एन्ट्रापी एवं स्वतः प्रवर्तिता
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किसी निकाय की एन्ट्रॉपी उसकी ऐंठाल्प्य के सदृश उसका एक अभिलाक्षणिक ऊष्मागतिक गुण है। एन्ट्रॉपी निकाय का एक अवस्था फलन है। यदि कोई निकाय प्रारंभिक अवस्था A से अंतिम अवस्था B में परिवर्तित होता है तो उसकी एन्ट्रॉपी में परिवर्तन
△S = Sअंतिम - Sप्रारंभिक
जहाँ, Sप्रारंभिक और Sअंतिम क्रमशः निकाय की प्रारम्भिक और अंतिम अवस्थाओं की एन्ट्रॉपी है, △S निकाय की एन्ट्रॉपी में परिवर्तन है।
जहां △S का णात्मक मान यह प्रदर्शित करता है कि परिवर्तन में निकाय का मान घट गया है और △S का धनात्मक मान यह प्रदर्शित करता है कि निकाय का एन्ट्रॉपी का मान बढ़ गया है। एन्ट्रॉपी किसी निकाय में अव्यवस्था या अनियमितता की मात्रा की माप है, जो निकाय अत्यधिक अव्यवस्थित होते है उनकी एन्ट्रापी भी अधिक होती है। बहुत व्यवस्थित निकायों की एन्ट्रापी निम्न होती है। किसी प्रणाली में कण (परमाणु, अणु) कितने फैले हुए या अव्यवस्थित हैं। उच्च एन्ट्रापी उच्च स्तर की अव्यवस्था को इंगित करती है, जबकि कम एन्ट्रापी अधिक व्यवस्थित या संरचित स्थिति को इंगित करती है।