परागकोश
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परागकोष द्विपालीय होता है जिसका अर्थ है कि इसमें दो पालियाँ होती हैं। परागकोष के प्रत्येक लोब में दो थेका होते हैं इसलिए हम इसे डाइथेकस कहते हैं। परागकोश में नर युग्मक होते हैं जिन्हें परागकण कहते हैं । प्रत्येक पालि के कोनों में दो थैली जैसी संरचना मौजूद होती है जिसमें परागकण परिपक्व होते हैं। इन थैलीनुमा संरचनाओं को माइक्रोस्पोरंगिया कहा जाता है।