क्षोभमंडलीय प्रदूषण

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क्षोभमंडलीय प्रदूषण

वायुमंडल का सबसे निचला क्षेत्र जो समुद्र तल से 10 किमी ऊपर है, क्षोभमंडल के रूप में जाना जाता है।  सभी जीवित प्राणी इसी वायुमंडलीय क्षेत्र में रहते हैं। जब अवांछित ठोस, तरल और गैसीय घटक क्षोभमंडल क्षेत्र में हमारे स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र (हवा, पानी, मिट्टी, जंगल, फसलें आदि) को प्रदूषित करते हैं, तो इसे क्षोभमंडलीय प्रदूषण के रूप में जाना जाता है।

क्षोभमंडलीय प्रदूषण का पृथ्वी के जीवमंडल पर एक बड़ा हानिकारक प्रभाव पड़ता है, क्षोभमंडलीय प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग हो रही है, इसका मतलब है कि पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। क्योंकि यह प्रदूषण पृथ्वी को गर्म कर रहा है, इससे हिमखंडों और ग्लेशियरों का पिघलना जारी है।

प्रदूषक पदार्थों का विवरण

अधिकांश वायुमंडलीय प्रदूषण क्षोभमंडल में घटित होते हैं। क्षोभमंडल सीधे पृथ्वी की सतह से जुड़ा हुआ है, और पृथ्वी पर सभी सजीव और निर्जीव प्राणी इसी क्षेत्र में रहते हैं। इस क्षोभमंडलीय प्रदूषण में वायु प्रदूषण, अम्लीय वर्षा, ग्रीन हाउस प्रभाव, धुंध, प्रकाश रासायनिक धुंध, जल प्रदूषण, सुपोषण, मृदा प्रदूषण आदि घटित होते हैं। क्षोभमंडलीय वायु में सल्फर, नाइट्रोजन, कार्बन, वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के ऑक्साइड की बढ़ती सांद्रता ग्रीन हाउस प्रभाव, धुंध, अम्लीय वर्षा का कारण बनती है। समुद्र, नदी, नहर, तालाब और झील जैसे विभिन्न जल निकाय मुख्य रूप से औद्योगिक अनुपचारित कचरे के निर्वहन से प्रदूषित होते हैं। उर्वरक, साबुन, डिटर्जेंट और घरेलू कचरा छोटे जल निकायों के सुपोषण का मुख्य कारण है। सभी प्रकार के प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों द्वारा छोड़े गए प्रदूषकों के कारण होते हैं, प्रदूषकों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।

ठोस प्रदूषक

  • फ्लाई ऐश, यह लकड़ी और किसी चीज के जलने से आती है, धुएं में कार्बन के कण होते हैं।
  •  धूल, रेत, यह निर्माण स्थल से और रेगिस्तानी क्षेत्र से तेज़ हवा और तूफ़ान द्वारा आती है। ये सभी स्वस्थ हृदय और श्वसन प्रणाली में समस्या पैदा कर सकते हैं।
  • इन सभी प्रदूषकों में से प्लास्टिक या पॉलीमेरिक उत्पाद आजकल प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। और वे उचित समाप्ति न होने के कारण कबाड़ के रूप में पर्यावरण में स्थिर होकर प्राकृतिक संसाधनों के पुनर्चक्रण में अनेक समस्याएँ उत्पन्न करते हैं।

तरल प्रदूषक

  • तरल प्रदूषकों में कई प्रदूषक कणों के एरोसोल, जहरीले कार्बनिक यौगिक, धुंधला धुआं, नाइट्रोजनयुक्त गैसें सम्मिलित हैं।
  • इन प्रदूषकों के कारण नाक में लगातार सूखापन या खुजली, आंखों में जलन होती रहती है। इससे सांस लेने में भी दिक्कत होती है।

गैसीय प्रदूषक

  • गैसीय प्रदूषकों में COx, NOx, SO2 सम्मिलित हैं, जो औद्योगिक क्षेत्र और जीवाश्म ईंधन, जैविक उत्पादों के जलने से आते हैं।
  • ग्लोबल वार्मिंग के लिए CO2 उत्सर्जन जिम्मेदार है। CO एक विषैली गैस है। यह हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाता है, और अंगों और ऊतकों तक ऑक्सीजन की डिलीवरी को अवरुद्ध करता है।
  • NO2 की उच्च सांद्रता पौधों की पत्तियों को नुकसान पहुंचाती है और प्रकाश संश्लेषण को धीमा कर देती है।
  • SO2 (सल्फर डाइऑक्साइड) मनुष्य में श्वसन रोगों जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, वातस्फीति का कारण बनता है।

प्रदूषक पदार्थों के कारण होने वाली समस्याएं

जब ये प्रदूषक पानी में मिल जाते हैं तो यह उपयोग योग्य पानी को प्रदूषित कर देते हैं । इस तरह के पानी का उपयोग करने के कारण, हमें कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे त्वचा में संक्रमण, लिवर का ठीक से काम न करना, किडनी में पथरी और कुछ गंभीर बीमारियाँ। जब ये प्रदूषक तत्व हवा में मिलते हैं, तो वातावरण का वायु सूचकांक ख़राब कर देते हैं। इस प्रकार का वातावरण जीवित प्राणियों के लिये उपयुक्त नहीं है। इस तरह के प्रदूषण से सांस या दिल से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं।


अब आधुनिक काल में, एक अन्य प्रकार के प्रदूषण रेडियोधर्मी प्रदूषण का खतरा भी बढ़ रहा है। रेडियोधर्मी पदार्थ का प्रयोग सैन्य रक्षा के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में और परमाणु रिएक्टरों में किया जाता है। रेडियोधर्मी प्रदूषण रेडियोधर्मी कचरे को भूमि, वायु, पानी आदि में छोड़ने से होता है। ये अपशिष्ट वातावरण में लगातार हानिकारक परमाणु विकिरण उत्सर्जित करते हैं।