आयनन ऊर्जा: Difference between revisions
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तत्त्वों द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने की मात्रात्मक प्रकृति आयनन [[एन्थैल्पी]] कहलाती है। उदासीन अवस्था में विलगित गैसीय [[परमाणु]] से वाह्यतम [[इलेक्ट्रॉन]] को बाहर निकलने में जो ऊर्जा लगती है, उसे तत्व की आयनन एन्थैल्पी कहते हैं।<blockquote><chem>A(g) -> A+(g) +e-</chem></blockquote>आयनीकरण एन्थैल्पी की इकाई इलेक्ट्रॉन वोल्ट प्रति परमाणु या KJ/मोल है। | |||
===द्वितीयक आयनन एंथैल्पी=== | |||
ठीक उसी प्रकार दूसरे इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे द्वितीयक आयनन एंथैल्पी कहते हैं।<blockquote><chem>A+(g) -> A++(g) +e-</chem></blockquote> | |||
===तृतीयक आयनन एंथैल्पी=== | |||
परमाणु से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने में जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है उसे आयनन एंथैल्पी कहते हैं। अतः आयनन एंथैल्पी हमेशा धनात्मक होती है। तत्व के द्वितीय आयनन एंथैल्पी का मान उसके प्रथम आयनन से अधिक होता है, क्योकी उदासीन परमाणु की तुलना में धनावेशित आयन से इलेक्ट्रान को पृथक करना अधिक कठिन होता है। ठीक वैसे ही तृतीयक आयनन एंथैल्पी का मान प्राथमिक, द्वितीयक आयनन एंथैल्पी से अधिक होता है।<blockquote><chem>A++(g) -> A+++(g) +e-</chem></blockquote> | |||
<big>तृतीयक आयनन एंथैल्पी > द्वितीयक आयनन एंथैल्पी > प्राथमिक आयनन एंथैल्पी</big> | |||
'''[[आवर्त]] में बाएं से दाएं तरफ जाने पर तत्वों के आयनन एंथैल्पी के मानो में सामान्यतः वृद्धि होती है। और वर्ग में ऊपर से नीचे की तरफ जाने पर प्रथम आयनन एंथैल्पी का मान बढ़ता जाता है।''' | |||
==अभ्यास प्रश्न== | |||
*आयनन एंथैल्पी से आप क्या समझते हैं ? | |||
*प्रथम आयनन एंथैल्पी, द्वितीय आयनन से किस प्रकार भिन्न है? | |||
*आवर्त में बाएं से दाएं तरफ जाने पर तत्वों के आयनन एंथैल्पी के मानो में क्या परिवर्तन होता है? |
Latest revision as of 21:52, 9 December 2024
Ionization energy
तत्त्वों द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने की मात्रात्मक प्रकृति आयनन एन्थैल्पी कहलाती है। उदासीन अवस्था में विलगित गैसीय परमाणु से वाह्यतम इलेक्ट्रॉन को बाहर निकलने में जो ऊर्जा लगती है, उसे तत्व की आयनन एन्थैल्पी कहते हैं।
आयनीकरण एन्थैल्पी की इकाई इलेक्ट्रॉन वोल्ट प्रति परमाणु या KJ/मोल है।
द्वितीयक आयनन एंथैल्पी
ठीक उसी प्रकार दूसरे इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे द्वितीयक आयनन एंथैल्पी कहते हैं।
तृतीयक आयनन एंथैल्पी
परमाणु से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने में जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है उसे आयनन एंथैल्पी कहते हैं। अतः आयनन एंथैल्पी हमेशा धनात्मक होती है। तत्व के द्वितीय आयनन एंथैल्पी का मान उसके प्रथम आयनन से अधिक होता है, क्योकी उदासीन परमाणु की तुलना में धनावेशित आयन से इलेक्ट्रान को पृथक करना अधिक कठिन होता है। ठीक वैसे ही तृतीयक आयनन एंथैल्पी का मान प्राथमिक, द्वितीयक आयनन एंथैल्पी से अधिक होता है।
तृतीयक आयनन एंथैल्पी > द्वितीयक आयनन एंथैल्पी > प्राथमिक आयनन एंथैल्पी
आवर्त में बाएं से दाएं तरफ जाने पर तत्वों के आयनन एंथैल्पी के मानो में सामान्यतः वृद्धि होती है। और वर्ग में ऊपर से नीचे की तरफ जाने पर प्रथम आयनन एंथैल्पी का मान बढ़ता जाता है।
अभ्यास प्रश्न
- आयनन एंथैल्पी से आप क्या समझते हैं ?
- प्रथम आयनन एंथैल्पी, द्वितीय आयनन से किस प्रकार भिन्न है?
- आवर्त में बाएं से दाएं तरफ जाने पर तत्वों के आयनन एंथैल्पी के मानो में क्या परिवर्तन होता है?