मेंडलीफ की आवर्त सारणी
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मेंडलीफ की आवर्त सारणी में धातु और अधातुओं को अलग-अलग स्थान नहीं दिया गया है। समान गुणों वाले तत्वों को एक ही स्थान पर तथा असमान गुणों वाले तत्वों को अलग-अलग स्थानों पर रखा गया। इस सारणी में समस्थानिकों को कोई स्थान नहीं दिया गया। आवर्त सारणी में कहीं-कहीं पर तत्वों के परमाणु भारो का क्रम ठीक नहीं है।1869 में रूस के रसायनशास्त्री मेंडलीफ ने तत्वों के वर्गीकरण करने का प्रयास किया और एक आवर्त सारणी तैयार की। इस सारणी को मेंडलीफ की आवर्त सारणी कहा जाता है।
मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विसेस्ताएं
- मेंडलीव की आवर्त सारणी के वर्तमान स्वरूप में 9 वर्ग है तथा नवा वर्ग “शून्य वर्ग” या जीरो ग्रुप कहलाता है।
- आवर्त सारणी में उपस्थित क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहा गया।
- आवर्त सारणी में उपस्थित ऊर्ध्वाधर पंक्तियों को वर्ग कहा गया।
- पहले आवर्त में केवल दो तत्व (H, He) रखें गए इसे “अतिलघु आवर्त” कहते हैं।
- दूसरे तथा तीसरे आवर्त में आठ-आठ तत्व है इसे “लघु आवर्त” कहते है।
- चौथे तथा पांचवे आवर्त में बत्तीस तत्व है इसे “दीर्घ आवर्त” कहते हैं।
- छठे आवर्त में 32 तत्व हैं इसे “अतिदीर्घ आवर्त” कहते है।
- मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में आठ वर्ग हैं, और नवां वर्ग में उत्कृष्ट गैसे आती हैं।
मेंडलीफ आवर्त सारणी के दोष
- लैंथेनाइड व एक एक्टिनाइड को आवर्त सारणी में कोई उपयुक्त स्थान नहीं मिल पाया।
- मेंडलीफ ने हाइड्रोजन के गुणों के आधार पर हाइड्रोजन को क्षार धातु और हैलोजन को दोनों उप वर्गों में स्थान दिया।
- समस्थानिक के परमाणु भार भिन्न भिन्न होने पर भी उन्हें एक ही स्थान पर रखा गया।