पाए जाते हैं। ये कलियों को सुरक्षित रखता है।
  • दलपुंज दलपुंज पुष्प का दूसरा घेरा होता है। ये रंग बिरंगी पंखुड़ियों से बना होता है। इनका मुख्य कार्य कीड़ों को लैंगिक जनन के लिए आकर्षित करना होता है।
  • पुमंग पुमंग की इकाई पुंकेसर है जो की पुष्प का नर अंग हैI पुंकेसर परागकण उत्पन्न करते है। इसके दो भाग होते हैं परागकोष और डंठल। डंठल लंबा,पतला रेशे नुमा होता है और पुंकेसर को फूल से जोड़ने में मदद करता है। जबकि परागकोष एक टर्मिनल, द्विपालीय संरचना है जिस में परागकण उत्पन्न होता है I
  • जायांग- पुष्प का मादा अंग है जो बीजाणु का निर्माण करता है I ये फूल का सबसे भीतरी घेरा है जिसमें एक या एक से अधिक स्त्रीकेसर होते हैं। प्रत्येक स्त्रीकेसर के तीन भाग होते हैं- कलंक, शैली और अंडाशयI

हम सभी इसके बारे में आगे के अध्याय में विस्तार से पढ़ेंगे।

पुष्प के प्रकार

पुष्पो को कई प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है जिसकी सहायता से हम उनका अध्ययन कर सकते हैं। हम यहां पुष्पो के वर्गीकरण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दो महत्वपूर्ण तरीकों पर चर्चा करेंगे।

पुष्पो में पुंकेसर और स्त्रीकेसर की उपस्थिति के आधार पर वर्गीकरण:

  • एकलिंगी पुष्प: एकलिंगी पुष्प में या तो पुंकेसर या स्त्रीकेसर होता है। नारियल, पपीता, तरबूज़, ककड़ी इसके कुछ उदाहरण हैं।
  • उभयलिंगी पुष्प: जब किसी पुष्प में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों होते हैं तो उसे उभयलिंगी पुष्प कहा जाता है। गुलाब, लिली, सरसों, टमाटर, बैंगन, आम इसके कुछ उदाहरण हैं।

समरूपता के आधार पर वर्गीकरण:

  • असममित पुष्प: एक पुष्प असममित होता है यदि इस के बीच से गुजरने वाली किसी भी ऊर्ध्वाधर लाइन द्वारा दो समान हिस्सों में विभाजित नहीं किया जा सकता है, जैसा कि Canna के पुष्प में पया जाता है।
  • एक्टिनोमोर्फिक पुष्प: जब एक पुष्प को केंद्र से गुजरने वाले किसी भी रेडियल लाइन में दो बराबर रेडियल हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है, तो इसे एक्टिनोमोर्फिक पुष्प कहा जाता है। उदाहरण: सरसों, धतूरा और मिर्च।
  • जाइगोमॉर्फिक पुष्प: जब एक पुष्प को केवल एक विशेष ऊर्ध्वाधर तल में दो समान हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है तो इसे जाइगोमोर्फिक पुष्प कहा जाता है। उदाहरण: मटर, गुलमोहर, सेम।

लैंगिक जनन

पुष्प की संरचना समझने के बाद हम उनमें लैंगिक जनन की प्रक्रिया को भी समझते हैं I पुष्पो द्वारा अपनी जनन कोशिकाओं या युग्मकों का प्रयोग कर नए पौधे को जन्म देने की प्रक्रिया को 'लैंगिक जनन' कहते है| नर और मादा युग्मक क्रमशः नर और मादा युग्मक द्वारा निर्मित होते हैं। लैंगिक जनन में नर युग्मक मादा युग्मक को निषेचित करता है और परिणामस्वरूप भ्रूण का निर्माण होता है। यह भ्रूण नये पौधे को जन्म देता है (जब परिस्थितियाँ अनुकूल हों)।