गुरत्व तरंगें: Difference between revisions
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साधारणतः जब कोई द्रव, संतुलन की स्थिति से विस्थापित होता है, तो गुरुत्व तरंग उत्पन्न होती है। तरल पदार्थ के संतुलन को पुनः स्थापित करने में तरल पदार्थ की गम-आगम गति उत्पन्न होती है, जिसे तरंगित अवस्था कहा जाता है। समुद्र के वायु-समुद्र अंतरापृष्ठ (इंटरफ़ेस) पर गुरुत्व तरंगों को सतही गुरुत्व तरंगें (एक प्रकार की सतही तरंग) कहा जाता है, जबकि गुरुत्व तरंगें जो जलमग्न होती हैं (जैसे कि विभिन्न घनत्व वाले भागों के बीच) आंतरिक तरंगें कहलाती हैं। जल की सतह पर वायु से उत्पन्न तरंगें, गुरुत्व तरंगों के उदाहरण हैं, जैसे सुनामी और समुद्री ज्वार हैं। | साधारणतः जब कोई द्रव, संतुलन की स्थिति से विस्थापित होता है, तो गुरुत्व तरंग उत्पन्न होती है। तरल पदार्थ के संतुलन को पुनः स्थापित करने में तरल पदार्थ की गम-आगम गति उत्पन्न होती है, जिसे तरंगित अवस्था कहा जाता है। समुद्र के वायु-समुद्र अंतरापृष्ठ (इंटरफ़ेस) पर गुरुत्व तरंगों को सतही गुरुत्व तरंगें (एक प्रकार की सतही तरंग) कहा जाता है, जबकि गुरुत्व तरंगें जो जलमग्न होती हैं (जैसे कि विभिन्न घनत्व वाले भागों के बीच) आंतरिक तरंगें कहलाती हैं। जल की सतह पर वायु से उत्पन्न तरंगें, गुरुत्व तरंगों के उदाहरण हैं, जैसे सुनामी और समुद्री ज्वार हैं। | ||
पृथ्वी | पृथ्वी पर, सरोवरों ,समुद्रों और महासागरों की मुक्त सतह पर वायु-जल अंतरापृष्ठ पर उत्पन्न गुरुत्व तरंगों की अवधि मुख्य रूप से 0.3 और 30 सेकंड (3 हर्ट्ज और 30 मेगाहर्ट्ज के बीच आवृत्तियों के अनुरूप) के बीच होती है। छोटी तरंगें भी सतह के तनाव से प्रभावित होती हैं और इन्हें गुरुत्वा-केशिका तरंगें और (यदि गुरुत्व से संभवतः प्रभावित हो) केशिका तरंगें कहा जाता है। वैकल्पिक रूप से, तथाकथित अध:गुरत्व (इन्फ्राग्रैविटी) तरंगें, जो वायु की तरंगों के साथ अवसंनादी-अरैखिक (सबहार्मोनिक नॉनलाइनियर) तरंग संपर्क के कारण उद्भवित होती हैं, उनकी अवधि वायु से उत्पन्न तरंगों की तुलना में अधिक दीर्घ होती है। | ||
== सरोवर दृष्टांत रूप में == | == सरोवर दृष्टांत रूप में == | ||
गुरुत्वाकर्षण तरंगें के व्यवहार ज्ञात करने के लीए उस एक सरोवर की सतह पर उठने वाली तरंगों (लहरों) के आचरण को परिकल्पित करना | गुरुत्वाकर्षण तरंगें के व्यवहार ज्ञात करने के लीए उस एक सरोवर की सतह पर उठने वाली तरंगों (लहरों) के आचरण को परिकल्पित करना श्रेयस्कर होता है, जिसमे एक पाषाण (पत्थर) फेंका गया हो । इस दृष्टांत में सरोवर की सतह से विलग, उस ब्रह्मांड की कल्पना निहित है जिसके आधारभूत (ताने-बाने में) इस प्रकार के घटना क्रम होते रहते हैं। | ||
