आयनिक लवणों की विलेयता पर सम आयन प्रभाव: Difference between revisions
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ऐसीटिक अम्ल(CH<sub>3</sub>COOH) और सोडियम एसीटेट(CH<sub>3</sub>COONa) में एसीटेट आयन सम-आयन है। | ऐसीटिक अम्ल(CH<sub>3</sub>COOH) और सोडियम एसीटेट(CH<sub>3</sub>COONa) में एसीटेट आयन सम-आयन है। | ||
सोडियम ऐसीटेट (प्रबल वैधुतअपघट्य) की उपस्थित में ऐसीटिक अम्ल (दुर्बल वैधुतअपघट्य) की आयनन की मात्रा घट जाती है। यह कमी सोडियम ऐसीटेट के आयनन से उत्पन्न ऐसीटेट आयनों की उपस्थित के कारण होती है। | |||
सोडियम ऐसीटेट (प्रबल वैधुतअपघट्य) की उपस्थित में ऐसीटिक अम्ल (दुर्बल वैधुतअपघट्य) की आयनन की मात्रा घट जाती है। यह कमी सोडियम ऐसीटेट के आयनन से उत्पन्न ऐसीटेट आयनों की उपस्थित के कारण होती है। | |||
<chem>CH3COOH -> CH3COO- + H+</chem> | <chem>CH3COOH -> CH3COO- + H+</chem> |
Revision as of 12:50, 12 September 2023
दो वैधुतअपघट्यों में जो आयन समान होता है उसे सम-आयन कहते हैं। सम-आयन की उपस्थिति में दुर्बल वैधुतअपघट्य की आयनन की मात्रा घट जाती है। सम-आयन के इस प्रभाव को सम-आयन प्रभाव कहते हैं। जब दुर्बल वैधुतअपघट्य लवण (कम घुलनशीलता वाला एक आयनिक यौगिक) ऐसे विलयन में मिलाया जाता है जिसमें पहले से ही इसका एक घटक आयन उपस्थित होता है, तो लवण की घुलनशीलता कम हो जाती है। इसेसम-आयन प्रभाव के रूप में जाना जाता है।
उदाहरण-1
ऐसीटिक अम्ल(CH3COOH) और सोडियम एसीटेट(CH3COONa) में एसीटेट आयन सम-आयन है।
सोडियम ऐसीटेट (प्रबल वैधुतअपघट्य) की उपस्थित में ऐसीटिक अम्ल (दुर्बल वैधुतअपघट्य) की आयनन की मात्रा घट जाती है। यह कमी सोडियम ऐसीटेट के आयनन से उत्पन्न ऐसीटेट आयनों की उपस्थित के कारण होती है।
उदाहरण-2
अमोनियम क्लोराइड (प्रबल वैधुतअपघट्य) की उपस्थित में अमोनियम हाइड्रॉक्सीइड (दुर्बल वैधुतअपघट्य) की आयनन की मात्रा घट जाती है। यह कमी सोडियम ऐसीटेट के आयनन से उत्पन्न अमोनियम आयनों की उपस्थित के कारण होती है। यह अमोनियम आयन एक सम-आयन की तरह कार्य करता है।
स्पष्टीकरण
ऐसीटिक अम्ल के जलीय विलयन में इसके अनआयनित अणुओं और आयनों के मध्य साम्य की अवस्था होती है।
इस साम्य पर द्रव्यानुपाती क्रिया का नियम लगाने पर,
जहाँ, Ka ऐसीटिक अम्ल का आयनन स्थिरांक है।
विलयन में हाइड्रोजन आयनों की सांद्रता ऐसीटेट आयनों की सांद्रता पर निर्भर करती है। ऐसीटिक अम्ल के विलयन में सोडियम ऐसीटेट मिलाने पर ऐसीटेट आयनों की सांद्रता बढ़ जाती है जिसके परिणामस्वरूप साम्य विपरीत दिशा में विस्थापित हो जाता है। विलयन में हाइड्रोजन आयनों की सांद्रता कम हो जाती है और ऐसीटिक अम्ल के अनायनित अणुओं की सांद्रता बढ़ जाती है। दुसरे शब्दों में, ऐसीटेट आयनों की उपस्थित में एसीटिक अम्ल के आयनन की मात्रा का घट जाना हे सम- आयन प्रभाव कहलाता है।