उत्कृष्ट गैसें: Difference between revisions
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"उत्कृष्ट गैस" हीलियम (He), निऑन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टॉन (Kr), ज़ेनॉन (Xe) तथा रेडॉन (Rn) हैं यह आवर्त सारणी के शून्य वर्ग के तत्त्व हैं। इनके परमाणु क्रमांक क्रमशः 2, 10, 18, 36, 54, 86,है। शून्य वर्ग के तत्त्व रासायनिक दृष्टि से निष्किय होते हैं। इस कारण इन तत्वों को अक्रिय गैस या 'उत्कृष्ट गैस' कहा जाता हैं। अक्रिय गैस की खोज श्रेय 'लोकेयर', 'रैमजे', 'रैले' आदि के द्वारा की गई थी।रेडॉन को छोड़कर अन्य सभी गैसें वायुमंडल में पायी जाती हैं। | |||
अक्रिय गैसें साधारणत: रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग नहीं लेतीं और सदा मुक्त अवस्था में उपस्थित होती हैं। | |||
समस्त अक्रिय गैसें रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन होती हैं। | |||
स्थिर दाब और स्थिर आयतन पर प्रत्येक गैस की विशिष्ट उष्माओं का अनुपात 1.67 के बराबर होता है, जिससे पता चलता है कि ये सब एकपरमाणुक गैसें हैं। | |||
=== हीलियम === | |||
* यह हल्की होने के कारण गुब्बारों और वायुपोतों में भरने के काम में आती है। | |||
* गोता लगाते समय साँस लेने के लिए वायु के स्थान पर हीलियम और ऑक्सीजन का मिश्रण काम में आता है। | |||
* अक्रिय वायुमंडल के लिए हीलियम का प्रयोग किया जाता है। | |||
* वायु से यह बहुत हल्की होती है, अत: बड़े-बड़े हवाई जहाजों के टायरों में इसी गैस को भरा जाता है। | |||
=== नीऑन === |
Revision as of 09:53, 9 December 2023
"उत्कृष्ट गैस" हीलियम (He), निऑन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टॉन (Kr), ज़ेनॉन (Xe) तथा रेडॉन (Rn) हैं यह आवर्त सारणी के शून्य वर्ग के तत्त्व हैं। इनके परमाणु क्रमांक क्रमशः 2, 10, 18, 36, 54, 86,है। शून्य वर्ग के तत्त्व रासायनिक दृष्टि से निष्किय होते हैं। इस कारण इन तत्वों को अक्रिय गैस या 'उत्कृष्ट गैस' कहा जाता हैं। अक्रिय गैस की खोज श्रेय 'लोकेयर', 'रैमजे', 'रैले' आदि के द्वारा की गई थी।रेडॉन को छोड़कर अन्य सभी गैसें वायुमंडल में पायी जाती हैं।
अक्रिय गैसें साधारणत: रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग नहीं लेतीं और सदा मुक्त अवस्था में उपस्थित होती हैं।
समस्त अक्रिय गैसें रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन होती हैं।
स्थिर दाब और स्थिर आयतन पर प्रत्येक गैस की विशिष्ट उष्माओं का अनुपात 1.67 के बराबर होता है, जिससे पता चलता है कि ये सब एकपरमाणुक गैसें हैं।
हीलियम
- यह हल्की होने के कारण गुब्बारों और वायुपोतों में भरने के काम में आती है।
- गोता लगाते समय साँस लेने के लिए वायु के स्थान पर हीलियम और ऑक्सीजन का मिश्रण काम में आता है।
- अक्रिय वायुमंडल के लिए हीलियम का प्रयोग किया जाता है।
- वायु से यह बहुत हल्की होती है, अत: बड़े-बड़े हवाई जहाजों के टायरों में इसी गैस को भरा जाता है।