विलयन की पृथक्करण विधियां

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मिश्रण के घटकों का पृथक्करण

प्रायः प्राकृतिक पदार्थ रसायनिक तौर पर शुद्ध नहीं होते हैं।  मिश्रण से घटकों को पृथक करने के लिए विभन्न प्रकार की विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं।  पृथक करने के लिए मिश्रण के प्रत्येक घटक के बारे में जानकारी प्राप्त करना और प्रयोग में लाना सुगम हो जाता है।

विलयन की पृथक्करण विधियां

विलयन की पृथक्करण विधियां निम्न लिखित हैं:

  1. वाष्पीकरण
  2. ऊर्ध्वपातन
  3. क्रोमैटोग्राफी
  4. आसवन विधि
  5. प्रभाजी आसवन विधि

वाष्पीकरण

इसका प्रयोग वाष्पीकृत पदार्थ को अवाष्पीकृत पदार्थ से अलग करने के लिए किया जाता है। वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें कोई तत्व या यौगिक गैस अवस्था में परिवर्तित होता है। रसायन विज्ञान में द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है।

उदाहरण

नीले रंग की स्याही से रंग वाले घटक को अलग करना।

ऊर्ध्वपातन विधि

जब किसी पदार्थ को ठोस अवस्था से गर्म किया जाता है तो वह द्रव अवस्था ग्रहण नहीं करती बल्कि सीधें गैंसीय अवस्था में बदल जाता है और ठण्डा करने पर पुनः गैंस अवस्था से द्रव अवस्था में न बदलकर सीधें ठोस अवस्था में बदल जाता है, इसे ही उर्ध्वपातन (Sublimation) कहतें है।

उदाहरण

नमक तथा कपूर के मिश्रण को अलग करना।

क्रोमैटोग्राफी

क्रोमैटोग्राफी दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला शब्द "क्रोमा" और दूसरा शब्द "ग्राफिक" है। क्रोमैटोग्राफी एक विधि है जिसका उपयोग विलेय को अलग करने के लिए किया जाता है। सर्वप्रथम इस विधि का प्रयोग रंगों को अलग करने के लिए किया जाता था, इसलिए इसे क्रोमैटोग्राफी का नाम दिया गया। इस विधि का उपयोग करके निकट संबंधी यौगिकों जैसे प्रोटीन, पेप्टाइड्स, विटामिन, लिपिड आदि को मिश्रण से अलग किया जाता है।

उदाहरण

काली स्याही में उपस्थित अन्य स्याही को अलग करने के लिए।