गुप्त ऊष्मा

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गुप्त ऊष्मा, किसी पदार्थ द्वारा उसकी भौतिक अवस्था में परिवर्तन के दौरान अवशोषित या उत्सर्जित की गई ऊर्जा है जिसमे उस पदार्थ के ताप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। गुप्त उष्मा को सामान्य रूप से अवस्था परिवर्तन से गुजरने वाले पदार्थ के प्रति मोल या इकाई द्रव्यमान में उष्मा की मात्रा (जूल या कैलोरी की इकाइयों में) के रूप में व्यक्त किया जाता है। यह या तो गैस से द्रव या द्रव से ठोस में परिवर्तन से अवशोषित या उत्सर्जित हुई ऊष्मा है। हालांकि, एक महत्वपूर्ण बिंदु जिस पर हमें गुप्त ऊष्मा के संबंध में विचार करना चाहिए वह यह है कि पदार्थ का तापमान स्थिर रहता है। गुप्त ऊष्मा को छिपी हुई ऊर्जा के रूप में समझा जा सकता है जो किसी पदार्थ की स्थिति को बदलने के लिए अवशोषित या उत्सर्जित की जाती है बिना उस पदार्थ के ताप और दाब को बदले बिना (उदाहरण के लिए, इसे पिघलाने या वाष्पित करने के लिए)।

उदाहरण

यदि किसी बर्फ के टुकड़े को एक बर्तन में गर्म किया जाता है तो धीरे-धीरे करके वह पिघलने लगता है। पूरे ठोस के द्रव बन जाने तक उसका तापमान बढ़ता नहीं, स्थिर 0 डिग्री सेल्सियस ही रहता है। जब यह एक बार पूरा पिघल जाता है, तो फिर तापमान बढऩा शुरू होता है। यहां बर्फ का टुकड़ा शुरू से ही ऊष्मा ग्रहण कर रहा था, लेकिन पूरा पिघलने तक उसका तापमान स्थिर रहा। इस स्थिति तक उत्सर्जित हुई ऊष्मा को ही गुप्त ऊष्मा कहते हैं। इस स्थिति तक ऊष्मा सिर्फ पदार्थ का रूप परिवर्तित करने का काम करती है, इसमें पदार्थ का ताप नहीं बढ़ पाता। यह गुप्त ऊष्मा पदार्थ के अंतर आणविक बलों को तोडऩे में प्रयुक्त होती है और यह आंतरिक ऊर्जा के रूप उन अणुओं में संचित होती रहती है। जब सभी अंतर आणविक बल टूट जाते हैं, तब ऊष्मा उस पदार्थ के ताप को बढ़ाने लगती है।

गुप्त ऊष्मा के प्रकार

गुप्त ऊष्मा तीन प्रकार की होती है:

  • संलयन की गुप्त ऊष्मा
  • वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा

संलयन की गुप्त ऊष्मा

किसी ठोस के पिघलने या किसी द्रव के जमने से उतपन्न या अवशोषित हुई गुप्त ऊष्मा को संलयन ऊष्मा कहते हैं। संलयन की गुप्त उष्मा वह उष्मा है जो पदार्थ के पिघलने पर अवशोषित या उत्सर्जित  होती है, जो एक स्थिर ताप पर ठोस से द्रव में बदलती है। संगलन की गुप्त ऊष्मा ताप की वह मात्रा है जो 1 kgm ठोस को वायुमंडलीय दाब पर  ठोस को उसके संगलन बिंदु पर लाने के लिए प्रयोग होती है।

वाष्पन की गुप्त ऊष्मा

किसी द्रव या ठोस के वाष्पन या वाष्प के संघनन से संबंधित ऊष्मा, वाष्पन की ऊष्मा कहलाती है। वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा ताप की वह मात्रा है जो 1 kgm द्रव को वायुमंडलीय दाब और द्रव के कथ्नांक पर गैसीय अवस्था में परिवर्तन करने हेतु प्रयोग होती है।