शिश्न

From Vidyalayawiki

Revision as of 12:24, 12 June 2024 by Shikha (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)

Listen

शिश्न एक अत्यधिक पेशीय, अत्यधिक वाहिकामय और संवेदनशील अंग है (क्योंकि इसमें खूब सारी तंत्रिकाएँ और खूब सारा खून होता है)। मूत्रमार्ग पेशाब और वीर्य दोनों ले जाता है। शिश्न और इसके सिरे की पेशियाँ इसको खड़ा करने में मदद करती है। यौन क्रिया के दौरान शिश्न फैल जाता है। ऐसा इसकी स्पंजी/छिद्रमय थैलियों में खूब सारा खून आ जाने के कारण होता है। ये थैलियाँ मूत्रमार्ग के दोनों ओर होती है। और शिश्न के सिरे में स्थित पेशिय छल्लों के कारण वीर्यपान समय तक खून इन्हीं में रहता है। खड़े हुए लिंग का कोण भी पेशिय क्रिया के कारण ही होता है।

यौन क्रिया के बाद, ये स्पंजी थैलियाँ ज्यादा खून से खाली हो जातीं हैं और पेशियाँ भी शिथिल होकर अपना सामान्य आकार और नाप धारण कर लेती हैं। यौन क्रिया की क्रियाविधि जनेनन्द्रियों, पुरुष हारमोनों और दिमाग की एक अत्यधिक साझी प्रक्रिया है।

लिंग पुरुष प्रजनन प्रणाली में एक प्रमुख अंग है, जो संभोग, पेशाब और स्खलन से संबंधित कई कार्य करता है।

स्तंभन ऊतक

लिंग में स्पंजी ऊतक होता है जिसे स्तंभन ऊतक कहा जाता है। कामोत्तेजना के दौरान, स्तंभन ऊतक में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे लिंग सीधा और सख्त हो जाता है। यह प्रक्रिया, जिसे इरेक्शन के रूप में जाना जाता है, संभोग के दौरान प्रवेश की अनुमति देती है।

मूत्रमार्ग

मूत्रमार्ग एक ट्यूब है जो लिंग के केंद्र से होकर गुजरती है। यह दोहरे कार्य करता है: पेशाब के दौरान मूत्राशय से मूत्र को शरीर के बाहर तक ले जाना, और स्खलन के दौरान वीर्य को स्खलन नलिकाओं से बाहर तक पहुंचाना।

शुक्राणु परिवहन

संभोग के दौरान पुरुष प्रजनन प्रणाली से महिला प्रजनन पथ तक शुक्राणु पहुंचाने में लिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वीर्य, जिसमें वीर्य पुटिका और प्रोस्टेट ग्रंथि जैसी सहायक ग्रंथियों से शुक्राणु और अन्य तरल पदार्थ होते हैं, लिंग से स्खलित होते हैं और योनि में जमा होते हैं।

संवेदी अंग

कई तंत्रिका अंत की उपस्थिति के कारण लिंग स्पर्श और उत्तेजना के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है। ये संवेदी रिसेप्टर्स यौन आनंद और उत्तेजना में योगदान करते हैं।

प्रजनन कार्य

अंततः, लिंग का प्राथमिक कार्य अंडे के निषेचन के लिए महिला प्रजनन पथ में शुक्राणु पहुंचाकर यौन प्रजनन को सुविधाजनक बनाना है।

शिश्नमल

शिश्नमल अक्सर अस्वच्छ शिश्नमुंड के ऊपर जमा हुआ दिखाई देता है। यह कुछ सफेदी लिए हुए सलेटी रंग का होता है और इसमें कुछ बैक्टीरिया होते हैं। क्रोनिक शिश्नमल चिरकारी (बार-बार लगातार) की उपस्थिति शिश्न के कैंसर से जुड़ी हुई है। जिन रोगियों को निरुध्दप्रकाश (फाईमोसिस) हो उनमें इससे बार-बार संक्रमण होता है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता को लोगों को शिश्न पर से शिश्नमल हटाकर उसे साफ रखने के बारे में जानकारी देनी चाहिए।

अभ्यास प्रश्न

  • शिश्न के कार्य बताइये।
  • शिश्न की संरचना समझाइये।
  • शुक्राशय से क्या तातपर्य है ?
  • शिश्न शुक्राणु परिवहन में किस प्रकार योगदान देता है?