टेफ्लॉन: Difference between revisions
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टेफ्लॉन एक योगात्मक बहुलक है, बहुलक या पाॅलीमर (polymer) बहुत अधिक अणुभार वाला कार्बनिक यौगिक है। इस प्रकार के बहुलक में एक अथवा भिन्न प्रकार के एकलक अणु परस्पर योग करते हैं इसमें प्रयुक्त होने वाले बहुलक असंतृप्त योगिक होते हैं। जैसे - एल्कीन इस विधि में श्रंख्ला की लम्बाई में वृद्धि होती है यह मुक्त मूलक द्वारा होती है। यह सरल अणुओं जिन्हें मोनोमर कहा जाता है, के बहुत अधिक इकाईयों के बहुलकीकरण से प्राप्त होता है। बहुलक में एक ही प्रकार की अनेक आवर्ती संरचनात्मक इकाईयाँ अर्थात मोनोमर होते हैं जो सह संयोजी बन्ध (कोवैलेन्ट बॉण्ड) से आपस में जुड़े होते हैं। इस क्रिया को बहुलकीकरण कहते हैं। | टेफ्लॉन एक योगात्मक बहुलक है, बहुलक या पाॅलीमर (polymer) बहुत अधिक अणुभार वाला कार्बनिक यौगिक है। इस प्रकार के बहुलक में एक अथवा भिन्न प्रकार के एकलक अणु परस्पर योग करते हैं इसमें प्रयुक्त होने वाले बहुलक असंतृप्त योगिक होते हैं। जैसे - एल्कीन इस विधि में श्रंख्ला की लम्बाई में वृद्धि होती है यह मुक्त मूलक द्वारा होती है। यह सरल अणुओं जिन्हें मोनोमर कहा जाता है, के बहुत अधिक इकाईयों के बहुलकीकरण से प्राप्त होता है। बहुलक में एक ही प्रकार की अनेक आवर्ती संरचनात्मक इकाईयाँ अर्थात मोनोमर होते हैं जो सह संयोजी बन्ध (कोवैलेन्ट बॉण्ड) से आपस में जुड़े होते हैं। इस क्रिया को बहुलकीकरण कहते हैं। | ||
Revision as of 12:00, 2 January 2024
टेफ्लॉन एक योगात्मक बहुलक है, बहुलक या पाॅलीमर (polymer) बहुत अधिक अणुभार वाला कार्बनिक यौगिक है। इस प्रकार के बहुलक में एक अथवा भिन्न प्रकार के एकलक अणु परस्पर योग करते हैं इसमें प्रयुक्त होने वाले बहुलक असंतृप्त योगिक होते हैं। जैसे - एल्कीन इस विधि में श्रंख्ला की लम्बाई में वृद्धि होती है यह मुक्त मूलक द्वारा होती है। यह सरल अणुओं जिन्हें मोनोमर कहा जाता है, के बहुत अधिक इकाईयों के बहुलकीकरण से प्राप्त होता है। बहुलक में एक ही प्रकार की अनेक आवर्ती संरचनात्मक इकाईयाँ अर्थात मोनोमर होते हैं जो सह संयोजी बन्ध (कोवैलेन्ट बॉण्ड) से आपस में जुड़े होते हैं। इस क्रिया को बहुलकीकरण कहते हैं।
बहुलक शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों 'पॉली' अर्थात अनेक और मर अर्थात इकाई अथवा भाग से हुई है बहुलकों का अणुभार बहुत उच्च होता है जिनका द्रव्यमान बहुत अधिक होता है उसे बृहदणु भी कहा जाता है ये कई मोनोमर इकाइयों के आपस में जुड़ने से बनते हैं ये सभी इकाइयां एक दूसरे से सहसहयोजक बंधों द्वारा जुडी होती हैं।
टेफ्लॉन(पॉलीटेट्राफ्लोरीन)
पॉलीटेट्राक्लोरीन को मुक्त मूलक, परसल्फेट उत्प्रेरक की उपस्थित में उच्च दाब पर गर्म करने पर प्राप्त किया जाता है। यह रासायनिक रूप से अक्रिय है यह नहीं करता है। यह टेट्राफ्लोरो एथिलीन के बहुलीकरण से टेफ्लॉन प्राप्त होता है।
टेफ्लॉन के गुण
- यह कमरे के ताप पर सफेद ठोस यौगिक है।
- इसका घनत्व लगभग 2200 किग्रा/मीटर 3 तक होता है।
- इसका गलनांक 600 K है।
- यह गर्मी और कम ताप के प्रति अच्छा प्रतिरोध दर्शाता है।
- इसकी जल अवशोषण क्षमता कम होती है।
- इसे नॉन-स्टिक रसोई के बर्तन के रूप में उपयोग किया जाता है।
टेफ्लॉन का उपयोग करने के लाभ
- टेफ्लॉन या पीटीएफई नायलॉन और एसिटल जैसे अधिकांश अन्य पॉलिमर की तुलना में अधिक कुशल है।
- पॉलीटेट्राफ्लुओरोएथिलीन (पीटीटीई) या टेफ्लॉन बहुत उच्च ताप पर भी अधिक स्थिर होते हैं। इसका उपयोग कई कपड़ों की वस्तुओं के उत्पादन में भी किया जाता है।
- टेफ्लॉन का इसका उपयोग बिजली के तारों और नॉन-स्टिक कुकवेयर या पैन की कोटिंग में भी किया जाता है।
अभ्यास प्रश्न
- बहुलक से आप क्या समझते है ?
- बहुलक कितने प्रकार के होते हैं ?
- टेफ्लॉन बहुलक को उदाहरण समझिये।
- टेफ्लॉन के उपयोग क्या है ?