लघुबीजाणुजनन: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

mNo edit summary
No edit summary
Line 2: Line 2:
[[Category:कक्षा-12]]
[[Category:कक्षा-12]]
[[Category:जीव विज्ञान]]
[[Category:जीव विज्ञान]]
 
सभी आवृतबीजी पौधों में पुष्प होते हैं जिन्हें लैंगिक जनन की इकाई माना जाता है। पुष्प में नर एवम मादा भाग दोनों ही होते हैं। पुष्प के नर भाग को [[पुंकेसर]] कहा जाता है। पुंकेसर के [[परागकोश]] में [[लघुबीजाणुधानी]] नामक एक संरचना होती है जिसके मध्य में बीजाणुजन ऊतक होता है जो नर युग्मकोद्भिद या पराग कणों का उत्पादन करता  है।
== परिचय ==
सभी आवृतबीजी पौधों में पुष्प होते हैं जिन्हें लैंगिक जनन की इकाई माना जाता है। पुष्प में नर एवम मादा भाग दोनों ही होते हैं। पुष्प के नर भाग को [[पुंकेसर]] कहा जाता है। पुंकेसर के [[परागकोश]] में [[लघुबीजाणुधानी]] नामक एक संरचना होती है जिसके मध्य में बीजाणुजन ऊतक होता है जो नर युग्मकोद्भिद या पराग कणों का उत्पादन करता  है।


परंतु यह बीजाणुजन ऊतक परागकणों के उत्पादन के लिए किस प्रकार उत्तरदायी है? परागकणों के उत्पादन के लिए यह कौन सी प्रक्रिया अपनाता है? इन सभी प्रश्नो के उत्तर हम इस अध्याय में विस्तार से पढ़ेंगे।  
परंतु यह बीजाणुजन ऊतक परागकणों के उत्पादन के लिए किस प्रकार उत्तरदायी है? परागकणों के उत्पादन के लिए यह कौन सी प्रक्रिया अपनाता है? इन सभी प्रश्नो के उत्तर हम इस अध्याय में विस्तार से पढ़ेंगे।  
Line 14: Line 12:
हम सब जानते हैं कि बीजाणुजन ऊतक सघन रूप से व्यवस्थित समरूप कोशिकाओं का एक समूह हैI जैसे ही परागकोश विकसित होता है, बीजाणुजन कोशिका का भी विकास होता हैI हम अब इन बदलावों को विस्तार से समझेंगेI
हम सब जानते हैं कि बीजाणुजन ऊतक सघन रूप से व्यवस्थित समरूप कोशिकाओं का एक समूह हैI जैसे ही परागकोश विकसित होता है, बीजाणुजन कोशिका का भी विकास होता हैI हम अब इन बदलावों को विस्तार से समझेंगेI


=== लघुबीजाणु मातृ कोशिका: ===
=== लघुबीजाणु मातृ कोशिका ===
बीजाणुजन ऊतक की प्रत्येक वह कोशिका जो लघुबीजाणु चतुष्क बनाती है, पराग मातृ कोशिका या लघुबीजाणु मातृ कोशिका कहलाई जाती है।
बीजाणुजन ऊतक की प्रत्येक वह कोशिका जो लघुबीजाणु चतुष्क बनाती है, पराग मातृ कोशिका या लघुबीजाणु मातृ कोशिका कहलाई जाती है।


=== लघुबीजाणु चतुष्क: ===
=== लघुबीजाणु चतुष्क ===
बीजाणुजन ऊतक की कुछ कोशिकाएं अर्धसूत्रीविभाजित होकर लघुबीजाणु चतुष्क बनाती हैं। लघुबीजाणु, जैसे ही बनते हैं, चार कोशिकाओं के समूह में व्यवस्थित होते हैं जिन्हें लघुबीजाणु चतुष्क कहा जाता है।  
बीजाणुजन ऊतक की कुछ कोशिकाएं अर्धसूत्रीविभाजित होकर लघुबीजाणु चतुष्क बनाती हैं। लघुबीजाणु, जैसे ही बनते हैं, चार कोशिकाओं के समूह में व्यवस्थित होते हैं जिन्हें लघुबीजाणु चतुष्क कहा जाता है।  


Line 26: Line 24:
जैसे-जैसे  परागकोश परिपक्व होता है और निर्जलित होता है, सूक्ष्मबीजाणु एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं और परागकणों में विकसित होते हैं। प्रत्येक लघुबीजाणुधानी के अंदर कई हजार परागकण बनते हैं जो परागकोश के स्फुटन के साथ निकलते हैं।
जैसे-जैसे  परागकोश परिपक्व होता है और निर्जलित होता है, सूक्ष्मबीजाणु एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं और परागकणों में विकसित होते हैं। प्रत्येक लघुबीजाणुधानी के अंदर कई हजार परागकण बनते हैं जो परागकोश के स्फुटन के साथ निकलते हैं।


==== लघुबीजाणु चतुष्क के प्रकार: ====
==== लघुबीजाणु चतुष्क के प्रकार ====
लघुबीजाणु चतुष्क सामान्यतया के प्रकार।
लघुबीजाणु चतुष्क सामान्यतया के प्रकार निम्नलिखित हैं:
* '''चतुष्फलकीय (टेट्राहेड्रल)'''-इसमें एक ओर से देखने पर केवल तीन लघुबीजाणु दिखाई देते हैं और चौथा भाग इनके पीछे की ओर स्थित होता है। अधिकांश द्विबीजपत्री प्रमाणित में इसी प्रकार के लघुबीजानु चतुष्क पाए जाते हैं।
* '''चतुष्फलकीय (टेट्राहेड्रल)'''-इसमें एक ओर से देखने पर केवल तीन लघुबीजाणु दिखाई देते हैं और चौथा भाग इनके पीछे की ओर स्थित होता है। अधिकांश द्विबीजपत्री प्रमाणित में इसी प्रकार के लघुबीजानु चतुष्क पाए जाते हैं।



