ग्राम धनात्मक जीवाणु: Difference between revisions

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ग्राम-पॉजिटिव जीवों में ग्राम-नकारात्मक बैक्टीरिया की तुलना में अधिक मोटी पेप्टिडोग्लाइकन कोशिका भित्ति होती है। यह 20 से 80 एनएम मोटा बहुलक है जबकि ग्राम-नकारात्मक कोशिका दीवार की पेप्टिडोग्लाइकन परत 2 से 3 एनएम मोटी होती है और बाहरी लिपिड बाईलेयर झिल्ली से ढकी होती है।
== परिचय ==
ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया बैक्टीरिया परिवार के जीनस और फाइलम फर्मिक्यूट्स के सदस्य हैं। ये बैक्टीरिया क्रिस्टल वायलेट दाग का रंग बरकरार रखते हैं जिसका उपयोग चने को रंगने के दौरान किया जाता है। माइक्रोस्कोप के नीचे जांच करने पर ये बैक्टीरिया बैंगनी रंग के दिखाई देकर ग्राम स्टेन टेस्ट में सकारात्मक परिणाम देते हैं, इसलिए इन्हें ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया नाम दिया गया है। एक्टिनोमाइसेस, क्लोस्ट्रीडियम, माइकोबैक्टीरियम, स्ट्रेप्टोकोकी, स्टैफिलोकोकी और नोकार्डिया ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के कुछ उदाहरण हैं।
== ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के लक्षण ==
* इनमें एक मोटी पेप्टिडोग्लाइकेन परत और साइटोप्लाज्मिक लिपिड झिल्ली होती है।
* इन जीवाणुओं में बाहरी झिल्ली का अभाव होता है।
* इनमें लिपिड की मात्रा कम और टेइकोइक एसिड अधिक होता है।
* वे सिलिया और फ्लैगेल्ला जैसे गति अंगों की मदद से घूमते हैं।
* स्टैफिलोकोकस ऑरियस और स्ट्रेप्टोकोकस फ़ेकलिस की दीवारों में टेकोइक एसिड होता है।
== ग्राम-पॉजिटिव सेल वॉल ==
ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया कोशिका भित्ति की संरचना में शामिल हैं:
* '''पेप्टिडोग्लाइकन'''
यह एक पारगम्य, क्रॉस-लिंक्ड कार्बनिक बहुलक और कठोर संरचना है जो कोशिका भित्ति को आकार और मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह प्लाज़्मा झिल्ली को घेरने वाली कोशिका भित्ति का लगभग 90% हिस्सा बनाता है और कोशिका को पर्यावरण से बचाता है। पेप्टिडोग्लाइकन तीन मुख्य घटकों से बना है जिसमें ग्लाइकेन बैकबोन, पेप्टाइड और टेट्रा-पेप्टाइड शामिल हैं।
* '''लिपिड'''
ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया कोशिका दीवार में पाया जाने वाला लिपिड तत्व झिल्ली को इसके जुड़ाव का समर्थन करता है। ग्राम-पॉजिटिव जीवाणु कोशिका दीवार में लिपिड सामग्री का कुल प्रतिशत 2 - 5 प्रतिशत है।
* '''टेकोइक एसिड'''
यह पानी में घुलनशील और ग्लिसरॉल का बहुलक है। टेकोइक एसिड ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया का प्रमुख सतह प्रतिजन है और यह कोशिका दीवार के कुल शुष्क वजन का लगभग पचास प्रतिशत बनाता है।
== ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के लाभ ==
* बैक्टीरिया की ये प्रजातियां गैर-रोगजनक हैं और मुंह, त्वचा, आंत और ऊपरी श्वसन पथ सहित हमारे शरीर के भीतर रहती हैं।
* वे एम्मेन्टलर या स्विस पनीर के उत्पादन में एक आवश्यक घटक हैं।
* कोरिनेबैक्टीरियम की प्रजातियों का उपयोग एंजाइम, अमीनो एसिड, न्यूक्लियोटाइड आदि के औद्योगिक उत्पादन में किया जाता है।
* विभिन्न बैसिलस प्रजातियों का उपयोग बड़ी मात्रा में एंजाइमों के स्राव में किया जाता है।
* ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया की कुछ प्रजातियाँ पनीर की उम्र बढ़ने, स्टेरॉयड के जैव रूपांतरण, हाइड्रोकार्बन के क्षरण आदि में भी शामिल होती हैं।
* ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के बैसिलस एमाइलोलिकफ़ेसिएन्स एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक प्रोटीन - बार्नेज़ का अच्छा स्रोत हैं।
== ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के जोखिम कारक ==
सभी मनुष्यों में त्वचा और श्लेष्मा संक्रमण में पर्याप्त वृद्धि स्टेफिलोकोकल प्रजातियों के कारण होती है। ये जीव मुख्य रूप से त्वचा के संपर्क, फोमाइट के संपर्क, संक्रमित एयरोसोलिज्ड कणों को सांस के माध्यम से अंदर लेने, पालतू जानवरों आदि के माध्यम से फैलते हैं। अन्य जोखिम कारकों में खाद्य विषाक्तता, श्वसन संबंधी रोग, दांतों में कैविटी, डिप्थीरिया, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस आदि शामिल हैं।