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गुरुत्वाकर्षण तरंगें खगोल भौतिकी और मौलिक भौतिकी में अद्वितीय अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। गुरुत्वाकर्षण तरंग संकेतों का अवलोकन और विश्लेषण करके, वैज्ञानिक ब्लैक होल, न्यूट्रॉन सितारों और अन्य विदेशी वस्तुओं के गुणों का अध्ययन कर सकते हैं। वे गुरुत्वाकर्षण की प्रकृति की भी जांच कर सकते हैं और चरम स्थितियों में आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत का परीक्षण कर सकते हैं। | गुरुत्वाकर्षण तरंगें खगोल भौतिकी और मौलिक भौतिकी में अद्वितीय अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। गुरुत्वाकर्षण तरंग संकेतों का अवलोकन और विश्लेषण करके, वैज्ञानिक ब्लैक होल, न्यूट्रॉन सितारों और अन्य विदेशी वस्तुओं के गुणों का अध्ययन कर सकते हैं। वे गुरुत्वाकर्षण की प्रकृति की भी जांच कर सकते हैं और चरम स्थितियों में आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत का परीक्षण कर सकते हैं। | ||
गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने के लिए अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों और परिष्कृत तकनीकों की आवश्यकता होती है। | गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने के लिए अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों और परिष्कृत तकनीकों की आवश्यकता होती है। | ||
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Revision as of 19:50, 26 March 2024
Gravity waves
द्रव गतिकी में,द्रव माध्यम को पृष्ठरूप में दर्शाया जाता है । ऐसे में , गुरुत्व तरंगें का उद्भव ,द्रव माध्यम में या दो माध्यमों के अंतरापृष्ठ ( आंग्ल भाषा में इंटरफ़ेस ) पर उत्पन्न तरंगों के रूप में होता है।
उद्भव
इन तरंगों का उद्भव तब होता है,जब किसी सर्वभौमिक घटना में निहित, कोई घटित अवस्था,गुरुत्व बल या उत्प्लावक साम्य के वशीभूत हो कर पुनः पूर्व स्थापित अवस्था में स्थित होने का प्रयास करती है। एक उदाहरण वायुमंडल और महासागर के मध्य स्थितःऐसे अंतरापृष्ठ (इंटरफ़ेस) की वह स्थिती है, जो वायु मंडलीय तरंगों को जन्म देती है।
साधारण उदाहरण
साधारणतः जब कोई द्रव, संतुलन की स्थिति से विस्थापित होता है, तो गुरुत्व तरंग उत्पन्न होती है। तरल पदार्थ के संतुलन को पुनः स्थापित करने में तरल पदार्थ की गम-आगम गति उत्पन्न होती है, जिसे तरंगित अवस्था कहा जाता है। समुद्र के वायु-समुद्र अंतरापृष्ठ (इंटरफ़ेस) पर गुरुत्व तरंगों को सतही गुरुत्व तरंगें (एक प्रकार की सतही तरंग) कहा जाता है, जबकि गुरुत्व तरंगें जो जलमग्न होती हैं (जैसे कि विभिन्न घनत्व वाले भागों के बीच) आंतरिक तरंगें कहलाती हैं। जल की सतह पर वायु से उत्पन्न तरंगें, गुरुत्व तरंगों के उदाहरण हैं, जैसे सुनामी और समुद्री ज्वार हैं।
पृथ्वी पर, सरोवरों ,समुद्रों और महासागरों की मुक्त सतह पर वायु-जल अंतरापृष्ठ पर उत्पन्न गुरुत्व तरंगों की अवधि मुख्य रूप से 0.3 और 30 सेकंड (3 हर्ट्ज और 30 मेगाहर्ट्ज के बीच आवृत्तियों के अनुरूप) के बीच होती है। छोटी तरंगें भी सतह के तनाव से प्रभावित होती हैं और इन्हें गुरुत्वा-केशिका तरंगें और (यदि गुरुत्व से संभवतः प्रभावित हो) केशिका तरंगें कहा जाता है। वैकल्पिक रूप से, तथाकथित अध:गुरत्व (इन्फ्राग्रैविटी) तरंगें, जो वायु की तरंगों के साथ अवसंनादी-अरैखिक (सबहार्मोनिक नॉनलाइनियर) तरंग संपर्क के कारण उद्भवित होती हैं, उनकी अवधि वायु से उत्पन्न तरंगों की तुलना में अधिक दीर्घ होती है।
