चालक स्थिरवैद्युतिकी

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Electrostatics of conductor

चालक स्थिरवैद्युतिकी (इलेक्ट्रोस्टैटिक्स),स्थिर अवस्था में विद्युत आवेशों का अध्ययन है। चालक (कंडक्टर) वे सामग्रियां हैं, जो इलेक्ट्रॉनों को एक कण से दूसरे कण में स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होने देती हैं। इसका तात्पर्य यह है कि जब किसी चालक को आवेशित किया जाता है, तो आवेश पूरे चालक में घूमने के लिए तब तक स्वतंत्र हो जाते हैं, जब तक कि वे (आवेश संकाय) समान रूप से वितरित न हो जाएं।

मूल सिद्धांत

चालकों का स्थिरवैद्युतिकी निम्नलिखित सिद्धांतों द्वारा नियंत्रित होता है:

  • किसी चालक के अंदर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है।
  • ऐसा इसलिए है क्योंकि चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉन इस तरह से चलायमान होते हैं कि विद्युत क्षेत्र निरस्त हो जाता है।
  • किसी चालक की सतह एक समविभव सतह होती है। इसका तात्पर्य यह है कि चालक की सतह पर सभी बिंदुओं की क्षमता समान है।

किसी चालक पर आवेश उसकी सतह पर रहता है। इसका कारण यह है कि चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉन चालक की सतह की ओर आकर्षित होते हैं, जहां वे चालक के विद्युत क्षेत्र द्वारा अपनी जगह पर बने रहते हैं।

महत्वपूर्ण परिणाम व उदाहरण

इन सिद्धांतों के कई महत्वपूर्ण परिणाम हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी आवेशित वस्तु को किसी चालक के पास लाया जाता है , तो चालक पर आवेश स्वयं को पुनर्वितरित कर देते हैं , जिससे चालक के अंदर विद्युत क्षेत्र शून्य हो जाता है। इसका तात्पर्य ,यह है कि चालक को छूने पर प्रघात का अनुभव नहीं होगा।

इन सिद्धांतों का एक और परिणाम यह है कि किसी चालक की धारिता उसके सतह क्षेत्र के सीधे आनुपातिक होती है।

अतिरिक्त गुण

यहां चालकों के कुछ अतिरिक्त गुण दिए गए हैं:

  • विद्युत क्षेत्र रेखाएं सर्वथा किसी चालक की सतह के लंबवत होती हैं।
  • चालक पर चार्ज सर्वथा वितरित किया जाता है ताकि सतह पर सभी बिंदुओं पर क्षमता समान हो।
  • किसी चालक की धारिता संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है।