मेटावर्स
कल्पना कीजिए कि आप अपने दोस्तों और परिवार से मिलते हैं लेकिन असली दुनिया में नहीं बल्कि एक आभासी 3D दुनिया में जो कृतिम तरीके से बनायीं गई है। आप इस दुनिया में घुसते हो अपने कमरे में बैठे बैठे एक हेडसेट पहन के या चश्मा लगा कर बिलकुल ऐसे ही आप पढ़ते हैं काम करते है बाजार जाते हैं लेकिन ये सब आप वास्तविक दुनिया में नहीं बल्कि आभासी दुनिया में करते हैं। मेटावर्स दो शब्दों से मिलकर बना है एक मेटा और दूसरा वर्स मेटा शब्द एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है "बियॉन्ड" और दूसरा वर्स जो "यूनिवर्स" शब्द से आया है।
असल दुनिया में हम हर चीज को छू सकते हैं, उसे महसूस कर सकते हैं. लेकिन मेटावर्स (आभासी दुनिया) इससे बिलकुल विपरीत है। मेटावर्स एक आभासी दुनिया है जो कि पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर करती है। बिना हाई स्पीड इंटरनेट और गैजेट्स के इस दुनिया में हम नहीं जा सकते असल दुनिया में आपको किसी जगह का भ्रमण करने के लिए उस जगह पर शारीरिक रूप से जाना पड़ता है, लेकिन मेटावर्स में आप घर बैठे-बैठे दुनिया के किसी भी कोने का भ्रमण कर सकते हैं। यहां तक कि आप घर बैठे स्टेडियम में क्रिकेट मैच का भी अनुभव ले सकते हैं। मेटावर्स में हर एक चीज आभासी है, कुछ भी वास्तविक नहीं है। मेटावर्स से मतलब एक ऐसी दुनिया से है जिसमें आप शारीरिक रूप से न होते हुए भी वहां उपस्थित रहते हैं।मेटावर्स में उन लोगों से भी बात की जा सकती है, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं ऐसा करने के लिए मेटावर्स में पहले उस शख्स की तस्वीर से उसका होलोग्राम तैयार करना पड़ेगा और फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आप बात कर पाएंगे।
मेटावर्स की उत्पत्ति
"मेटावर्स" शब्द की उत्पत्ति 1992 के विज्ञान कथा उपन्यास स्नो क्रैश में "मेटा" और "ब्रह्मांड" के पोर्टमैंटो के रूप में हुई थी। स्टीफेंसन के उपन्यास में मेटावर्स का मतलब एक ऐसी दुनिया (वीडियो गेम) से था, जहां लोग गैजेट्स की मदद से आपस में जुडे रहते हैं। गैजेट्स में हेडफोन, वर्चुअल रियलिटी सम्मिलित है। इसमें मेटावर्स लोगो को एक आभासी दुनिया में ले जाता है। इसका प्रयोग सर्वप्रथम साइंस फ्रिक्शन उपन्यास में किया गया था जिसमे नील स्टेफेंसों ने खा था की वहां की दुनिया पूरी तबाह हो चुकी थी और लोग बाहर की दुनिया जीने के लिए एक आभासी ज़िंदगी जीते हैं जिसमे लोग गैजेट्स की मद्दद से एक दुसरे से बात कर पाते हैं।
मेटावर्स की कार्यप्रणाली
लोगों के होलोग्राम मेटावर्स या यूँ कहें कि वर्चुअल अवतार बनाए जाते हैं। इस अवतार को बनाने के लिए इंसान की 360 डिग्री स्कैनिंग की जाती है। इसके अलावा मेटावर्स में खरीदने और बेचने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग होता है। मेटावर्स की दुनिया पूरी तरह से हाई-स्पीड इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन तकनीकी पर आधारित है। ऐसा कहा जाता है कि मेटावर्स इंटरनेट का भविष्य है।
तकनीकी
हार्डवेयर
मेटावर्स की दुनिया पूरी तरह से हाई-स्पीड इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन,सामान्य-उद्देश्य वाले कंप्यूटर और स्मार्टफ़ोन तकनीकी पर आधारित है। वीआर तकनीक पर निर्भरता ने मेटावर्स विकास और व्यापक पैमाने पर अपनाने को सीमित कर दिया है। पोर्टेबल हार्डवेयर की सीमाएं, लागत और डिजाइन को संतुलित करने की आवश्यकता के कारण उच्च गुणवत्ता वाले ग्राफिक्स और गतिशीलता की कमी हुई है। हल्के वायरलेस हेडसेट दृश्य विसर्जन के लिए आवश्यक रेटिना डिस्प्ले पिक्सेल घनत्व प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं। प्रौद्योगिकी के व्यापक पैमाने पर अपनाने के लिए एक और मुद्दा लागत है, उपभोक्ता वीआर हेडसेट की कीमत 2022 तक $300 से $3500 तक है।[1]
सॉफ्टवेयर
मेटावर्स कार्यान्वयन के लिए एक मानकीकृत तकनीकी विनिर्देश को व्यापक पैमाने पर नहीं अपनाया गया है, और मौजूदा कार्यान्वयन मुख्य रूप से मालिकाना तकनीक पर निर्भर करते हैं। पारदर्शिता और गोपनीयता के बारे में चिंताओं से उपजी मेटावर्स के विकास में इंटरऑपरेबिलिटी एक प्रमुख चिंता है। कई आभासी पर्यावरण मानकीकरण परियोजनाएं रही हैं।[2] यूनिवर्सल सीन डिस्क्रिप्शन पिक्सर द्वारा बनाए गए 3डी कंप्यूटर ग्राफिक्स इंटरचेंज के लिए एक विनिर्देश है और ब्लेंडर, एप्पल के सीनकिट और ऑटोडेस्क 3डीएस मैक्स द्वारा समर्थित है। प्रौद्योगिकी कंपनी NVIDIA ने 2021 में घोषणा की कि वे अपने मेटावर्स डेवलपमेंट टूल्स के लिए USD को अपनाएंगे।[3]