हेल-वोल्हार्ड ज़ेलिंस्की अभिक्रिया

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ऐसे कार्बोक्सिलिक अम्ल जिसमें α-हाइड्रोजन उपस्थित होता है, लाल फॉस्फोरस की अल्प मात्रा की उपस्थिति में क्लोरीन अथवा ब्रोमीन के साथ अभिक्रिया द्वारा α-हैलोकार्बोक्सिलिक अम्ल बनांते हैं। इस अभिक्रिया को हेलफोलार्ड जेलिस्की अभिक्रिया कहते हैं। लाल फॉस्फोरस या आयोडीन उत्प्रेरक की अल्प मात्रा की उपस्थिति में उच्च ताप पर मोनोकार्बोक्सिलिक अम्ल की क्लोरीन से अभिक्रिया कराने पर 2-हैलोजन अम्ल बनते हैं। हैलोजेनेटेड अम्ल के हैलोजन में न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन और उन्मूलन होता है जैसा कि साधारण एल्काइल हैलाइड में होता है। इसलिए हैलोजनीकरण कार्बोक्जिलिक अम्ल को कई महत्वपूर्ण प्रतिस्थापित कार्बोक्जिलिक अम्ल में बदलने का पहला कदम है।

अभ्यास प्रश्न

  • हेल-वोल्हार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया लिखिए।
  • हेल-वोल्हार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया किस प्रकार के कार्बोक्सिलिक अम्ल के लिए की जाती है ?