कार्बन परिवार के रासायनिक गुण: Difference between revisions
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कार्बन परिवार, जिसे आवर्त सारणी में समूह 14 के रूप में भी जाना जाता है, में कार्बन (C), सिलिकॉन (Si), जर्मेनियम (Gr), टिन (Sn), और सीसा Pb) सम्मिलित हैं। | कार्बन परिवार, जिसे आवर्त सारणी में समूह 14 के रूप में भी जाना जाता है, में कार्बन (C), सिलिकॉन (Si), जर्मेनियम (Gr), टिन (Sn), और सीसा Pb) सम्मिलित हैं। कार्बन, सिलिकन, जर्मेनियम, टिन, लेड तथा फ्लेरोवियम समूह 14 के तत्व है। कार्बन प्रकृति में पाया जाना वाला अतिबाहुल्य तत्व है। यह प्रकृति में स्वतंत्र एवं संयुक्त अवस्था में बहुतायत में पाया जाने वाला तत्व है। यह प्रकृति में कोयला, ग्रेफाइट तथा हीरा में मिलता है, जबकि संयुक्त अवस्था में यह धातु कार्बोनेट, हाइड्रोकार्बन तथा वायु में यह कार्बनडाइ ऑक्साइड गैस के रूप में मिलता है।ये तत्व अपने समान इलेक्ट्रॉन विन्यास के कारण कुछ सामान्य रासायनिक गुण साझा करते हैं। यहाँ कार्बन परिवार के कुछ सामान्य रासायनिक गुण हैं: | ||
=== अणु की संयोजन क्षमता === | === अणु की संयोजन क्षमता === | ||
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=== एलोट्रॉपी === | === एलोट्रॉपी === | ||
कार्बन एलोट्रॉपी प्रदर्शित करता है, जिसका अर्थ है कि यह विभिन्न संरचनात्मक रूपों में उपस्थित हो सकता है। कार्बन के सबसे सामान्य अपरूपों में हीरा, ग्रेफाइट और ग्राफीन सम्मिलित हैं, जिनमें से प्रत्येक में अद्वितीय गुण हैं। | कार्बन एलोट्रॉपी प्रदर्शित करता है, जिसका अर्थ है कि यह विभिन्न संरचनात्मक रूपों में उपस्थित हो सकता है। कार्बन के सबसे सामान्य अपरूपों में हीरा, ग्रेफाइट और ग्राफीन सम्मिलित हैं, जिनमें से प्रत्येक में अद्वितीय गुण हैं। | ||
कार्बन अपने दो रूपों में पाया जाता है: | |||
*क्रिस्टलीय रूप | |||
*अक्रिस्टलीय रूप | |||
===क्रिस्टलीय रूप=== | |||
हीरा, ग्रेफाइट और फुलरीन कार्बन के दो प्रमुख क्रिस्टलीय रूप है। | |||
=== अक्रिस्टलीय रूप=== | |||
कोल, कोक, काष्ठ, चारकोल, जंतु चारकोल, काजल, गैस कार्बन क्रिस्टलीय रूप है। | |||
==हीरा== | |||
हीरा कार्बन का सबसे शुद्ध क्रिस्टलीय अपरूप है हीरा कई कार्बन से मिलकर बना होता है, जो एक साथ चतुष्फलकीय रुप से जुड़े होते हैं। हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से घिरे होते हैं और उनसे मजबूत सहसंयोजक आबंध - सबसे मजबूत प्रकार के रासायनिक आबंध द्वारा जुड़े होते हैं। प्रत्येक कार्बन का sp<sup>3</sup> संकरण होता है। हीरा में क्रिस्टलीय जालक होता है। कार्बन में प्रत्येक कार्बन चार और कार्बन से जुड़ा होता है प्रत्येक कार्बन की बंध लम्बाई 154 pm होती है। हीरा पृथ्वी पर पाया जाने वाला सर्वाधिक कठोर पदार्थ है। हीरे का गलनांक बहुत उच्च होता है, इसका उपयोग धार तेज करने के लिए अपघर्षक के रूप में तथा विधुत लैंप में टंगस्टन तंतु बनाने में होता है। | |||
===हीरा के प्रमुख उपयोग=== | |||
*कांच को काटने में कटर के रूप में | |||
*आभूषणों के निर्माण में हीरे का उपयोग होता है। | |||
*चट्टानों एवं पत्थर काटने की मशीन में इसका उपयोग होता है। | |||
==ग्रेफाइट== | |||
