अपचयोपचय अभिक्रियाओं का संतुलन
रेडॉक्स अभिक्रिया एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें भाग लेने वाले दो अभिकारकों के बीच इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है। इलेक्ट्रॉनों के इस स्थानांतरण को अभिक्रियाशील प्रजातियों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तन को देखकर पहचाना जा सकता है। इलेक्ट्रॉनों की हानि या अभिकारक की ऑक्सीकरण अवस्था में हुई वृद्धि को ऑक्सीकरण कहा जाता है। किसी अभिकारक की में इलेक्ट्रॉनों की वृद्धि और ऑक्सीकरण अवस्था में हुई कमी को अपचयन कहा जाता है। इलेक्ट्रॉन-स्वीकार करने वाली प्रजातियां जो रेडॉक्स अभिक्रियाओं में अपचयन से गुजरती हैं, ऑक्सीकॉरक कहलाती हैं। एक इलेक्ट्रॉन-दान करने वाली प्रजाति जो इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालने की प्रवृत्ति रखती है, उसे अपचायक के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। किसी भी रेडॉक्स अभिक्रिया दो अर्ध-अभिक्रियाओं में विभाजित किया जा सकता है, अर्थात् ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया और अपचयन अर्ध-अभिक्रिया।
अपचयोपचय अभिक्रियाओं का संतुलन की दो विधियाँ हैं:
- ऑक्सीकरण संख्या विधि
- अर्ध अभिक्रिया विधि
ऑक्सीकरण संख्या विधि
ऑक्सीकरण संख्या विधि को एक उदाहरण द्वारा समझते हैं:
पोटेशियम डाइक्रोमेट (VI), K2Cr2O7 की सोडियम सल्फाइट, Na2SO3 से अम्लीय माध्यम में क्रोमियम (III) आयन तथा सलफेट आयन देने वाली नेट आयनिक अभिक्रिया लिखिए।
हल
पद - 1 अभिक्रिया कुछ इस प्रकार है:
Cr2O7--(aq) + SO3--(aq) Cr+++ (aq) + SO4--(aq)
पद - 2
Cr एवं S की ऑक्सीकरण संख्या लिखिए।
Cr2O7-2 में Cr की ऑक्सीकरण संख्या +6 है:
SO3-2 में S की ऑक्सीकरण संख्या +4 है:
Cr में Cr की ऑक्सीकरण संख्या +3 है:
SO4-2 में S की ऑक्सीकरण संख्या +6 है:
इसमें डाइक्रोमेट आयन ऑक्सीकारक तथा सल्फाइट आयन अपचायक है।