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कोई भी प्रजाति (आयन या अणु) जिसमें धातु धनायन या परमाणु के लिए कम से कम एक अकेला इलेक्ट्रॉन जोड़ा होता है, उसे | कोई भी प्रजाति ([[आयन]] या [[अणु]]) जिसमें धातु धनायन या [[परमाणु]] के लिए कम से कम एक अकेला इलेक्ट्रॉन जोड़ा होता है, उसे लिगेंड कहा जाता है। चूंकि एक लिगेंड में [[इलेक्ट्रॉन]] अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं, इसलिए इसे लुइस क्षार या न्यूक्लियोफाइल भी कहा जाता है। | ||
वे यौगिक जो दो या दो से अधिक लवण से मिलकर बना होता है, और विलयन में अपना स्थायित्व बनाये रखते हैं उपसहसंयोजक यौगिक (Coordination Compound) कहलाते हैं अर्थात वे यौगिक जो ठोस और द्रव दोनों अवस्थाओं में अपना स्थायित्व बनाये रखते है उपसहसंयोजक यौगिक कहलाते हैं। ये किसी भी विलयन में वियोजित नही होते। उपसहसंयोजक आयनों को वर्गाकार कोष्ठकों का उपयोग करके दिखाया गया है। इन आयनों वाले यौगिकों को उपसहसंयोजक यौगिक कहा जाता है। उपसहसंयोजक रसायन अकार्बनिक रसायन विज्ञान की वह शाखा है जो उपसहसंयोजक यौगिकों के अध्ययन से संबंधित है। उपसहसंयोजन यौगिक के संरचना सूत्र में केन्द्रीय धातु धनायन या परमाणु तथा उससे जुड़े लिगेन्ड को वर्ग कोष्ठक [ ] में लिखा जाता है जिसे उपसहसंयोजन क्षेत्र कहते हैं उसे आयनीकरण क्षेत्र या प्रतिआयन कहते हैं। लिगेन्ड, धातु धनायन या परमाणु से सीधे जुड़ा होता है, दाता परमाणु कहलाता है और धातु धनायन या परमाणु से जुड़े दाता परमाणुओं की संख्या को समन्वय संख्या कहा जाता है। | वे यौगिक जो दो या दो से अधिक लवण से मिलकर बना होता है, और [[विलयन]] में अपना स्थायित्व बनाये रखते हैं उपसहसंयोजक यौगिक (Coordination Compound) कहलाते हैं अर्थात वे यौगिक जो ठोस और द्रव दोनों अवस्थाओं में अपना स्थायित्व बनाये रखते है उपसहसंयोजक यौगिक कहलाते हैं। ये किसी भी विलयन में वियोजित नही होते। उपसहसंयोजक आयनों को वर्गाकार कोष्ठकों का उपयोग करके दिखाया गया है। इन आयनों वाले यौगिकों को उपसहसंयोजक यौगिक कहा जाता है। उपसहसंयोजक रसायन अकार्बनिक रसायन विज्ञान की वह शाखा है जो उपसहसंयोजक यौगिकों के अध्ययन से संबंधित है। उपसहसंयोजन यौगिक के संरचना सूत्र में केन्द्रीय धातु धनायन या परमाणु तथा उससे जुड़े लिगेन्ड को वर्ग कोष्ठक [ ] में लिखा जाता है जिसे उपसहसंयोजन क्षेत्र कहते हैं उसे आयनीकरण क्षेत्र या प्रतिआयन कहते हैं। लिगेन्ड, धातु धनायन या परमाणु से सीधे जुड़ा होता है, दाता परमाणु कहलाता है और धातु धनायन या परमाणु से जुड़े दाता परमाणुओं की संख्या को समन्वय संख्या कहा जाता है। | ||
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K<sub>4</sub>[Fe(CN)<sub>6</sub>], [Ag(NH<sub>3</sub>)<sub>2</sub>] Cl[[File:Hexol-2D-wedged.png|thumb|हेक्सोल|link=https://alpha.indicwiki.in/index.php?title=File:Hexol-2D-wedged.png]]उपसहसंयोजक यौगिक में एक धातु आयन होता है जिसको लिगेण्ड (Ligand) इलेक्ट्रॉन देते हैं, इसमें धातु और लिगेण्ड के मध्य उपसहसंयोजक बंध बनता है। जो तत्व इलेक्ट्रान युग्म देता है वह दाता कहलाता है और दूसरा वाला जो तत्व इलेक्ट्रान युग्म लेता