पिटवां लोहा
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पिटवाँ लोहा लोहे की वह मिश्रातु है जिसमें कार्बन की मात्रा बहुत कम (लगभग 0.08% से कम) होती है। पिटवाँ लोहा लोहे की वह मिश्रातु है जिसमें कार्बन की मात्रा बहुत कम (लगभग 0.08% से कम) होती है। इसके विपरीत ढलवाँ लोहे में कार्बन की मात्रा थोड़ी अधिक होती है ये लगभग 2.1% से 4% तक होती है। पिटवाँ लोहा अत्यधिक मजबूत होता है, घातवर्ध्य, तन्य, संक्षारण-रोधी तथा आसानी से वेल्ड होने योग्य होता है।
नाम | % वजन | प्रकार और अवस्था | तनन क्षमता | कठोरता | उपयोग |
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भूरा ढलवां लोहा | C - 3.4
Si - 18 Mn - 0.5 |
ढलवां | 25 | 180 | मशीन- उपकरण के निर्माण में |
सफेद ढलवां लोहा | C - 3.4
Si - 0.7 Mn - 0.6 |
ढलवां | 25 | 450 | बेयरिंग सतहें के निर्माण में |
पिटवां लोहा | C - 2.5
Si - 1.0 Mn - 0.55 |
ढलवां (पकाया हुआ) | 52 | 130 | स्वचालित क्रैंक्शैफ्ट के निर्माण में |
ढलवां लोहा और पिटवा लोहा में अंतर
वात्याभट्टी से प्राप्त जिस लोहे को साँचों में डालकर ठंडा कराया जाता है वह लोहा ढलवाँ लोहा कहलाता है। ढलवाँ लोहा में कार्बन लगभग 3% तक होता है। इसका गलनांक 1423K से 1523K के मध्य होता है। पिटवाँ लोहा लाहे का शुद्ध रूप होता है जबकि ढलवा लोहा लोहे का अशुद्ध रूप होता है। पिटवाँ लोहा में कार्बन की प्रतिशतता 0.2 से 0.5% तक होती है। पिटवाँ लोहा का गलनांक 1822K होता है। पिटवा लोहा प्राप्त करने के लिए ढलवा लोहे को हेमेटाइट के साथ परावर्तनी भट्टी में गर्म किया जाता है। कार्बन CO के रूप में तथा P, S, Si आदि वाष्पशील ऑक्साइडों के रूप में निकल जाती है।
ढलवां लोहे में उपस्थित कार्बन भी CO में ऑक्सीकृत हो जाता है। जब ढलवां लोहा ठंडा होता है तो लोहे को हथौड़े से पीटा जाता है ताकि बना हुआ धातुमल अलग हो सके। इसीलिए इसे पिटवाँ लोहा कहते हैं।
यहां FePO4 एक धातुमल है।