अतिसंयुग्मन
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अतिसंयुग्मन एक सामान्य अन्योन्य क्रिया है। यह एक स्थाई प्रभाव है। यदि एक कार्बन जिस पर कम से कम एक हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित होता है एक असंतृप्त परमाणु, अयुग्मित इलेक्ट्रान युग्म युक्त परमाणु या sp2 संकरित अयुग्मित कक्षक युक्त परमाणु से जुड़ा होता है। यह विस्थापन में भाग लेता है। इस प्रकार के अनुनाद को अतिसयुग्मन कहते हैं।
अतिसयुग्मन परिकल्पना बेकर तथा नाथन ने विकसित की थी। इसलिए इसे बेकर तथा नाथन प्रभाव भी कहते हैं।
C - H के सिग्मा बंध इलेक्ट्रान का द्विबंध के साथ संयुग्मन होने पर अनुनाद हो या पाई इलेक्ट्रान युग्म की ओर इलेक्ट्रॉन का विस्थापन हो तो इसे अतिसयुग्मन कहते हैं। इसमें C - H सिग्मा बंध टूट जाता है। अतः इसे बिना बंध का अनुनाद भी कहते हैं। जितना अधिक अनुनादी संरचना बनती है वह उतना ही अधिक स्थाई होता है।