सरोवर दृष्टांत रूप में
गुरुत्वाकर्षण तरंगें के व्यवहार ज्ञात करने के लीए उस एक सरोवर की सतह पर उठने वाली तरंगों (लहरों) के आचरण को परिकल्पित करना श्रेयस्कर होता है, जिसमे एक पाषाण (पत्थर) फेंका गया हो । इस दृष्टांत में सरोवर की सतह से विलग, उस ब्रह्मांड की कल्पना निहित है जिसके आधारभूत (ताने-बाने में) इस प्रकार के घटना क्रम होते रहते हैं।
व्यापक स्तर पर गुरुत्वाकर्षण तरंगें
खगोलीय वस्तुओं व ब्रह्मांडीय स्तर पर त्वरता,गुरुत्वाकर्षण तरंगो का कारक हैं ।
गुरुत्वाकर्षण तरंगों के उदाहरण
- न्यूट्रॉन-तारों की युग्मक प्रणाली (बाइनरी सिस्टम)।
- एक दूसरे की परिक्रमा करने वाले कृष्ण विवर (ब्लैक होल)।
जब ये विशाल वस्तुएँ एक-दूसरे के चारों ओर घूमती हैं, तो वे अपने चारों ओर के समष्टि काल में अस्थिरता उत्पन्न करती हैं, जिससे नवीन तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो प्रकाश की गति से बाहर की ओर फैलती हैं। इन्हीं तरंगों को गुरुत्वीय तरंगें के नाम से जाना जाता है।
गुरुत्वाकर्षण तरंगें अविश्वसनीय रूप से क्षीण और दुर्लभ होती हैं। वे ब्रह्मांड के माध्यम से विशाल दूरी की यात्रा कर सकते हैं, वस्तुतः हस्तक्षेप करने वाले पदार्थ से अप्रभावित। हालाँकि, जैसे ही वे समष्टि काल में समाहित होती हैं, वे वस्तुओं के मध्य,लघु-अस्थिरता (छोटे उतार-चढ़ाव) का कारण बनते हैं। वास्तव में वैज्ञानिक अनुसंधान का मुख्य लक्ष्य इन अस्थिरताओं का पता लगाना और मापना रहता है।
गुरुत्वाकर्षण तरंगों का प्रत्यक्ष प्रमाण
21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियों में से एक है । 2015 में, लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (LIGO) ने दो ब्लैक होल के विलय से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पहला प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इस विलक्षण अन्वेशण ने गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अस्तित्व की पुष्टि की और ब्रह्मांड का पता लगाने के लिए एक नवीन पथ प्रदर्शित कर दीया ।
संक्षेप में
गुरुत्वाकर्षण तरंगें खगोल भौतिकी और मौलिक भौतिकी में अद्वितीय अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। गुरुत्वाकर्षण तरंग संकेतों का अवलोकन और विश्लेषण करके, वैज्ञानिक ब्लैक होल, न्यूट्रॉन सितारों और अन्य विदेशी वस्तुओं के गुणों का अध्ययन कर सकते हैं। वे गुरुत्वाकर्षण की प्रकृति की भी जांच कर सकते हैं और चरम स्थितियों में आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत का परीक्षण कर सकते हैं।
गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने के लिए अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों और परिष्कृत तकनीकों की आवश्यकता होती है।