बोहर परमाणु मॉडल
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डेनिश देश के महान वैज्ञानिक नील बोर ने सन 1913 में यह मॉडल प्रस्तुत किया।
परमाणु के इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो ओर कुछ निश्चित वृत्ताकार कक्षाओं में घूमते हैं जिन्हे स्थाई कक्षाएं कहते हैं।
इलेक्ट्रॉन जब इन स्थाई कक्षाओं में घूमते हैं तो उनकी ऊर्जा में कोई कमी नहीं आती है ,यद्यपि नाभिक से कक्षा जितनी दूर होती है उतनी उसकी ऊर्जा अधिक होती है।
जब इलेक्ट्रॉन को बाहर से ऊर्जा दी जाती है तो यह क्वांटम में ऊर्जा ग्रहण करके त्वरित होता है तथा उच्च कक्षा में चला जाता है|
यदि किसी कक्षा का इलेक्ट्रॉन क्वांटम में ऊर्जा छोड़ता है, या ऊर्जा में कमी होती है, तो इलेक्ट्रॉन निचली कक्षा में चला जाता है, लेकिन जब तक इलेक्ट्रॉन न तो बाहर से ऊर्जा प्राप्त करता है और न ही ऊर्जा खोता है, तब तक वह समान कक्षा में रहता है। और इसकी ऊर्जा नहीं बदलती है।