जल चक्र
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जल चक्र पृथ्वी की सतह के भीतर और पृथ्वी की सतह के ऊपर पानी की निरंतर गति है।इसे वाष्पीकरण, संघनन और वर्षा की प्रक्रिया के माध्यम से पृथ्वी के अंदर पानी की गोलाकार गति के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।
जल चक्र की प्रक्रिया
- वाष्पीकरण - जल निकायों के ऊपर सूर्य की गर्मी पानी को वाष्पित कर देती है। बढ़ती वायु धाराएँ वाष्प को आकाश में ले जाती हैं। इस प्रक्रिया में वाष्पोत्सर्जन से वायुमंडल में पानी भी जुड़ जाता है।
- संघनन - ठंडी हवा के संपर्क में आते ही वाष्प फिर से तरल रूप में परिवर्तित हो जाती है।जलवाष्प 0° तापमान पर पहुंचने के बाद तरल में परिवर्तित हो जाता है और मिलकर पानी की बूंदें बनाता है।वायु धाराएं वायुमंडल में चारों ओर जमा नमी को स्थानांतरित कर देती हैं, जिससे बादलों का निर्माण होता है।
- वर्षण - ये बादल हवा की गति के कारण एक-दूसरे से टकराते हैं। चूंकि इनमें पानी भरा होता है, ये बारिश वाले बादलों में बदल जाते हैं और बारिश के रूप में पृथ्वी की सतह पर वापस गिर जाते हैं।