वाष्पोत्सर्जन: Difference between revisions

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वाष्पोत्सर्जन पत्तियों की सतह पर उपस्थित रंध्रों के माध्यम से जल के निष्कासन की प्रक्रिया है। वाष्पोत्सर्जन किसी पौधे के वायवीय भागों, जैसे पत्तियां, तना और फूल से जल का वाष्पीकरण है।
वाष्पोत्सर्जन पत्तियों की सतह पर उपस्थित रंध्रों के माध्यम से जल के निष्कासन की प्रक्रिया है। वाष्पोत्सर्जन किसी पौधे के वायवीय भागों, जैसे पत्तियां, तना और फूल से जल का वाष्पीकरण है।



Revision as of 13:02, 13 September 2023

वाष्पोत्सर्जन पत्तियों की सतह पर उपस्थित रंध्रों के माध्यम से जल के निष्कासन की प्रक्रिया है। वाष्पोत्सर्जन किसी पौधे के वायवीय भागों, जैसे पत्तियां, तना और फूल से जल का वाष्पीकरण है।

वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया

वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया

जल का अवशोषण जड़ों द्वारा होता है। यह मिट्टी से कुछ मात्रा में जल का उपभोग करता है और शेष वायुमंडल में वाष्पित हो जाता है। जल का वाष्पीकरण तनों, फूलों जैसे भागों से भी होता है। लेकिन अधिकांश ,पौधे की पत्तियों से वायुमंडल में उत्सर्जित होता है। 99.5 प्रतिशत जल वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से पौधे से निकल जाता है। वाष्पोत्सर्जन, वाष्पोत्सर्जन खिंचाव पैदा करने में मदद करता है जिससे पौधों में खनिजों और जल को ऊपर की ओर बढ़ने में मदद मिलती है।

वाष्पोत्सर्जन के लिए उत्तरदायी संरचना

रंध्र का खुलना और बंद होना

रन्ध्र (स्टोमेटा) पत्तियों की बाह्यत्वचा पर उपस्थित छोटे, सूक्ष्म छिद्र होते हैं जो गैसीय विनिमय और प्रकाश संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रन्ध्र पत्ती के निचले हिस्से पर उपस्थित छोटी गोलाकार संरचना होती है जिसके बीच में गैस के पौधे में प्रवेश करने या निकलने के लिए एक छेद होता है। छिद्र में दो कोशिकाएँ होती हैं - प्रत्येक को रक्षक कोशिका (Guard cells ) के रूप में जाना जाता है। वे छिद्र को खोलने या बंद करने के लिए सूज या सिकुड़ सकते हैं। रक्षक कोशिकाओं के खुलने से वाष्पोत्सर्जन होता है और बंद होने से वाष्पोत्सर्जन रुक जाता है।

वाष्पोत्सर्जन के प्रकार

  • रंध्रीय वाष्पोत्सर्जन - वाष्पोत्सर्जन जो रंध्रों के माध्यम से होता है।
  • उपत्वचीय वाष्पोत्सर्जन (क्यूटिकुलर वाष्पोत्सर्जन) - वाष्पोत्सर्जन क्यूटिकल्स के माध्यम से होता है जो पत्तियों की बाह्य त्वचा पर मोम जैसा आवरण होता है।
  • वातरन्ध्रीय वाष्पोत्सर्जन (लेंटिकुलर वाष्पोत्सर्जन) - पौधे की वातरन्ध्र ( Lenticel )के माध्यम से वाष्पोत्सर्जन, जो लकड़ी के तने की छाल पर पाए जाने वाले एक छिद्रपूर्ण ऊतक होते हैं।

पौधों में वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक

  • तापमान - उच्च तापमान रंध्रों को खोल देता है जिससे वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ जाती है।
  • रोशनी - प्रकाश में रंध्रों के खुलने के कारण प्रकाश की उपस्थिति वाष्पोत्सर्जन की दर से सीधे आनुपातिक होती है।
  • सापेक्षिक आर्द्रता - हवा में उपस्थित नमी के कारण वाष्पोत्सर्जन की दर आर्द्रता के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
  • जल - अधिक जल के कारण रंध्र खुल जाते हैं, जिससे वाष्पोत्सर्जन अधिक होता है।
  • हवा की गति - चलती हवा नमी को खत्म कर देती है जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक वाष्पोत्सर्जन होता है।

पौधों में वाष्पोत्सर्जन का महत्व

  • वाष्पोत्सर्जन से वाष्पोत्सर्जन खिंचाव (Transpiration pull ) उत्पन्न होता है जो आगे एक दबाव प्रवणता बनाता है, जो जड़ों से पौधे के शरीर तक जल और खनिजों को खींचने में मदद करता है।
  • जल और खनिजों के संचालन में मदद करता है।
  • परासरण को बनाए रखने में मदद करता है और कोशिकाओं को कठोर रखता है।
  • पौधे के शरीर में जल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

वाष्पोत्सर्जन के नुकसान

  • पौधे में जल की कमी हो जाती है, जिसके कारण पौधा अस्थायी या स्थायी रूप से सूख जाता है।
  • कुल अवशोषित जल का लगभग 97% नष्ट हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा की बर्बादी होती है।

अभ्यास प्रश्न

  • पौधों में वाष्पोत्सर्जन के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
  • रंध्रों का खुलना और बंद होना वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया को किस प्रकार नियंत्रित करता है?
  • वाष्पोत्सर्जन के लाभ और हानि क्या हैं?