आर्यभटीयम् में 'तीन का नियम'
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भूमिका
तीन का नियम एक गणितीय नियम है, जो हमें अनुपातों पर आधारित समस्याओं को हल करने की अनुमति देता है।
श्लोक
त्रैराशिकफलराशिं तमथेच्छाराशिना हतं कृत्वा ।
लब्धं प्रमाणभजितं तस्मादिच्छाफलमिदं स्यात ॥
अनुवाद
फल (प्रमाणफल) को मांग (इच्छा) से गुणा करें और परिणामस्वरूप गुणनफल को तर्क (प्रमाण) से विभाजित करें। तब मांग (इच्छाफल) के अनुरूप फल प्राप्त होता है ।[1]
उदाहरण 1
यदि 10 किताबों की कीमत 2000 रुपये है, तो 80 किताबों की कीमत क्या होगी?
यहाँ इच्छा = 80; प्रमाणफल = 2000; प्रमाण = 10
इस तरह
रुपये
उदाहरण 2
यदि 100 रु. पर, 2 महीने के ब्याज की राशि 5 रुपये है, तो 25 रुपये पर 8 महीने के निवेश पर ब्याज की राशि ज्ञात करें।
यहाँ प्रमाण = रु. 100 और 2 महीने; इच्छा = रु. 25 और 8 महीने ; प्रमाणफल = रु. 5
रु.
यह भी देखें
संदर्भ
- ↑ (आर्यभटीयम् (गणितपादः) (संस्कृत में)। दिल्ली: संस्कृत प्रमोशन फाउंडेशन. 2023. पृ. 99-101.)"Āryabhaṭīyam (Gaṇitapādaḥ) (in Saṃskṛta). Delhi: Samskrit Promotion Foundation. 2023. pp. 99-101."