संवेग संरक्षण

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Conservation of momentum

संवेग संरक्षण का सिद्धांत कहता है कि एक बंद प्रणाली में, जब कोई बाह्य बल नहीं होता है, तो कुल गतिमान बदलाव का अवशिष्ट रहता है। इसका अर्थ है कि किसी घटना (जैसे संक्षेपण या विस्फोट) के पहले और उसके बाद का कुल गतिमान समान होता है।

अब यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझें जो संवेग संरक्षण से संबंधित हैं:

  1. व्यक्तिगत गतिमान: प्रत्येक वस्तु अपना व्यक्तिगत गतिमान रखती है जिसे हम प्राकृतिक अवस्था कहते हैं। इस गतिमान को मानचित्रित करने के लिए हम गति (p) = मास (m) × वेग (v) का उपयोग करते हैं।
  2. प्रणाली का कुल गतिमान: एक प्रणाली का कुल गतिमान उस प्रणाली में शामिल सभी वस्तुओं के गतिमान का योग होता है। प्रणाली के किसी भी स्थिति में, जब कोई बाह्य बल प्रभाव नहीं करता है, तो प्रणाली का कुल गतिमान संरक्षित रहता है।
  3. संवेग बदलाव: यदि कोई बाह्य बल एक प्रणाली पर प्रभाव डालता है, तो गतिमान में बदलाव हो सकता है। इसका मतलब है कि एक वस्तु का गतिमान बदलता है जब उसे एक बाह्य बल प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, दो वस्तुओं के बीच संक्षेपण होने पर, एक वस्तु का गतिमान बदलता है और दूसरी वस्तु का गतिमान विपरीत दिशा में बदलता है। हालांकि, जब तक कि कुल प्रणाली पर कोई बाह्य बल नहीं होता है, तब कुल गतिमान संरक्षित रहता है।

संवेग संरक्षण का सिद्धांत हमें विभिन्न विज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में बड़ी घटनाओं की व्याख्या और पूर्वानुमान करने में मदद करता है, जैसे कि संक्षेपण, विस्फोट, वाहनों में सुरक्षा सुविधाओं का निर्माण, इत्यादि ।