ग्रेफाइट (Graphite) ग्रीक भाषा का शब्द है जिसे ग्रेफो से लिया गया है। ग्रेफो का अर्थ होता है लिखना अर्थात इसके द्वारा कागज पर निशान बनाया जा सकता है। ग्रेफाइट (Graphite) को कार्बन का अपरूप पदार्थ माना जाता है। ग्रेफाइट को काला सीसा और प्लबगो के नाम से भी जाना जाता है। यह कार्बन का ही एक खनिज है। ग्रेफाइट एक आधातु पदार्थ है जो विद्युत और ताप का सुचालक होता है। ग्रेफाइट को जब 700℃ का ताप दिया जाता है तो यह जल जाती है और जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है। यह एक परत संरचना होती है जिसमें अनेक परतें होती हैं ये सभी परतें वान्डरवाल बल द्वारा जुडी रहती हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp<sup>2</sup> संकरित होता है। ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा अपररूप होता है। इसमें कार्बन परमाणु समान्तर परतों में व्यवस्थित होते हैं। ग्रेफाइट अधातु होकर भी मुलायम और विद्युत का चालक होता है। ग्रेफाइट की संरचना षटकोणीय जालक परत के रूप में होती है। ग्रेफाइट में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाते हैं। जो सम्पूर्ण जालक के रूप में गमन करते हैं। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु विभिन्न परतों में व्यवस्थित होते हैं। जिनमे प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंध के द्वारा जुड़कर षट्कोणीय रेखीय संरचना बनता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त होता है। जो इसे विद्युत का अच्छा चालक बनाता है। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु की विभिन्न परते एक दूसरे स कमजोर बांडर वाल बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। अतः ये एक दुसरे पर फिसल सकती हैं। इसलिए जब हम ग्रेफाइट को छूते हैं तो यह फिसलता है। इसे काला लेड भी कहते हैं। | |||
===ग्रेफाइट के प्रमुख उपयोग=== | |||
*ग्रेफाइट के चूर्ण का उपयोग मशीनों के पुर्जो में स्नेहक के रूप में होता है। | |||
*इसका उपयोग सेलो के इलेक्ट्रोड के रूप में होता है। | |||
*पेंसिल के लिए लेड के रूप में होता है। | |||
==फुलरीन== | |||
अक्रिय गैसों जैसे हीलियम, आर्गन आदि की उपस्थित में जब ग्रेफाइट को विधुत आर्क में गर्म करते हैं, तब फुलरीन का निर्माण होता है। | |||
फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है। अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया। फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु भी पाए जाते हैं। C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है। C60 विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध की लम्बाई 1.40 A<sup>0</sup> होती है। C60 की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलकपंचकोणीय होते हैं। इसकी संरचना फुटबॉल के समान होती है। अतः इसे ‘बकीबॉल’ भी कहा जाता है। | |||
===फुलरीन के प्रमुख उपयोग=== | |||
*अतिचालक, अर्द्धचालक, स्नेहक, उत्प्रेरक, विद्युत तार के निर्माण में। | |||
*एड्स की रोकथाम में सहायक। | |||
*प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में | |||
*उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण तकनीकी रूप से यह कार्बन का महत्त्वपूर्ण अपररूप है। | |||
=== उपधातु लक्षण === | === उपधातु लक्षण === | ||
सिलिकॉन, कार्बन परिवार का दूसरा तत्व, एक उपधातु है। यह अर्ध-संचालन व्यवहार प्रदर्शित करते हुए धातु और अधातु दोनों के गुणों को साझा करता है। | सिलिकॉन, कार्बन परिवार का दूसरा तत्व, एक उपधातु है। यह अर्ध-संचालन व्यवहार प्रदर्शित करते हुए धातु और अधातु दोनों के गुणों को साझा करता है। |
Revision as of 13:07, 5 February 2024
