गुरत्व तरंगें: Difference between revisions
Listen
Line 7: | Line 7: | ||
== व्यापक स्तर पर == | == व्यापक स्तर पर == | ||
गुरुत्वाकर्षण तरंगें व्यापक स्तर पर वस्तुओं को त्वरता प्रदान करने पर उत्पन्न होती हैं | गुरुत्वाकर्षण तरंगें, व्यापक स्तर पर वस्तुओं को त्वरता प्रदान करने पर उत्पन्न होती हैं । इसका उदाहरण न्यूट्रॉन-तारों की युग्मक प्रणाली (बाइनरी सिस्टम) या एक दूसरे की परिक्रमा करने वाले कृष्ण विवर (ब्लैक होल)। जब ये विशाल वस्तुएँ एक-दूसरे के चारों ओर घूमती हैं, तो वे अपने चारों ओर के समष्टि काल में अस्थिरता उत्पन्न करती हैं, जिससे नवीन तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो प्रकाश की गति से बाहर की ओर फैलती हैं। इन्हीं तरंगों को गुरुत्वीय तरंगें के नाम से जाना जाता है। | ||
गुरुत्वाकर्षण तरंगें अविश्वसनीय रूप से क्षीण और दुर्लभ होती हैं। वे ब्रह्मांड के माध्यम से विशाल दूरी की यात्रा कर सकते हैं, वस्तुतः हस्तक्षेप करने वाले पदार्थ से अप्रभावित। हालाँकि, जैसे ही वे समष्टि काल में समाहित होती हैं, वे वस्तुओं के मध्य,लघु-अस्थिरता (छोटे उतार-चढ़ाव) का कारण बनते हैं। वास्तव में वैज्ञानिक अनुसंधान का मुख्य लक्ष्य इन अस्थिरताओं का पता लगाना और मापना रहता है। | गुरुत्वाकर्षण तरंगें अविश्वसनीय रूप से क्षीण और दुर्लभ होती हैं। वे ब्रह्मांड के माध्यम से विशाल दूरी की यात्रा कर सकते हैं, वस्तुतः हस्तक्षेप करने वाले पदार्थ से अप्रभावित। हालाँकि, जैसे ही वे समष्टि काल में समाहित होती हैं, वे वस्तुओं के मध्य,लघु-अस्थिरता (छोटे उतार-चढ़ाव) का कारण बनते हैं। वास्तव में वैज्ञानिक अनुसंधान का मुख्य लक्ष्य इन अस्थिरताओं का पता लगाना और मापना रहता है। |
Revision as of 11:40, 26 March 2024
Gravity waves
भौतिकी में, गुरुत्वीय तरंगें (गुरुत्वाकर्षण तरंगें नहीं) समष्टि काल (स्पेस-टाइम अथवा अंतरिक्ष-समय) के ताने-बाने में तरंगें होती हैं जो बदलते द्रव्यमान वितरण के साथ स्रोतों से बाहर की ओर फैलती हैं। इनकी खोज की कहानी आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत की एक मौलिक भविष्यवाणी से हुई ।
सरोवर दृष्टांत रूप में
गुरुत्वाकर्षण तरंगें के व्यवहार ज्ञात करने के लीए उस एक सरोवर की सतह पर उठने वाली तरंगों (लहरों) के आचरण को परिकल्पित करना होगा, जिसमे एक पाषाण (पत्थर) फेंका गया हो । इस दृष्टांत में सरोवर की सतह से विलग, उस ब्रह्मांड की कल्पना निहित है जिसके ताने-बाने में इस प्रकार के घटना क्रम होते रहते हैं।
व्यापक स्तर पर
गुरुत्वाकर्षण तरंगें, व्यापक स्तर पर वस्तुओं को त्वरता प्रदान करने पर उत्पन्न होती हैं । इसका उदाहरण न्यूट्रॉन-तारों की युग्मक प्रणाली (बाइनरी सिस्टम) या एक दूसरे की परिक्रमा करने वाले कृष्ण विवर (ब्लैक होल)। जब ये विशाल वस्तुएँ एक-दूसरे के चारों ओर घूमती हैं, तो वे अपने चारों ओर के समष्टि काल में अस्थिरता उत्पन्न करती हैं, जिससे नवीन तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो प्रकाश की गति से बाहर की ओर फैलती हैं। इन्हीं तरंगों को गुरुत्वीय तरंगें के नाम से जाना जाता है।
गुरुत्वाकर्षण तरंगें अविश्वसनीय रूप से क्षीण और दुर्लभ होती हैं। वे ब्रह्मांड के माध्यम से विशाल दूरी की यात्रा कर सकते हैं, वस्तुतः हस्तक्षेप करने वाले पदार्थ से अप्रभावित। हालाँकि, जैसे ही वे समष्टि काल में समाहित होती हैं, वे वस्तुओं के मध्य,लघु-अस्थिरता (छोटे उतार-चढ़ाव) का कारण बनते हैं। वास्तव में वैज्ञानिक अनुसंधान का मुख्य लक्ष्य इन अस्थिरताओं का पता लगाना और मापना रहता है।
गुरुत्वाकर्षण तरंगों का प्रत्यक्ष प्रमाण
21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियों में से एक है । 2015 में, लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (LIGO) ने दो ब्लैक होल के विलय से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पहला प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इस विलक्षण अन्वेशण ने गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अस्तित्व की पुष्टि की और ब्रह्मांड का पता लगाने के लिए एक नवीन पथ प्रदर्शित कर दीया ।
संक्षेप में
गुरुत्वाकर्षण तरंगें खगोल भौतिकी और मौलिक भौतिकी में अद्वितीय अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। गुरुत्वाकर्षण तरंग संकेतों का अवलोकन और विश्लेषण करके, वैज्ञानिक ब्लैक होल, न्यूट्रॉन सितारों और अन्य विदेशी वस्तुओं के गुणों का अध्ययन कर सकते हैं। वे गुरुत्वाकर्षण की प्रकृति की भी जांच कर सकते हैं और चरम स्थितियों में आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत का परीक्षण कर सकते हैं।
गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने के लिए अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों और परिष्कृत तकनीकों की आवश्यकता होती है।