है ग्राही कहलाता है। यौगिकों में दो, या दो से अधिक, किस्म के दाता रह सकते हैं। केंद्र स्थित धात्विक आयनों में दाता समूहों की संख्या प्रत्येक धात्विक आयन के लिए निश्चित रहती है। ऐसी संख्या को उपसहसंयोजक संख्या (Coordination Number) कहते हैं। सिडविक (Sidgwick) के अनुसार यह संख्या तत्वों की परमाणु संख्या पर निर्भर करती है। यह दो से छह तक हो सकती है। कोई भी प्रजाति (आयन या अणु) जिसमें कम से कम एक इलेक्ट्रॉन युग्म होता है और जो अपने एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म को धातु धनायन या परमाणु को दान कर सकता है, लिगेंड कहलाता है। चूंकि लिगेंड एक इलेक्ट्रॉन दाता प्रजाति है और यह धातु धनायन या परमाणु उपसहसंयोजक बंध के लिए इलेक्ट्रॉनों की एक जोड़ी (लिगेंड के एक दाता परमाणु द्वारा एक जोड़ी) को स्वीकार कर सकता है और गठित किया जा सकता है और इस तरह बने उत्पाद को उपसहसंयोजक यौगिक कहा जाता है। इस प्रकार, एक यौगिक जिसमें एक धातु धनायन या परमाणु लिगेंड के एक समूह से समन्वयित बंधों से जुड़ा होता है, समन्वय यौगिक या जटिल यौगिक कहलाता है। | K<sub>4</sub>[Fe(CN)<sub>6</sub>], [Ag(NH<sub>3</sub>)<sub>2</sub>] Cl[[File:Hexol-2D-wedged.png|thumb|हेक्सोल|link=https://alpha.indicwiki.in/index.php?title=File:Hexol-2D-wedged.png]]उपसहसंयोजक यौगिक में एक धातु आयन होता है जिसको लिगेण्ड (Ligand) इलेक्ट्रॉन देते हैं, इसमें धातु और लिगेण्ड के मध्य उपसहसंयोजक बंध बनता है। जो तत्व इलेक्ट्रान युग्म देता है वह दाता कहलाता है और दूसरा वाला जो तत्व इलेक्ट्रान युग्म लेता है ग्राही कहलाता है। यौगिकों में दो, या दो से अधिक, किस्म के दाता रह सकते हैं। केंद्र स्थित धात्विक आयनों में दाता समूहों की संख्या प्रत्येक धात्विक आयन के लिए निश्चित रहती है। ऐसी संख्या को उपसहसंयोजक संख्या (Coordination Number) कहते हैं। सिडविक (Sidgwick) के अनुसार यह संख्या तत्वों की परमाणु संख्या पर निर्भर करती है। यह दो से छह तक हो सकती है। कोई भी प्रजाति (आयन या अणु) जिसमें कम से कम एक इलेक्ट्रॉन युग्म होता है और जो अपने एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म को धातु धनायन या परमाणु को दान कर सकता है, लिगेंड कहलाता है। चूंकि लिगेंड एक इलेक्ट्रॉन दाता प्रजाति है और यह धातु धनायन या परमाणु उपसहसंयोजक बंध के लिए इलेक्ट्रॉनों की एक जोड़ी (लिगेंड के एक दाता परमाणु द्वारा एक जोड़ी) को स्वीकार कर सकता है और गठित किया जा सकता है और इस तरह बने उत्पाद को उपसहसंयोजक यौगिक कहा जाता है। इस प्रकार, एक यौगिक जिसमें एक धातु धनायन या परमाणु लिगेंड के एक समूह से समन्वयित बंधों से जुड़ा होता है, समन्वय यौगिक या जटिल यौगिक कहलाता है। |
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कोई भी प्रजाति (आयन या अणु) जिसमें धातु धनायन या परमाणु के लिए कम से कम एक अकेला इलेक्ट्रॉन जोड़ा होता है, उसे लिगेंड कहा जाता है। चूंकि एक लिगेंड में इलेक्ट्रॉन अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं, इसलिए इसे लुइस क्षार या न्यूक्लियोफाइल भी कहा जाता है।