कार्बन परिवार, जिसे आवर्त सारणी में समूह 14 के रूप में भी जाना जाता है, में कार्बन (C), सिलिकॉन (Si), जर्मेनियम (Gr), टिन (Sn), और सीसा Pb) सम्मिलित हैं। कार्बन, सिलिकन, जर्मेनियम, टिन, लेड तथा फ्लेरोवियम समूह 14 के तत्व है। कार्बन प्रकृति में पाया जाना वाला अतिबाहुल्य तत्व है। यह प्रकृति में स्वतंत्र एवं संयुक्त अवस्था में बहुतायत में पाया जाने वाला तत्व है। यह प्रकृति में कोयला, ग्रेफाइट तथा हीरा में मिलता है, जबकि संयुक्त अवस्था में यह धातु कार्बोनेट, हाइड्रोकार्बन तथा वायु में यह कार्बनडाइ ऑक्साइड गैस के रूप में मिलता है।ये तत्व अपने समान इलेक्ट्रॉन विन्यास के कारण कुछ सामान्य रासायनिक गुण साझा करते हैं। यहाँ कार्बन परिवार के कुछ सामान्य रासायनिक गुण हैं:
अणु की संयोजन क्षमता
कार्बन परिवार के सभी तत्वों में चार संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं, क्योंकि वे समूह 14 से संबंधित हैं।
सहसंयोजक बंध बनाने की प्रवृत्ति
कार्बन परिवार के तत्व सामान्यतः सहसंयोजक बंध बनाते हैं, अन्य अधातुओं के साथ इलेक्ट्रॉन साझा करते हैं। कार्बन, विशेष रूप से, सहसंयोजक बंध के माध्यम से लंबी श्रृंखला और विविध संरचनाएं बनाने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
एलोट्रॉपी
कार्बन एलोट्रॉपी प्रदर्शित करता है, जिसका अर्थ है कि यह विभिन्न संरचनात्मक रूपों में उपस्थित हो सकता है। कार्बन के सबसे सामान्य अपरूपों में हीरा, ग्रेफाइट और ग्राफीन सम्मिलित हैं, जिनमें से प्रत्येक में अद्वितीय गुण हैं।
कार्बन अपने दो रूपों में पाया जाता है:
- क्रिस्टलीय रूप
- अक्रिस्टलीय रूप
क्रिस्टलीय रूप
हीरा, ग्रेफाइट और फुलरीन कार्बन के दो प्रमुख क्रिस्टलीय रूप है।
अक्रिस्टलीय रूप
कोल, कोक, काष्ठ, चारकोल, जंतु चारकोल, काजल, गैस कार्बन क्रिस्टलीय रूप है।
हीरा
हीरा कार्बन का सबसे शुद्ध क्रिस्टलीय अपरूप है हीरा कई कार्बन से मिलकर बना होता है, जो एक साथ चतुष्फलकीय रुप से जुड़े होते हैं। हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से घिरे होते हैं और उनसे मजबूत सहसंयोजक आबंध - सबसे मजबूत प्रकार के रासायनिक आबंध द्वारा जुड़े होते हैं। प्रत्येक कार्बन का sp3 संकरण होता है। हीरा में क्रिस्टलीय जालक होता है। कार्बन में प्रत्येक कार्बन चार और कार्बन से जुड़ा होता है प्रत्येक कार्बन की बंध लम्बाई 154 pm होती है। हीरा पृथ्वी पर पाया जाने वाला सर्वाधिक कठोर पदार्थ है। हीरे का गलनांक बहुत उच्च होता है, इसका उपयोग धार तेज करने के लिए अपघर्षक के रूप में तथा विधुत लैंप में टंगस्टन तंतु बनाने में होता है।
हीरा के प्रमुख उपयोग
- कांच को काटने में कटर के रूप में
- आभूषणों के निर्माण में हीरे का उपयोग होता है।
- चट्टानों एवं पत्थर काटने की मशीन में इसका उपयोग होता है।
ग्रेफाइट
ग्रेफाइट (Graphite) ग्रीक भाषा का शब्द है जिसे ग्रेफो से लिया गया है। ग्रेफो का अर्थ होता है लिखना अर्थात इसके द्वारा कागज पर निशान बनाया जा सकता है। ग्रेफाइट (Graphite) को कार्बन का अपरूप पदार्थ माना जाता है। ग्रेफाइट को काला सीसा और प्लबगो के नाम से भी जाना जाता है। यह कार्बन का ही एक खनिज है। ग्रेफाइट एक आधातु पदार्थ है जो विद्युत और ताप का सुचालक होता है। ग्रेफाइट को जब 700℃ का ताप दिया जाता है तो यह जल जाती है और जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है। यह एक परत संरचना होती है जिसमें अनेक परतें होती हैं ये सभी परतें वान्डरवाल बल द्वारा जुडी रहती हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp2 संकरित होता है। ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा अपररूप होता है। इसमें कार्बन परमाणु समान्तर परतों में व्यवस्थित होते हैं। ग्रेफाइट अधातु होकर भी मुलायम और विद्युत का चालक होता है। ग्रेफाइट की संरचना षटकोणीय जालक परत के रूप में होती है। ग्रेफाइट में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाते हैं। जो सम्पूर्ण जालक के रूप में गमन करते हैं। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु विभिन्न परतों में व्यवस्थित होते हैं। जिनमे प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंध के द्वारा जुड़कर षट्कोणीय रेखीय संरचना बनता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त होता है। जो इसे विद्युत का अच्छा चालक बनाता है। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु की विभिन्न परते एक दूसरे स कमजोर बांडर वाल बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। अतः ये एक दुसरे पर फिसल सकती हैं। इसलिए जब हम ग्रेफाइट को छूते हैं तो यह फिसलता है। इसे काला लेड भी कहते हैं।
ग्रेफाइट के प्रमुख उपयोग
- ग्रेफाइट के चूर्ण का उपयोग मशीनों के पुर्जो में स्नेहक के रूप में होता है।
- इसका उपयोग सेलो के इलेक्ट्रोड के रूप में होता है।
- पेंसिल के लिए लेड के रूप में होता है।
फुलरीन
अक्रिय गैसों जैसे हीलियम, आर्गन आदि की उपस्थित में जब ग्रेफाइट को विधुत आर्क में गर्म करते हैं, तब फुलरीन का निर्माण होता है।
फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है। अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया। फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु भी पाए जाते हैं। C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है। C60 विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध की लम्बाई 1.40 A0 होती है। C60 की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलकपंचकोणीय होते हैं। इसकी संरचना फुटबॉल के समान होती है। अतः इसे ‘बकीबॉल’ भी कहा जाता है।
फुलरीन के प्रमुख उपयोग
- अतिचालक, अर्द्धचालक, स्नेहक, उत्प्रेरक, विद्युत तार के निर्माण में।
- एड्स की रोकथाम में सहायक।
- प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में
- उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण तकनीकी रूप से यह कार्बन का महत्त्वपूर्ण अपररूप है।
उपधातु लक्षण
सिलिकॉन, कार्बन परिवार का दूसरा तत्व, एक उपधातु है। यह अर्ध-संचालन व्यवहार प्रदर्शित करते हुए धातु और अधातु दोनों के गुणों को साझा करता है।
धात्विक गुण में वृद्धि
जैसे-जैसे आप कार्बन परिवार में नीचे जाते हैं, धात्विक गुण बढ़ते जाते हैं। कार्बन और सिलिकॉन अधातु हैं, जर्मेनियम एक उपधातु है, और टिन और लेड धातु हैं।
ऑक्सीकरण अवस्थाएँ
कार्बन परिवार के तत्व कई ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित कर सकते हैं। कार्बन सामान्य तौर पर -4 (मीथेन जैसे यौगिकों में) और +4 (कार्बन डाइऑक्साइड जैसे यौगिकों में) की ऑक्सीकरण अवस्था दिखाता है। परिवार के अन्य तत्व भी ऑक्सीकरण अवस्थाओं की एक श्रृंखला दिखाते हैं।
ऑक्सीजन के साथ अभिक्रियाशीलता
कार्बन ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाता है, जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)। परिवार के अन्य तत्व भी ऑक्सीजन के साथ ऑक्साइड बनाते हैं, लेकिन ऑक्साइड की प्रकृति भिन्न हो सकती है।
टेट्राहाइड्राइड्स बनाने की प्रवृत्ति
कार्बन परिवार के तत्व टेट्राहाइड्राइड (चार हाइड्रोजन परमाणुओं वाले यौगिक) बनाते हैं, जैसे मीथेन (CH4), सिलेन (SiH4), और स्टैनेन (SnH4)।
धात्विक व्यवहार में परिवर्तन
जैसे-जैसे आप कार्बन परिवार में नीचे जाते हैं, अधातु से धात्विक व्यवहार में संक्रमण होता है। कार्बन और सिलिकॉन अधातु हैं, जर्मेनियम एक उपधातु है, और टिन और सीसा बढ़ते धात्विक गुणों वाली धातुएँ हैं।
ये सामान्य गुण कार्बन परिवार के रासायनिक व्यवहार का एक सिंहावलोकन प्रदान करते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि व्यक्तिगत तत्वों में अद्वितीय विशेषताएं और प्रतिक्रियाशीलता पैटर्न हो सकते हैं।