पूर्णरूपेण पूरित एवं अर्धपूरित उप-कोशों का स्थायित्व
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हुण्ड के अधिकतम बहुलता के नियम के अनुसार "एक ही उपकोश के कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन तब तक नहीं होता है, जब तक उस उपकोश के सभी कक्षकों में एक- एक इलेक्ट्रान न आ जाये।" इस प्रकार, उपकोश में उपलब्ध कक्षकों को युग्मित करने से पहले पहले एकल इलेक्ट्रॉन भरा जाता है। इसका मतलब यह है कि इलेक्ट्रॉनों की जोड़ी s कक्षीय में दूसरे इलेक्ट्रॉन, p कक्षकों में चौथा इलेक्ट्रॉन, d कक्षकों में छठे इलेक्ट्रॉनों और f कक्षकों में आठवें इलेक्ट्रॉनों की शुरूआत के साथ होती है। उप-ऊर्जा कोश में कक्षकों में कोई इलेक्ट्रॉन युग्मन तब तक नहीं होता है जब तक कि प्रत्येक कक्षक पर समांतर चक्रण वाले एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित न हो जाए। आधे भरे हुए और पूर्ण भरे हुए कक्षक परमाणुओं को अधिक स्थायी बनाते हैं। अतः p3, p6, d3, d5, d10, f7, f14 अधिक स्थायी होते हैं।
पूर्णरूपेण पूरित एवं अर्धपूरित उप-कोशों को अत्यधिक स्थायी माना जाता है। जैसे ns1 ns2 np3 np6 nd5 और nd10 बहुत अधिक स्थायी है।
एक इलेक्ट्रॉन कम ऊर्जा वाले उपकोश s से अधिक ऊर्जा वाले उपकोश में स्थान्तरित हो जाता है, जब तक इस स्थांतरण से उपकोश के सभी उच्च ऊर्जा वाले कक्षकों में पूर्णपूरित और अर्धपूरित कक्षक प्राप्त नही हो जाते।