साबुनीकरण

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साबुनीकरण साबुन बनाने की एक प्रक्रिया है। साबुन लंबी श्रृंखला वाले वसा अम्ल के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। साबुनीकरण के दौरान, एस्टर ,एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक क्षार के साथ अभिक्रिया करता है। साबुनीकरण साबुन बनाने की एक प्रक्रिया है। साबुन लंबी श्रृंखला वाले वसा अम्ल के सिर्फ पोटेशियम या सोडियम लवण होते हैं। साबुनीकरण के दौरान, एस्टर ,एलकोहॉल और साबुन का उत्पादन करने के लिए वसा अम्ल एक अकार्बनिक क्षार के साथ अभिक्रिया करता है।

सामान्यतः, यह तब होता है जब ट्राइग्लिसराइड्स पोटेशियम या सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ ग्लिसरॉल और वसा अम्ल के लवण का उत्पादन करने के लिए अभिक्रिया करता है, जिसे 'साबुन' कहा जाता है।

त्वचा की सतह सहित वस्तुओं से गंदगी और तेल को साफ करने के लिए साबुन आवश्यक हैं। नहाने, सफाई करने, कपड़े धोने और अन्य घरेलू कामों में साबुन का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। एस्टर की हाइड्रोलिसिस NaOH या KOH की उपस्थित में करने पर वसा अम्ल के सोडियम और पोटेशियम लवण तथा साथ में अल्कोहल तथा अम्ल प्राप्त होते है।


साबुन बनाने की प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।

ट्राइग्लिसराइड्स सामान्यतः पशु वसा और वनस्पति तेल होते हैं। जब वे सोडियम हाइड्रॉक्साइड या पोटैसियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया करते हैं, तो साबुन प्राप्त होता है। सोडियम से प्राप्त साबुन कठोर होता है। यहीं पर पोटेशियम से प्राप्त साबुन मृदु साबुन होता है।

समीकरण को इस प्रकार लिखा जा सकता है:

एस्टर + क्षार —————> एल्कोहल + साबुन

साबुन के अणु लम्बी श्रंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम एवं पोटेसियम लवण होते हैं।  साबुन का आयनिक भाग जल से कर्बनिक श्रंखला तेल से पारस्परिक क्रिया करती है। इस प्रकार साबुन के अणु मिसेली संरचना तैयार करते हैं जहाँ अणु का एक सिरा तेल कण की ओर तथा आयनिक सिरा बाहर की ओर होता है इससे जल में इमल्शन बन जाता है। इस प्रकार साबुन का मिसेल मैल को जल बाहर निकलने में मदद करता है और कपड़े साफ़ हो जाते हैं। साबुन के अणु ऐसे होते हैं। जिनके दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न होते हैं। साबुन का वह सिरा जो जल में विलेय होता है उस सिरे को जलरागी कहते हैं तथा वह सिरा जो जल में अविलेय होता है उसे जलविरागी कहते हैं। जब जल साबुन की सतह पर होता है तब उसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं की इसका एक सिरा जल के अंदर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन का दूसरा सिरा जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। इसमें अणुओं का एक बड़ा गुच्छा बनता है। जलविरागी भाग आंतरिक हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस प्रकार जो संरचना प्राप्त होती है उसे मिसेल कहते हैं।

वे पदार्थ जो कम सांद्रता पर प्रबल वैधुत अपघट्यों के समान व्यवहार करते हैं , लेकिन उच्च सांद्रताओं पर ये कणों का एक पुंज बनाते हैं यह पुंज बनने के कारण ये कोलॉइड के समान व्यवहार करते हैं। इस प्रकार के पुंजित कण मिसेल कहलाते हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • साबुन के दोनों सिरों के गुणधर्म भिन्न भिन्न क्यों होते हैं?
  • मिसेल किसे कहते हैं? यह किस प्रकार बनते हैं।
  • साबुनीकरण क्या है ? अभिक्रिया दीजिये।
  • वसा अम्ल के सोडियम लवण को क्या कहते हैं ?