समांग साम्यावस्था: Difference between revisions
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<chem>N2(g) + O2(g) <=> 2NO(g)</chem> | <chem>N2(g) + O2(g) <=> 2NO(g)</chem> | ||
समांगी गैसीय अभिक्राएँ जिनमें रासायनिक परिवर्तन के फलस्वरूप अणुओं की कुल संख्या में परिवर्तन नहीं होता है जैसे, | |||
<chem>PCl5(g) <=> PCl3(g) + Cl2(g)</chem> | |||
<chem>N2O4(g) <=> 2NO2(g)</chem> | |||
<chem>N2(g) + 3H2(g) <=> 2NH3(g)</chem> |
Revision as of 16:18, 20 September 2023
अभिक्रिया की अवस्था वह अवस्था जिसमे अग्र और पश्च दोनों अभिक्रियाओं की अभिक्रिया की दर बराबर होती है। रसायनिक साम्यावस्था कहलाती है। अथवा अभिक्रिया की अवस्था जिसमें अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ स्थिर हो जाती है और समय के साथ परिवर्तित नहीं होती, रसायनिक साम्य की अवस्था कहलाती है। स्थिर ताप पर एक बंद पात्र में जब कोई उत्क्रमणीय अभिक्रिया होती है तो पहले अग्र अभिक्रिया शरू होती है जिसमें उत्पाद बनते हैं और जब उत्पाद बन जाता है तो पश्च अभिक्रिया प्रारम्भ होती है। प्रारम्भ में अग्र अभिक्रिया की दर पश्च अभिक्रिया से अधिक होती है। परन्तु जैसे जैसे समय बीतता जाता है अभिकारक की सांद्रता घटती जाती है और उत्पाद की सांद्रता बढ़ती जाती है और एक अवस्था आती है जब अग्र अभिक्रिया का वेग पश्च अभिक्रिया के वेग के बराबर हो जाता है। अभिक्रिया की यह अवस्था ही साम्यावस्था कहलाती है।
समांगी गैसीय और द्रव निकायों के साम्य पर द्रव्यानुपाती क्रिया के नियम के अनुप्रयोग के कुछ उदाहरण निम्न लिखित हैं।
समांगी गैसीय निकायों के साम्य पर द्रव्यानुपाती क्रिया के नियम के अनुप्रयोग
समांगी गैसीय अभिक्रियाएं दो प्रकार की होती हैं,
समांगी गैसीय अभिक्राएँ जिनमें रासायनिक परिवर्तन के फलस्वरूप अणुओं की कुल संख्या में परिवर्तन नहीं होता है जैसे,
समांगी गैसीय अभिक्राएँ जिनमें रासायनिक परिवर्तन के फलस्वरूप अणुओं की कुल संख्या में परिवर्तन नहीं होता है जैसे,