सार्थक अंक
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दो अशून्य अंकों के बीच आने वाला शून्य भी एक सार्थक अंक होता है। संख्या के आरम्भ में आने वाले शून्य कभी भी सार्थक नहीं होते। शमल बिन्दु से युक्त किसी संख्या में, अन्तिम अशून्य अंक के बाद आने वाले सभी शून्य सार्थक होते हैं।
किसी भौतिक राशि के शुद्ध मापन को व्यक्त करने के लिए जिन अंको का प्रयोग किया जाता है उन अंको को सार्थक अंक कहते है।
उदाहरण
मान लीजिये हमें 4.0035 मीटर लम्बाई की एक रस्सी लेनी है , इसमें अज़गर हम देखें तो सार्थक अंक पाँच मिलेंगे। अगर हम किसी से कहे की सार्थक अंक 4 तक लम्बाई का मापन करना है तो इसका मान 4.003 हो जायेगा , अब हम देख सकते है की दोनों राशियों में अंतर आ गया जिससे इसके मापन में त्रुटि हो सकती है । इसलिए मापन के साथ यह भी बताना आवश्यक है की इसमें कितने सार्थक अंक तक मापन किया गया है या किया जायेगा जिससे मापन ठीक प्रकार से लिखा जा सके।