गलनांक

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ठोस पदार्थ में परमाणु बहुत पास-पास होते हैं ये आपस में अन्तराणुक आकर्षण बल द्वारा जुडे रहते हैं ठोसों में रिक्त स्थान भी अत्यधिक कम होता है। ठोस पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें उसका आयतन और आकार दोनों निश्चित होते हैं। ठोस कणों के बीच बल इतने मजबूत होते हैं कि उनके घटक कण (परमाणु/अणु/आयन) किसी भी प्रकार की स्थानांतरण गति नहीं कर सकते हैं (हालांकि कंपन और घूर्णी गति हो सकती है) है। और इस कारण से आकार में निश्चित होते हैं और जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसका आकार नहीं लेते हैं। जैसे जैसे ठोस का तापमान बढ़ता जाता है उसके कणों की गतिज ऊर्जा भी बढ़ती जाती है गतिज ऊर्जा में वृद्धि के साथ ठोस के कण अधिक तेजी से कम्पन करने लगते हैं जिस कारण कण अपना स्थान छोड़कर अधिक स्वतंत्र होकर गति करने लगते हैं, एक अवस्था ऐसी आ जाती है, जब ठोस पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाता है। वह ताप जिसपर ठोस पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाता है वह ताप उसका गलनांक कहलाता है ठोस के अणुओं के बीच में लगने वाला आकर्षण बल जितना प्रबल होगा उसका गलनांक उतना ही ज्यादा होगा।

किसी ठोस का गलनांक उसके कणों के बीच आकर्षण बल की शक्ति को दर्शाता है।