Revision as of 10:10, 16 December 2023

ग्राम-पॉजिटिव जीवों में ग्राम-नकारात्मक बैक्टीरिया की तुलना में अधिक मोटी पेप्टिडोग्लाइकन कोशिका भित्ति होती है। यह 20 से 80 एनएम मोटा बहुलक है जबकि ग्राम-नकारात्मक कोशिका दीवार की पेप्टिडोग्लाइकन परत 2 से 3 एनएम मोटी होती है और बाहरी लिपिड बाईलेयर झिल्ली से ढकी होती है।

परिचय

ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया बैक्टीरिया परिवार के जीनस और फाइलम फर्मिक्यूट्स के सदस्य हैं। ये बैक्टीरिया क्रिस्टल वायलेट दाग का रंग बरकरार रखते हैं जिसका उपयोग चने को रंगने के दौरान किया जाता है। माइक्रोस्कोप के नीचे जांच करने पर ये बैक्टीरिया बैंगनी रंग के दिखाई देकर ग्राम स्टेन टेस्ट में सकारात्मक परिणाम देते हैं, इसलिए इन्हें ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया नाम दिया गया है। एक्टिनोमाइसेस, क्लोस्ट्रीडियम, माइकोबैक्टीरियम, स्ट्रेप्टोकोकी, स्टैफिलोकोकी और नोकार्डिया ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के कुछ उदाहरण हैं।

ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के लक्षण

  • इनमें एक मोटी पेप्टिडोग्लाइकेन परत और साइटोप्लाज्मिक लिपिड झिल्ली होती है।
  • इन जीवाणुओं में बाहरी झिल्ली का अभाव होता है।
  • इनमें लिपिड की मात्रा कम और टेइकोइक एसिड अधिक होता है।
  • वे सिलिया और फ्लैगेल्ला जैसे गति अंगों की मदद से घूमते हैं।
  • स्टैफिलोकोकस ऑरियस और स्ट्रेप्टोकोकस फ़ेकलिस की दीवारों में टेकोइक एसिड होता है।

ग्राम-पॉजिटिव सेल वॉल

ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया कोशिका भित्ति की संरचना में शामिल हैं:

  • पेप्टिडोग्लाइकन

यह एक पारगम्य, क्रॉस-लिंक्ड कार्बनिक बहुलक और कठोर संरचना है जो कोशिका भित्ति को आकार और मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह प्लाज़्मा झिल्ली को घेरने वाली कोशिका भित्ति का लगभग 90% हिस्सा बनाता है और कोशिका को पर्यावरण से बचाता है। पेप्टिडोग्लाइकन तीन मुख्य घटकों से बना है जिसमें ग्लाइकेन बैकबोन, पेप्टाइड और टेट्रा-पेप्टाइड शामिल हैं।

  • लिपिड

ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया कोशिका दीवार में पाया जाने वाला लिपिड तत्व झिल्ली को इसके जुड़ाव का समर्थन करता है। ग्राम-पॉजिटिव जीवाणु कोशिका दीवार में लिपिड सामग्री का कुल प्रतिशत 2 - 5 प्रतिशत है।

  • टेकोइक एसिड

यह पानी में घुलनशील और ग्लिसरॉल का बहुलक है। टेकोइक एसिड ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया का प्रमुख सतह प्रतिजन है और यह कोशिका दीवार के कुल शुष्क वजन का लगभग पचास प्रतिशत बनाता है।

ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के लाभ

  • बैक्टीरिया की ये प्रजातियां गैर-रोगजनक हैं और मुंह, त्वचा, आंत और ऊपरी श्वसन पथ सहित हमारे शरीर के भीतर रहती हैं।
  • वे एम्मेन्टलर या स्विस पनीर के उत्पादन में एक आवश्यक घटक हैं।
  • कोरिनेबैक्टीरियम की प्रजातियों का उपयोग एंजाइम, अमीनो एसिड, न्यूक्लियोटाइड आदि के औद्योगिक उत्पादन में किया जाता है।
  • विभिन्न बैसिलस प्रजातियों का उपयोग बड़ी मात्रा में एंजाइमों के स्राव में किया जाता है।
  • ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया की कुछ प्रजातियाँ पनीर की उम्र बढ़ने, स्टेरॉयड के जैव रूपांतरण, हाइड्रोकार्बन के क्षरण आदि में भी शामिल होती हैं।
  • ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के बैसिलस एमाइलोलिकफ़ेसिएन्स एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक प्रोटीन - बार्नेज़ का अच्छा स्रोत हैं।

ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के जोखिम कारक

सभी मनुष्यों में त्वचा और श्लेष्मा संक्रमण में पर्याप्त वृद्धि स्टेफिलोकोकल प्रजातियों के कारण होती है। ये जीव मुख्य रूप से त्वचा के संपर्क, फोमाइट के संपर्क, संक्रमित एयरोसोलिज्ड कणों को सांस के माध्यम से अंदर लेने, पालतू जानवरों आदि के माध्यम से फैलते हैं। अन्य जोखिम कारकों में खाद्य विषाक्तता, श्वसन संबंधी रोग, दांतों में कैविटी, डिप्थीरिया, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस आदि शामिल हैं।