नाइट्रिक अम्ल

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नाइट्रोजन ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके बहुत से नाइट्रोजन ऑक्साइड बनाती है। नाइट्रोजन ऑक्साइड +1 से +5 तक विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थायें प्रदर्शित करते हैं। उच्च ऑक्सीकरण अवस्था वाले नाइट्रोजन के ऑक्साइड निम्न ऑक्सीकरण अवस्था वाले ऑक्साइड की तुलना में अधिक अम्लीय होते हैं। नाइट्रोजन ऑक्साइड ईधन जैसे डीजल या कोयले के दहन से प्रदूषित धुएँ का मुख्य अवयव है। यह नाम NO, NO2 तथा अन्य कई गैसों को सम्मिलित रूप से दिया जाता है जो प्रदूषक हैं और अम्लीय वर्षा को जन्म देती हैं। ह पेट्रोल, डीजल, कोयले को जलाने से उत्पन्न होती है और बिजली कड़कने से समय आसमान में भी बनती है। यह गैस बच्चों को, सर्दियों में साँस की बीमारियों के प्रति, संवेदनशील बनाती है।

नाइट्रोजन H2N2O2 हाइपो नाइट्रस अम्ल, HNO2 नाइट्रस अम्ल, HNO3 नाइट्रिक अम्ल जैसे ऑक्सो अम्ल बनाता है। इनमें HNO3 सबसे अधिक महत्वपूर्ण तत्व है।

विरचन

प्रयोगशाला में, नाइट्रिक अम्ल, काँच के रिटार्ट में सांद्र H2SO4 तथा NaNO2 अथवा KNO3 को गर्म करके प्राप्त किया जाता है।

उद्योगों में नाइट्रिक अम्ल बनाने की ओस्टवाल्ड विधि है।

ओस्टवाल्ड विधि

यह विधि अमोनिया (NH3) के वायुमंडलीय ऑक्सीजन की उपस्थित में ऑक्सीकरण करने पर प्राप्त होती है।

इस प्रकार निर्मित नाइट्रिक ऑक्साइड ऑक्सीजन के साथ संयोग करके NO2 देती है।

निर्मित नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जल में घुलकर HNO3 बनती है।

गुण

  • यह एक रंगहीन द्रव है।
  • इसका विशिष्ट घनत्व 1.504 होता है।
  • इसकी संरचना समतलीय है।

रासायनिक गुण

सान्द्र नाइट्रिक अम्ल प्रबल ऑक्सीकारक है तथा सोना एवं प्लेटिनम जैसी उत्कृष्ट को छोड़कर अधिकतर धातुओं के साथ अभिक्रिया करता है। आक्सीकरण के उत्पाद अम्ल की सांद्रता, ताप तथा आक्सीकृत होने वाले पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।

ज़िंक तनु नाइट्रिक अम्ल के साथ क्रिया करने पर N2O तथा सांद्र अम्ल के साथ देता है।