पश्च सूत्री अंतरकाल प्रावस्था: Difference between revisions
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पश्च सूत्री अंतरकाल प्रावस्था या G1 चरण माइटोसिस और कोशिका की आनुवंशिक सामग्री की प्रतिकृति की शुरुआत के बीच कोशिका चक्र का चरण है। यह दो घटनाओं के बीच की समयावधि है इसलिए इसे "अंतराल" कहा जाता है। चरण की विशेषता यह है कि कोशिका चयापचय रूप से सक्रिय होती है और अपने डीएनए की प्रतिकृति बनाए बिना बढ़ती रहती है। | पश्च सूत्री अंतरकाल प्रावस्था या G1 चरण माइटोसिस और कोशिका की आनुवंशिक सामग्री की प्रतिकृति की शुरुआत के बीच कोशिका चक्र का चरण है। यह दो घटनाओं के बीच की समयावधि है इसलिए इसे "अंतराल" कहा जाता है। चरण की विशेषता यह है कि कोशिका चयापचय रूप से सक्रिय होती है और अपने डीएनए की प्रतिकृति बनाए बिना बढ़ती रहती है। | ||
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इस चरण में कोशिका प्रोटीन की आपूर्ति बढ़ाती है। | |||
कोशिका स्वयं को विभाजन के लिए तैयार करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया, राइबोसोम जैसे अंगों की संख्या बढ़ाती है। | |||
इस चरण में कोशिका का आकार बढ़ता है। | |||
कोशिका चयापचय रूप से सक्रिय रहती है और अपने डीएनए की प्रतिकृति बनाए बिना बढ़ती रहती है। |
Revision as of 16:09, 28 December 2023
पश्च सूत्री अंतरकाल प्रावस्था या G1 चरण माइटोसिस और कोशिका की आनुवंशिक सामग्री की प्रतिकृति की शुरुआत के बीच कोशिका चक्र का चरण है। यह दो घटनाओं के बीच की समयावधि है इसलिए इसे "अंतराल" कहा जाता है। चरण की विशेषता यह है कि कोशिका चयापचय रूप से सक्रिय होती है और अपने डीएनए की प्रतिकृति बनाए बिना बढ़ती रहती है।
विशेषता
इस चरण में कोशिका प्रोटीन की आपूर्ति बढ़ाती है।
कोशिका स्वयं को विभाजन के लिए तैयार करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया, राइबोसोम जैसे अंगों की संख्या बढ़ाती है।
इस चरण में कोशिका का आकार बढ़ता है।
कोशिका चयापचय रूप से सक्रिय रहती है और अपने डीएनए की प्रतिकृति बनाए बिना बढ़ती रहती है।