अवनमक: Difference between revisions
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फेन प्लवन विधि में अवनमक एक घटक (अशुद्धि) के साथ संकुल बना लेता है एवं इसे झाग बनने से रोकता है। NaCN, ZnS के लिए अवनमक का कार्य करता है। Pbs के लिए नहीं। अत: किसी अयस्क में PbS तथा Zns दोनों उपस्थित हैं तो फेन प्लवन विधि में केवल PbS ही फेन बनाता है इसलिए इस विधि से PbS को ZnS से पृथक् किया जा सकता है। | |||
===उदाहरण=== | |||
ज़िंक सल्फाइड में NaCN अवनमक के रूप में प्रयोग किया जाता है जिससे एक संकर यौगिक प्राप्त होता है यह फेन बंनने से रोकता है। | |||
<chem>ZnS + NaCN -> Na2[Zn(CN)4] + Na2S</chem> | |||
== फेन प्लवन विधि == | |||
धातुओं को उनके अयस्कों से स्वतंत्र और शुद्ध अवस्था में प्राप्त करने की प्रक्रिया को धातुकर्म या धातु का निष्कर्षण कहते हैं तथा इस प्रक्रिया में होने वाली अभिक्रियाएँ धातुकर्म कहलाती हैं। | |||
===धातुओं का निष्कर्षण=== | |||
भूमिगत गहराई में दबे धातु के अयस्कों को निकालने की प्रक्रिया को खनन कहा जाता है। अयस्कों से धातुओं का निष्कर्षण करने से हमे धातु प्राप्त होती है जिससे हम उसे अयस्क के रूप में प्रयोग करते हैं। अयस्क उन तैयार धातुओं से बहुत भिन्न होते हैं जिन्हें हम इमारतों और पुलों में देखते हैं। अयस्कों में उपस्थित धातु के आलावा जो भी अशुद्धियाँ होती हैं उन्हें गैंग कहा जाता है। धातुओं का निष्कर्षण और उनका पृथक्करण कुछ प्रमुख चरणों में होता है: | |||
*अयस्क की सांद्रता | |||
*अयस्क से धातु का पृथक्करण | |||
*धातु का शुद्धिकरण | |||
===अयस्क की सांद्रता=== | |||
फेन प्लवन विधि का उपयोग सल्फाइड अयस्क के सांद्रण में प्रयुक्त की जाती है। फेन प्लवन विधि में बारीक पिसे हुए सल्फाइड अयस्क को जल तथा चीण के तेल में मिलाकर टैंक में मिलाते हैं, बारीक पिसे हुए अयस्क को जल तथा तेल के मिश्रण में डालकर ऊपर से गर्म वायु प्रवाहित की जाती है। अशुद्ध अयस्क तेल के साथ झाग (फेन) बनाकर ऊपर तैरने लगता है जिससे शुद्ध अयस्क झाग के रूप में ऊपर आ जाता है और अशुद्धियाँ तली में बैठ जाती हैं। | |||
सिल्वर ग्लांस - Ag<sub>2</sub>S | |||
कॉपर ग्लांस - Cu<sub>2</sub>S | |||
कॉपर पाइराइट - CuFeS<sub>2</sub> | |||
गैलना - PbS | |||
==अभ्यास प्रश्न== | |||
*धातुकर्म से आप क्या समझते हैं? | |||
*खनिज से आप क्या समझते हैं? | |||
*ताँबा के कुछ प्रमुख अयस्क कौन कौन से हैं? | |||
*फेन प्लवन विधि किन अयस्कों के सांद्रण प्रयुक्त किये जाते हैं। |
Revision as of 13:07, 3 May 2024
फेन प्लवन विधि में अवनमक एक घटक (अशुद्धि) के साथ संकुल बना लेता है एवं इसे झाग बनने से रोकता है। NaCN, ZnS के लिए अवनमक का कार्य करता है। Pbs के लिए नहीं। अत: किसी अयस्क में PbS तथा Zns दोनों उपस्थित हैं तो फेन प्लवन विधि में केवल PbS ही फेन बनाता है इसलिए इस विधि से PbS को ZnS से पृथक् किया जा सकता है।
उदाहरण
ज़िंक सल्फाइड में NaCN अवनमक के रूप में प्रयोग किया जाता है जिससे एक संकर यौगिक प्राप्त होता है यह फेन बंनने से रोकता है।
फेन प्लवन विधि
धातुओं को उनके अयस्कों से स्वतंत्र और शुद्ध अवस्था में प्राप्त करने की प्रक्रिया को धातुकर्म या धातु का निष्कर्षण कहते हैं तथा इस प्रक्रिया में होने वाली अभिक्रियाएँ धातुकर्म कहलाती हैं।
धातुओं का निष्कर्षण
भूमिगत गहराई में दबे धातु के अयस्कों को निकालने की प्रक्रिया को खनन कहा जाता है। अयस्कों से धातुओं का निष्कर्षण करने से हमे धातु प्राप्त होती है जिससे हम उसे अयस्क के रूप में प्रयोग करते हैं। अयस्क उन तैयार धातुओं से बहुत भिन्न होते हैं जिन्हें हम इमारतों और पुलों में देखते हैं। अयस्कों में उपस्थित धातु के आलावा जो भी अशुद्धियाँ होती हैं उन्हें गैंग कहा जाता है। धातुओं का निष्कर्षण और उनका पृथक्करण कुछ प्रमुख चरणों में होता है:
- अयस्क की सांद्रता
- अयस्क से धातु का पृथक्करण
- धातु का शुद्धिकरण
अयस्क की सांद्रता
फेन प्लवन विधि का उपयोग सल्फाइड अयस्क के सांद्रण में प्रयुक्त की जाती है। फेन प्लवन विधि में बारीक पिसे हुए सल्फाइड अयस्क को जल तथा चीण के तेल में मिलाकर टैंक में मिलाते हैं, बारीक पिसे हुए अयस्क को जल तथा तेल के मिश्रण में डालकर ऊपर से गर्म वायु प्रवाहित की जाती है। अशुद्ध अयस्क तेल के साथ झाग (फेन) बनाकर ऊपर तैरने लगता है जिससे शुद्ध अयस्क झाग के रूप में ऊपर आ जाता है और अशुद्धियाँ तली में बैठ जाती हैं।
सिल्वर ग्लांस - Ag2S
कॉपर ग्लांस - Cu2S
कॉपर पाइराइट - CuFeS2
गैलना - PbS
अभ्यास प्रश्न
- धातुकर्म से आप क्या समझते हैं?
- खनिज से आप क्या समझते हैं?
- ताँबा के कुछ प्रमुख अयस्क कौन कौन से हैं?
- फेन प्लवन विधि किन अयस्कों के सांद्रण प्रयुक्त किये जाते हैं।