Revision as of 11:28, 11 September 2023

सभी आवृतबीजी पौधों में पुष्प होते हैं जिन्हें लैंगिक जनन की इकाई माना जाता है। पुष्प में नर एवम मादा भाग दोनों ही होते हैं। पुष्प के नर भाग को पुंकेसर कहा जाता है। पुंकेसर के परागकोश में लघुबीजाणुधानी नामक एक संरचना होती है जिसके मध्य में बीजाणुजन ऊतक होता है जो नर युग्मकोद्भिद या पराग कणों का उत्पादन करता है।

परंतु यह बीजाणुजन ऊतक परागकणों के उत्पादन के लिए किस प्रकार उत्तरदायी है? परागकणों के उत्पादन के लिए यह कौन सी प्रक्रिया अपनाता है? इन सभी प्रश्नो के उत्तर हम इस अध्याय में विस्तार से पढ़ेंगे।

परिभाषा

लघुबीजाणु चतुष्क का विस्तृत दृश्य।

लघुबीजाणुजनन, लघुबीजाणुधानी के अंदर अर्धसूत्रीविभाजन की प्रक्रिया द्वारा एक एकल द्विगुणित लघुबीजाणु मातृ कोशिका से चार अगुणित लघुबीजाणु के गठन की प्रक्रिया है। इस गठन को लघुबीजाणु चतुष्क के नाम से जाना जाता है और इस चतुष्क का प्रत्येक लघुबीजाणु परागकण को ​​जन्म देता है।

लघुबीजाणुजनन की प्रक्रिया

हम सब जानते हैं कि बीजाणुजन ऊतक सघन रूप से व्यवस्थित समरूप कोशिकाओं का एक समूह हैI जैसे ही परागकोश विकसित होता है, बीजाणुजन कोशिका का भी विकास होता हैI हम अब इन बदलावों को विस्तार से समझेंगेI

लघुबीजाणु मातृ कोशिका

बीजाणुजन ऊतक की प्रत्येक वह कोशिका जो लघुबीजाणु चतुष्क बनाती है, पराग मातृ कोशिका या लघुबीजाणु मातृ कोशिका कहलाई जाती है।

लघुबीजाणु चतुष्क

बीजाणुजन ऊतक की कुछ कोशिकाएं अर्धसूत्रीविभाजित होकर लघुबीजाणु चतुष्क बनाती हैं। लघुबीजाणु, जैसे ही बनते हैं, चार कोशिकाओं के समूह में व्यवस्थित होते हैं जिन्हें लघुबीजाणु चतुष्क कहा जाता है।

हम इस प्रकार कह सकते हैं की लघुबीजाणु मातृ कोशिकाएँ परागकण बनाने के लिए अर्धसूत्रीविभाजन करती हैं और अर्धसूत्रीविभाजित होकर लघुबीजाणु चतुष्क बनाती हैं। प्रत्येक लघुबीजाणु मातृ कोशिका, लघुबीजाणु चतुष्क बनाती है और प्रत्येक लघुबीजाणु चतुष्क में उपस्थित लघुबीजाणु परागकण बनाने के लिए दोबारा अर्धसूत्रीविभाजन करती हैं।

जैसे-जैसे परागकोश विकसित होता है, बीजाणुजन ऊतक की कोशिकाएं अर्धसूत्रीविभाजन करती रहती हैं और लघुबीजाणु चतुष्क बनाती रहती हैं। बीजाणुजन ऊतक की प्रत्येक कोशिका लघुबीजाणु चतुष्क को जन्म देने में सक्षम है। इसलिए प्रत्येक बीजाणुजन कोशिका एक संभावित पराग या लघुबीजाणु मातृ कोशिका है।

जैसे-जैसे परागकोश परिपक्व होता है और निर्जलित होता है, सूक्ष्मबीजाणु एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं और परागकणों में विकसित होते हैं। प्रत्येक लघुबीजाणुधानी के अंदर कई हजार परागकण बनते हैं जो परागकोश के स्फुटन के साथ निकलते हैं।

लघुबीजाणु चतुष्क के प्रकार

लघुबीजाणु चतुष्क सामान्यतया के प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • चतुष्फलकीय (टेट्राहेड्रल)-इसमें एक ओर से देखने पर केवल तीन लघुबीजाणु दिखाई देते हैं और चौथा भाग इनके पीछे की ओर स्थित होता है। अधिकांश द्विबीजपत्री प्रमाणित में इसी प्रकार के लघुबीजानु चतुष्क पाए जाते हैं।
  • समद्विपाश्विक (समद्विपाश्विक)-इसमें चतुष्क के चारों ओर लघुबीजाणु एक ही तल में दिखाई देते हैं। इस प्रकार के लघुबीजाणु चतुष्क एकबीजपत्री स्टॉक में पाए जाते हैं।
  • डीक्यूसेट: इसमें दो + दो माइक्रोस्पोर्स को लंबवत रूप से इस तरह व्यवस्थित किया जाता है कि ऊपरी दो माइक्रोस्पोर्स दिखाई देते हैं और निचले स्तर से केवल एक दिखाई देता है। उदाहरण: Magnolia
  • टी-आकार: इसमें माइक्रोस्पोर्स को टेट्राड में इस तरह से व्यवस्थित किया जाता है कि दो माइक्रोस्पोर्स अनुप्रस्थ में और दो अनुदैर्ध्य विमान में व्यवस्थित होते हैं।उदाहरण: Aristolochia
  • रैखिक: सभी सूक्ष्मबीजाणु एक ही रैखिक तरीके से व्यवस्थित होते हैं।