बहुलकीकरण

From Vidyalayawiki

Revision as of 11:56, 2 January 2024 by Shikha (talk | contribs) (added Category:Vidyalaya Completed using HotCat)

बहुलक या पाॅलीमर (polymer) बहुत अधिक अणुभार वाला कार्बनिक यौगिक है। यह सरल अणुओं जिन्हें मोनोमर कहा जाता है, के बहुत अधिक इकाईयों के बहुलकीकरण  से प्राप्त होता है। बहुलक में एक ही प्रकार की अनेक आवर्ती संरचनात्मक इकाईयाँ अर्थात मोनोमर होते हैं जो सह संयोजी बन्ध (कोवैलेन्ट बॉण्ड) से आपस में जुड़े होते हैं। इस क्रिया को बहुलकीकरण कहते हैं।

बहुलक शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों 'पॉली' अर्थात अनेक और मर अर्थात इकाई अथवा भाग से हुई है बहुलकों का अणुभार बहुत उच्च होता है जिनका द्रव्यमान बहुत अधिक होता है उसे बृहदणु भी कहा जाता है ये कई मोनोमर इकाइयों के आपस में जुड़ने से बनते हैं ये सभी इकाइयां एक दूसरे से सहसहयोजक बंधों द्वारा जुडी होती हैं।

उदाहरण

सेल्यूलोज, लकड़ी, रेशम, त्वचा, रबर आदि

बहुलक के प्रकार

बहुलक तीन प्रकार के होते हैं।

प्राकृतिक पॉलीमर

प्राकृतिक पॉलीमर हैं, ये प्रकृति में पाए जाते हैं तथा इन्हें पौधों और जीवधारियों से प्राप्त किया जाता है सेल्यूलोज, लकड़ी, रेशम, त्वचा, रबर आदि। अन्य उदाहरणों में पालीइथिलीन, टेफ्लान, पाॅली विनाइल क्लोराइड प्रमुख पाॅलीमर हैं। ये भी प्राकृतिक बहुलक हैं।

उदाहरण

प्रोटीन, सेलुलोस, स्टार्च, कुछ रेजिन और रबर।

अर्ध संश्लेषित बहुलक

इसके उदाहरण हैं सेलुलोस के व्युत्पन्न जैसे सेलुलोस एसीटेट (रेयॉन) और सेलुलोस नाइट्रेट आदि।

कृत्रिम या सिंथेटिक पॉलीमर

कृत्रिम या सिंथेटिक पॉलीमर मानव निर्मित होते हैं। इन्हें कारखानों में उत्पादित किया जाता है। यह मानव निर्मित बहुलक हैं जैसे प्लास्टिक (पॉलीथीन), संश्लेषित रेशे संश्लेषित रबर (BUNA -S ) यह विस्तृत रूप से तैयार किये जाते हैं।

उदाहरण प्लास्टिक, पाइप, बोतल, बाल्टियों आदि के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली पोलीथिन एक सिंथेटिक पॉलीमर है। बिजली के तारों, केबलों के ऊपर चढ़ाई जाने वाली प्लास्टिक कवर भी सिंथेटिक पॉलीमर है। फाइबर, सीटकवर, मजबूत पाइप एवं बोतलों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली प्रोपाइलीन भी सिंथेटिक पॉलीमर है। सिंथेटिक रबर भी एक सिंथेटिक पॉलीमर है जिससे मोटरगाड़ियों के टायर बनाए जाते हैं।

बहुलक शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों 'पॉली' अर्थात अनेक और मर अर्थात इकाई अथवा भाग से हुई है बहुलकों का अणुभार बहुत उच्च होता है जिनका द्रव्यमान बहुत अधिक होता है उसे बृहदणु भी कहा जाता है ये कई मोनोमर इकाइयों के आपस में जुड़ने से बनते हैं ये सभी इकाइयां एक दूसरे से सहसहयोजक बंधों द्वारा जुडी होती हैं। एक ही प्रकार की कई मोनोमर इकाईयों से बनने वाले बहुलक को होमोपॉलीमर कहते हैं। जैसे पॉलीस्टायरीन का एकमात्र मोनोमर स्टायरीन ही है। अलग अलग प्रकार की मोनोमर इकाईयों से बनने वाले बहुलक को कोपॉलीमर कहते हैं। जैसे इथाइल-विनाइल-एसीटेट भिन्न प्रकार के मोनोमरों से बनता है।

