अणुसंख्य गुणधर्म
रसायन विज्ञान में, अणुसंख्य गुणधर्म विलयनों के उन गुणधर्मों को कहते हैं जो विलयन में उपस्थित विलेय की संख्या पर निर्भर करतें है। उदाहरण के लिए, 'वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन' एक अणुसंख्य गुण है।
जब एक अवाष्पशील विलेय विलायक में डाला जाता है तब विलयन का वाष्पदाब घटता है। ऐसे अनेक गन है जो विलयन के वाष्पदाब के अवनमन से सम्बंधित हैं। वो कुछ इस प्रकार हैं:
- विलायक के वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन
- विलायक के हिमांक का अवनमन
- विलायक के कथ्नांक का उन्नयन
- विलयन का परासरण दाब
उपरोक्त सभी गुण विलयन में उपस्थित कुल कणों की संख्या तथा विलेय कणों की संख्या के अनुपात पर निर्भर करता है न की विलेय कणों की प्रकृति पर निर्भर करता है। इसे ही अणुसंख्य गुणधर्म कहा जाता है।
वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन
राउल्ट के नियम से वाष्पदाब का अवनमन केवल विलेय कणों के सांद्रण पर निर्भर करता है, उसकी प्रकृति पर निर्भर नहीं करता है। जब किसी द्रव विलायक में कोई अवाष्पशील पदार्थ घोलते हैं तो विलायक का वाष्पदाब कम हो जाता है, अर्थात किसी विलयन का वाष्प दाब हमेशा शुद्ध विलायक के वाष्प दाब से कम होता है। विलयन का वाष्प दाब विलयन के वाष्प दाब के कारण होता है।
....................................................................(2.22)
विलायक के वाष्पदाब में अवनमन, को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है -
....................................................................(2.23)
अतः
....................................................................(2.24)
जब किसी विलयन में एक से अधिक अवाष्पशील विलेय होते हैं, उसके वाष्पदाब का अवनमन विलेयों के मोल प्रभाज पर निर्भर करता है।
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राउल्ट का नियम
राउल्ट ने अवाष्पशील पदार्थों के द्रव विलायकों में विलयनों के वाष्प दाब अवनमन पर अनेक प्रयोग किये और उनसे जो परिणाम प्राप्त हुए उनसे राउल्ट ने अपना नियन प्रस्तुत किया।
"राउल्ट के नियम के अनुसार, वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन विलयन में विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है।"
यदि समान ताप पर शुद्ध विलायक और विलयन का वाष्प दाब क्रमशः P0 और Ps है, और विलयन में विलेय और विलायक के मोलों की संख्या क्रमश: n और N है।
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....................................................................(2.27)
....................................................................(2.28)
जहां और तथा और क्रमशः विलायक और विलेय की मात्रा और मोलर द्रव्यमान हैं।
क्वथनांक उन्नयन
किसी पदार्थ के हिमांक को उस ताप के रूप में परिभाषित किया जाता है जिस पर ताप पर उसके द्रव का वाष्प दाब संबंधित ठोस के वाष्प दबाव के बराबर होता है। चूँकि एक गैर-वाष्पशील विलेय को मिलाने से विलायक का वाष्प दबाव हमेशा कम हो जाता है, इसलिए, यह निम्न दाब पर और इसलिए कम तापमान पर ठोस अवस्था के साथ साम्यावस्था में होगा।
क्वथनांक उन्नयन = विलयन का क्वथनांक - विलयन का क्वथनांक
तनु विलयनों के लिए राउल्ट के नियम से,
शुद्ध विलायक के लिए, और स्थिरांक हैं। इसलिए,
.............(1)
जहाँ, K एक स्थिरांक है, जिसे क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक कहते हैं।
जब = 1 (एक मोल विलेय) और = 1 ग्राम
इस प्रकार, क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक क्वथनांक बिंदु के उन्नयन के बराबर होता है जो सैद्धांतिक रूप से तब उत्पन्न होता है जब एक गैर-वाष्पशील विलेय का एक मोल 1 ग्राम विलायक में घुल जाता है।
यदि और
K' = आणविक क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक
K = 100 K'
यदि और मोलल क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक
(मोलल क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक )
इसे 1000 ग्राम विलायक में 1 मोल विलेय घोलने पर उत्पन्न क्वथनांक उन्नयन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
अतः
हिमांक अवनमन
किसी पदार्थ के हिमांक को उस तापमान के रूप में परिभाषित किया जाता है जिस पर ताप पर उसके द्रव का वाष्प दाब संबंधित ठोस के वाष्प दबाव के बराबर होता है। चूँकि एक गैर-वाष्पशील विलेय को मिलाने से विलायक का वाष्प दबाव हमेशा कम हो जाता है, इसलिए, यह निम्न दाब पर और इसलिए कम तापमान पर ठोस अवस्था के साथ साम्यावस्था में होगा। शुद्ध विलायक और उसके विलयन के हिमांक बिंदु के बीच के अंतर को हिमांक अवनमन कहा जाता है।
हिमांक अवनमन = विलायक का हिमांक - विलयन का हिमांक
तनु विलयनों के लिए राउल्ट के नियम से,
शुद्ध विलायक के लिए, और स्थिरांक हैं। इसलिए,
.............(1)
जहाँ, K एक स्थिरांक है, जिसे हिमांक अवनमन स्थिरांक कहते हैं।
जब = 1 (एक मोल विलेय) और = 1 ग्राम
इस प्रकार, अवनमन स्थिरांक हिमांक बिंदु के अवनमन के बराबर होता है जो सैद्धांतिक रूप से तब उत्पन्न होता है जब एक गैर-वाष्पशील विलेय का एक मोल 1 ग्राम विलायक में घुल जाता है।
यदि और
K' = आणविक हिमांक अवनमन स्थिरांक
K = 100 K'
यदि और मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक
(मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक )
इसे 1000 ग्राम विलायक में 1 मोल विलेय घोलने पर उत्पन्न हिमांक अवनमन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
अतः
अभ्यास प्रश्न
- क्वथनांक उन्नयन से क्या तात्पर्य है?
- 240 ग्राम पानी में 10.8 ग्राम ग्लूकोज (m.w = 180) घोलने पर इसका क्वथनांक 0.13 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ जाता है। पानी के आणविक उन्नयन स्थिरांक की गणना करें।
- हिमांक अवनमन से क्या तात्पर्य है?
- 55 ग्राम CH3COOH में घुले 1.355 ग्राम पदार्थ ने 0.618 डिग्री सेंटीग्रेड के हिमांक में अवनमन उत्पन्न किया। पदार्थ के आणविक भार की गणना करें