विकृतीकरण प्रोटीन

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प्रोटीन को गर्म करने पर या फिर सान्द्र अम्ल या सान्द्र क्षार का विलयन मिलाने पर इसकी जैविक क्रियाशीलता नष्ट हो जाती है तथा यह अविलेय होकर स्कन्दित हो जाती है इस क्रिया को ही प्रोटीन का विकृतिकरण कहते हैं। विकृतिकरण से प्रोटीन की प्राथमिक संरचना अपरिवर्तित रहती है, किन्तु द्वितीयक एवं तृतीयक संरचना में परिवर्तन हो जाता है। जब किसी प्रोटीन के घोल को उबाला जाता है, तो प्रोटीन अक्सर अघुलनशील हो जाता है - अर्थात, यह विकृत हो जाता है - और घोल के ठंडा होने पर भी अघुलनशील रहता है। गर्मी द्वारा अंडे की सफेदी के प्रोटीन का विकृतीकरण - जैसे अंडे उबालते समय - अपरिवर्तनीय विकृतीकरण का एक उदाहरण है।

उदाहरण

अंडे का गर्म होना, दूध का जमना।

प्रोटीन का विकृतिकरण

  • तापमान और पीएच प्रोटीन की स्थिरता को काफी हद तक प्रभावित करते हैं।
  • प्रोटीन का विकृतीकरण की स्थिति में प्रोटीन की अद्वितीय त्रि-आयामी संरचना में परिवर्तन होता है।
  • प्रोटीन के विकृतीकरण के दौरान, द्वितीयक और तृतीयक संरचनाएँ नष्ट हो जाती हैं और केवल प्राथमिक संरचना ही बची रहती है।
  • इसमें सहसंयोजक बंध टूट जाते हैं और एमीनो-अम्ल श्रृंखलाओं के बीच की परस्पर क्रिया बाधित हो जाती है।
  • इसमें प्रोटीन की जैविक गतिविधि नष्ट हो जाती है।
  • इसमें प्रोटीन की हेलिक्स संरचना खुल जाती है जिससे वे अपनी जैविक गतिविधि खो देते हैं। भौतिक या रासायनिक परिवर्तनों के कारण उनकी गतिविधि खोने और हेलिक्स संरचना के खुलने की इस घटना को प्रोटीन का विकृतीकरण कहा जाता है।
  • गर्म करने, अम्ल या क्षार के संपर्क में आने और यहां तक ​​कि हिंसक शारीरिक क्रिया के कारण भी विकृतीकरण हो सकता है।