बहुलकन के प्रकार

यह दो प्रकार की बहुलकन अभिक्रिया होती हैं:

  • योगज बहुलकन
  • संघनन बहुलकन

योगात्मक बहुलकन

इस प्रकार के बहुलक में एक अथवा भिन्न प्रकार के एकलक अणु परस्पर योग करते हैं इसमें प्रयुक्त होने वाले बहुलक असंतृप्त योगिक होते हैं। जैसे - एल्कीन इस विधि में श्रंख्ला की लम्बाई में वृद्धि होती है यह मुक्त मूलक द्वारा होती है

समबहुलक

एक ही प्रकार की एकलक यौगिकों के बहुलकीकरण से बनने वाले योगज बहुलक को समबहुलक कहा जाता है। जैसे पॉलीस्टायरीन का एकमात्र मोनोमर स्टायरीन ही है।

उदाहरण - पॉलीथीन

पॉलिथीन

यह एक रैखिक अथवा कम शाखाओं की एक लम्बी श्रंख्ला होती है तह एक ताप सुदृढ बहुलक है। अतः इसे गर्म करके मृदु और ठंडा करके कठोर बनाया जा सकता है।

पॉलिथीन दो प्रकार की होती है।

अल्प घनत्व पॉलिथीन

यह अक्रिय और कठोर परन्तु लचीली होती है और यह विधुत की अल्प चालक होती है अतः इसका उपयोग विधुत वाहक तारों के विधुत रोधन और बोतलों, खिलौनों और लचीले पाइप के निर्माण  किया जाता है।

उच्च घनत्व पॉलिथीन

यह रासायनिक रूप से निष्क्रिय अधिक कठोर और दृढ़ होती  है यह बाल्टी बनाने, कूड़ादान, बोतलों, पाइपों आदि के निर्माण में प्रयोग की जाती है। यह किसी एथीन हाइड्रोकार्बन विलायक में ट्राइ एथिल एलुमीनियम और टाइटेनियम टेट्राक्लोराइड जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थित में 333 K से 343 K ताप और 6 - 7 वायुमंडलीय दाब पर बहुलकन करने से प्राप्त होता है।

पॉलीटेट्रा फ्लोरोएथीन (टेफ्लॉन)

टेफ्लॉन, पॉलीटेट्रा फ्लोरोएथीन को मुक्त मूलक अथवा परसल्फेट उत्प्रेरक के साथ उच्च दाब पर गर्म करके उत्पादित की जाती है। यह रासायनिक रूप से अक्रिय और संक्षारण के प्रति प्रतिरोधी है।

पॉलीऐक्रिलोनाइट्राइल

ऐक्रिलोनाइट्राइल का परॉक्साइड उत्प्रेरक की उपस्थित में योगात्मक बहुलकीकरण द्वारा पॉलीऐक्रिलोनाइट्राइल बनता है। इसका उपयोग ऊन के रूप में अरलॉन अथवा ऐक्रिलन बनाने में किया जाता है।

सहबहुलक

दो भिन्न प्रकार के एकलक अणुओं के योगात्मक बहुलकीकरण से बनने वाले बहुलकों को साहबहुलक कहा जाता है। अलग अलग प्रकार की मोनोमर इकाईयों से बनने वाले बहुलक को कोपॉलीमर कहते हैं। जैसे इथाइल-विनाइल-एसीटेट भिन्न प्रकार के मोनोमरों से बनता है।

उदाहरण - ब्यूना - S

अभ्यास प्रश्न

  • बहुलक से आप क्या समझते है ?
  • बहुलक कितने प्रकार के होते हैं ?
  • प्राकृतिक बहुलक को उदाहरण समझाइये।
  • पॉलिथीन में एकलक अणु क्या है ?