हैबर विधि

From Vidyalayawiki

Revision as of 12:06, 11 December 2023 by Shikha (talk | contribs) (added Category:Vidyalaya Completed using HotCat)

Listen

इस विधि में शुद्ध नाइट्रोजन और हाइड्रोजन 1 : 3 के अनुपात में कम्प्रेसर द्वारा  मिश्रण को गर्म किया जाता है तो अमोनिया गैस प्राप्त होती है। यह एक ऊष्माक्षेपी उत्क्रमणीय अभिक्रिया है और इस अभिक्रिया के पश्चात् आयतन(Volume) में कमी होती है, इसलिए ला-शातेलिए के नियमानुसार कम ताप और अधिक दाब पर अमोनिया गैस प्राप्त होती है। कम ताप पर अभिक्रिया का वेग बढ़ाने के लिए एक उत्प्रेरक प्रयोग किया जाता है। इस अभिक्रिया का उत्प्रेरक की उपस्थिति में अनुकूलतम ताप 450°-500°C तथा उच्च दाब 200 वायुमण्डल है। इस अभिक्रिया में लोहे का बारीक चूर्ण उत्प्रेरक के रूप में प्रयोग किया जाता है तथा उत्प्रेरक वर्धक मॉलिब्डेनम की सूक्ष्म मात्रा प्रयुक्त होती है।

विधि

शुद्ध N2 तथा H2 को 1 : 3 अनुपात में मिलाकर 200 वायुमण्डल दाब पर रक्त तप्त लोहे के बारीक चूर्ण जो की उत्प्रेरक का कार्य करता है, जिसमें मॉलिब्डेनम उत्प्रेरक वर्धक की तरह कार्य करता है, 500°C ताप पर गर्म करते हैं। इस विधि में 10 – 15% अमोनिया बनती है, जिसे संघनित्र में प्रवाहित करके द्रवित कर लेते हैं। शेष गैसों को फिर से उत्प्रेरक कक्ष में प्रवाहित करते हैं जिससे N2 तथा H2 के संयोजन द्वारा NH3 का निर्माण होता है।

रासायनिक गुण

क्षारीय गुण

अमोनिया क्षारीय गैस है जो लाल लिटमस को नीला कर देती है। यह अम्लों से अभिक्रिया करके लवण बनाती है।

अमोनिया की सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया करने पर अमोनियम सल्फेट प्राप्त होता है।

अपचयन

अमोनिया गैस धातु ऑक्साइडों को अपचयित कर देती है।

उपयोग

  • प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
  • यह प्रशीतक के रूप में भी उपयोग की जाती है।
  • कृत्रिम रेशे बनाने में इसका उपयोग होता है।