विषमांगी उत्प्रेरण

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जब किसी रासायनिक अभिक्रिया की गति किसी पदार्थ की उपस्थिति से या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है तो इसे "उत्प्रेरण" कहते हैं। जिस पदार्थ की उपस्थिति से अभिक्रिया की गति बढ़ती है या कम होती है उसे उत्प्रेरक कहते हैं। उत्प्रेरक कभी अभिक्रिया में भाग नहीं लेता, केवल अभिक्रिया की गति को प्रभावित करता है। दूसरे शब्दों में वो रासायनिक पदार्थ जिसकी उपस्थिति के कारण रासायनिक अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है या कम हो जाती है लेकिन वह स्वयं रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेता है उसे उत्प्रेरक कहते है और इस प्रक्रिया को उत्प्रेरण कहते है।

उत्प्रेरण के प्रकार

अवस्था के आधार पर उत्प्रेरक

अवस्था के आधार पर उत्प्रेरक दो प्रकार होते हैं:

  • समांगीय उत्प्रेरक
  • विषमांगी उत्प्रेरक

विषमांगी उत्प्रेरक

जबकि विषमांगी उत्प्रेरण में, उत्प्रेरक और अभिकारकें दोनों की भौतिक स्थिति अलग-अलग होती हैं।

उदाहरण

हैबर विधि में सूक्ष्म रूप से विभाजित आयरन की उपस्थिति में अमोनिया बनाने के लिए नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के बीच संयोजन किया जाता है।

निकल चूर्ण उत्प्रेरक की उपस्थिति में वनस्पति तेलों का हाइड्रोजनीकरण।

ओस्टवाल्ड प्रक्रिया में उत्प्रेरक के रूप में प्लैटिनम गॉज की उपस्थिति में अमोनिया का नाइट्रिक ऑक्साइड में ऑक्सीकरण।

अभिकारक गैसीय अवस्था में होते हैं जबकि उत्प्रेरक ठोस अवस्था में।

सल्फ्यूरिक अम्ल के निर्माण के लिए संपर्क प्रक्रिया में उत्प्रेरक के रूप में प्लैटिनम धातु या वैनेडियम पेंटोक्साइड की उपस्थिति में सल्फर डाइऑक्साइड का सल्फर ट्राइऑक्साइड में ऑक्सीकरण।

अभिकारक गैसीय अवस्था में होते हैं जबकि उत्प्रेरक ठोस अवस्था में होते हैं।