अर्धचालक

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अर्धचालक वे पदार्थ हैं जिनकी विद्युत चालकता चालकों (जैसे ताँबा) से कम किन्तु अचालकों (जैसे काँच) से अधिक होती है। (आपेक्षिक प्रतिरोध प्रायः 10-5 से 108 ओम-मीटर के बीच होता है ) सिलिकॉन, जर्मेनियम, कैडमियम सल्फाइड, गैलियम आर्सेनाइड इत्यादि अर्धचालक पदार्थों के कुछ उदाहरण हैं। अर्धचालकों में चालन बैण्ड और संयोजक बैण्ड के बीच एक 'बैण्ड गैप' होता है जिसका मान 0 से 6 इलेक्ट्रान-वोल्ट के बीच होता है। अधिकांश अर्धचालक आवर्त सारणी के समूह IV के तत्त्व (जैसे सिलिकॉन, जर्मेनियम), समूह III और V के यौगिक (जैसे, गैलियम आर्सेनाइड, गैलियम नाइट्राइड) या समूह II और VI के यौगिक (कैडमियम टेलुराइड) हैं। अर्धचालक पदार्थ एकल क्रिस्टल के रूप में हो सकते हैं या बहुक्रिस्टली पाउडर के रूप में भी हो सकते हैं।

आधुनिक युग में प्रयुक्त युक्तियों के मूल में ये अर्धचालक पदार्थ ही होते हैं। इनसे पहले डायोड बनाया गया और फिर ट्रांजिस्टर।

अर्धचालकों के गुण

  • ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की विद्युत चालकता बढ़ती है।
  • अर्धचालकों की चालकता को कम या अधिक भी किया जा सकता है।
  • इनमें भिन्न-भिन्न दिशाओं में विद्युत चालकता भिन्न-भिन्न होती है।
  • अर्धचालक DEVICES के निर्माण में सिलिकॉन (Si) का सबसे अधिक प्रयोग होता है। क्योकीं इसके कच्चे माल की लागत कम होती है।
  • पहले जर्मेनियम (Ge) का प्रयोग व्यापक था, किन्तु इसके उष्ण अतिसंवेदनशीलता के करण सिलिकॉन ने इसकी जगह ले ली है।