वर्धक: Difference between revisions
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<chem>2H2O (l) ->[Pt] 2H2O(l) + O2(g)</chem> | <chem>2H2O (l) ->[Pt] 2H2O(l) + O2(g)</chem> | ||
कोलाइडल प्लैटिनम की उपस्थिति में | कोलाइडल प्लैटिनम की उपस्थिति में H<sub>2</sub>O<sub>2</sub> का विघटन तेज होता है। |
Revision as of 16:16, 29 November 2023
जब किसी रासायनिक अभिक्रिया की गति किसी पदार्थ की उपस्थिति से या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है तो इसे "उत्प्रेरण" कहते हैं। जिस पदार्थ की उपस्थिति से अभिक्रिया की गति बढ़ती है या कम होती है उसे उत्प्रेरक कहते हैं। उत्प्रेरक कभी अभिक्रिया में भाग नहीं लेता, केवल अभिक्रिया की गति को प्रभावित करता है। दूसरे शब्दों में वो रासायनिक पदार्थ जिसकी उपस्थिति के कारण रासायनिक अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है या कम हो जाती है लेकिन वह स्वयं रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेता है उसे उत्प्रेरक कहते है और इस प्रक्रिया को उत्प्रेरण कहते है।
"उत्प्रेरक वर्धक वे पदार्थ हैं जो स्वयं तो उत्प्रेरक का कार्य नहीं करते लेकिन उनकी उपस्थित में उत्प्रेरक की कार्य क्षमता बढ़ जाती है उत्प्रेरक वर्धक कहलाते हैं।" यह उत्प्रेरक विष के ठीक विपरीत होता है।
उदाहरण
हैबर विधि में सूक्ष्म रूप से विभाजित आयरन की उपस्थिति में अमोनिया बनाने के लिए नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के बीच संयोजन किया जाता है। जिसमें आयरन उत्प्रेरक का कार्य करता है और मॉलीबेडनम उत्प्रेरक वर्धक का कार्य करता है यह आयरन की की कार्य क्षमता को बढ़ा देता है।
- उत्प्रेरक अभिक्रिया में भाग लिए बिना अभिक्रिया की दर को बढ़ाता है।
- उत्प्रेरक अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा को कम कर देता है।
- वर्धक उत्प्रेरक की गतिविधि को बढ़ा देते हैं। इसलिए इन्हें "धनात्मक उत्प्रेरक" भी कहा जाता है।
कार्य के आधार पर उत्प्रेरक
धनात्मक उत्प्रेरक
उत्प्रेरक जो अभीक्रिया की दर को बढ़ाते है उसे धनात्मक उत्प्रेरक कहते है।
उदाहरण
कोलाइडल प्लैटिनम की उपस्थिति में H2O2 का विघटित होना।
कोलाइडल प्लैटिनम की उपस्थिति में H2O2 का विघटन तेज होता है।