वे यौगिक जो दो या दो से अधिक लवण से मिलकर बना होता है, और विलयन में अपना स्थायित्व बनाये रखते हैं उपसहसंयोजक यौगिक (Coordination Compound) कहलाते हैं अर्थात वे यौगिक जो ठोस और द्रव दोनों अवस्थाओं में अपना स्थायित्व बनाये रखते है उपसहसंयोजक यौगिक कहलाते हैं। ये किसी भी विलयन में वियोजित नही होते। उपसहसंयोजक आयनों को वर्गाकार कोष्ठकों का उपयोग करके दिखाया गया है। इन आयनों वाले यौगिकों को उपसहसंयोजक यौगिक कहा जाता है। उपसहसंयोजक रसायन अकार्बनिक रसायन विज्ञान की वह शाखा है जो उपसहसंयोजक यौगिकों के अध्ययन से संबंधित है। उपसहसंयोजन यौगिक के संरचना सूत्र में केन्द्रीय धातु धनायन या परमाणु तथा उससे जुड़े लिगेन्ड को वर्ग कोष्ठक [ ] में लिखा जाता है जिसे उपसहसंयोजन क्षेत्र कहते हैं उसे आयनीकरण क्षेत्र या प्रतिआयन कहते हैं। लिगेन्ड, धातु धनायन या परमाणु से सीधे जुड़ा होता है, दाता परमाणु कहलाता है और धातु धनायन या परमाणु से जुड़े दाता परमाणुओं की संख्या को समन्वय संख्या कहा जाता है।
उदाहरण
K4[Fe(CN)6], [Ag(NH3)2] Cl
उपसहसंयोजक यौगिक में एक धातु आयन होता है जिसको लिगेण्ड (Ligand) इलेक्ट्रॉन देते हैं, इसमें धातु और लिगेण्ड के मध्य उपसहसंयोजक बंध बनता है। जो तत्व इलेक्ट्रान युग्म देता है वह दाता कहलाता है और दूसरा वाला जो तत्व इलेक्ट्रान युग्म लेता है ग्राही कहलाता है। यौगिकों में दो, या दो से अधिक, किस्म के दाता रह सकते हैं। केंद्र स्थित धात्विक आयनों में दाता समूहों की संख्या प्रत्येक धात्विक आयन के लिए निश्चित रहती है। ऐसी संख्या को उपसहसंयोजक संख्या (Coordination Number) कहते हैं। सिडविक (Sidgwick) के अनुसार यह संख्या तत्वों की परमाणु संख्या पर निर्भर करती है। यह दो से छह तक हो सकती है। कोई भी प्रजाति (आयन या अणु) जिसमें कम से कम एक इलेक्ट्रॉन युग्म होता है और जो अपने एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म को धातु धनायन या परमाणु को दान कर सकता है, लिगेंड कहलाता है। चूंकि लिगेंड एक इलेक्ट्रॉन दाता प्रजाति है और यह धातु धनायन या परमाणु उपसहसंयोजक बंध के लिए इलेक्ट्रॉनों की एक जोड़ी (लिगेंड के एक दाता परमाणु द्वारा एक जोड़ी) को स्वीकार कर सकता है और गठित किया जा सकता है और इस तरह बने उत्पाद को उपसहसंयोजक यौगिक कहा जाता है। इस प्रकार, एक यौगिक जिसमें एक धातु धनायन या परमाणु लिगेंड के एक समूह से समन्वयित बंधों से जुड़ा होता है, समन्वय यौगिक या जटिल यौगिक कहलाता है।
लिगेंड के आधार पर उपसहसंयोजक यौगिकों के प्रकार
लिगेंड के आधार पर उपसहसंयोजक यौगिक दो प्रकार के होते हैं
होमोलिप्टिक उपसहसंयोजक यौगिक
वह उपसहसंयोजक यौगिक जिसमें केंद्रीय धातु परमाणु या आयन केवल एक ही प्रकार के दाता समूह से जुड़ा होता है तो उसे होमोलिप्टिक संकर कहते हैं।
उदाहरण
K4[Fe(CN)6] , [Ni(CO)4]
हेट्रोलेप्टिक उपसहसंयोजक यौगिक
वह उपसहसंयोजक यौगिक जिसमें केंद्रीय धातु परमाणु या आयन एक से अधिक प्रकार के दाता समूह से जुड़ा होता है तो उसे होमोलिप्टिक संकर कहते हैं।
उदाहरण
[CO(NH3)5Cl]2+
[CO(NH3)4Cl2]+
अभ्यास प्रश्न
- हेट्रोलेप्टिक उपसहसंयोजक यौगिक एवं होमोलिप्टिक उपसहसंयोजक यौगिकों में क्या अंतर है ?
- लिगेंड के आधार पर उपसहसंयोजक यौगिक कितने प्रकार के होते हैं ?