समस्थानिक एवं समभारिक
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वे पदार्थ जिनके परमाणु क्रमांक सामान लेकिन परमाणु भार भिन्न-भिन्न होते हैं समस्थानिक कहलाते हैं, या इसे इस प्रकार भी बोला जा सकता है कि वे तत्व जिनमे प्रोट्रानों की संख्या सामान होती है, किन्तु न्यूट्रानों की संख्या भिन्न्न भिन्न होती है समस्थानिक कहलाते हैं।
जैसे- 1H1 प्रोटियम
1H2 ड्यूटिरियम
1H3 ट्राइटियम
संख्या | प्रोटियम 1H1 | ड्यूटिरियम 1H2 | ट्राइटियम 1H3 |
---|---|---|---|
प्रोटॉन की संख्या | 1 | 1 | 1 |
न्यूट्रॉन की संख्या | 0 | 1 | 2 |
द्रव्यमान संख्या | 1 | 2 | 3 |
समस्थानिक का दूसरा उदाहरण है:
कार्बन 6C12 और 6C14
क्लोरीन 17Cl35 और 17Cl37
इन उदाहरणों के आधार पर समस्थानिकों को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं "एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान संख्या भिन्न भिन्न होती है।"
समस्थानिकों के गुण
- समस्थानिकों के परमाणु क्रमांक समान होने के कारण इनके रासायनिक गुण भी समान होते हैं।
- समस्थानिकों के परमाणु क्रमांक, परमाणु संख्या, प्रोटॉनों की संख्या समान होती है।
- किसी तत्व के सभी समस्थानिक आवर्त सारणी में एक ही स्थान ग्रहण करते है।
- हाइड्रोजन ही एकमात्र ऐसा तत्व है जिसके सभी समस्थानिकों के अलग-अलग नाम है।
समस्थानिकों के उपयोग
- आर्सेनिक-74 जोकि आर्सेनिक का ही एक समस्थानिक है इसका उपयोग शरीर में उपस्थित टयूमर का पता लगाने में किया जाता है।
- आयोडीन के समस्थानिक I-131 का उपयोग ब्रेन टयूमर, थयरॉइड कैंसर, घेंघा रोग इत्यादि बीमारियों के उपचार में किया जाता है।
- ड्यूटिरियम जोकि हाइड्रोजन का समस्थानिक है इसका उपयोग परमाणु भट्टी में मंदक के रूप में किया जाता है।
- सेलेनियम के समस्थानिक सेलेनियम-75 का प्रयोग जीव विज्ञान में प्रोटीन का अध्यन करने के लिए किया जाता है।
- यूरेनियम के समस्थानिक U-235 का प्रयोग नाभिकीय ईधन, नौसेना ईधन में किया जाता है।
समभारिक
समभारी ऐसे तत्व हैं जो रासायनिक गुणों में भिन्न होते हैं लेकिन भौतिक गुण समान होते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि समभारिक वे तत्व हैं जिनकी परमाणु संख्या भिन्न होती है लेकिन द्रव्यमान संख्या समान होती है। इसके विपरीत, समस्थानिक वे तत्व होते हैं जिनकी परमाणु संख्या समान होती है और द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है। रासायनिक तत्वों के वे परमाणु जिनका परमाणु भार समान परन्तु परमाणु क्रमांक भिन्न होता है, समभारिक कहलाते हैं। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की संख्या का योग मिलकर परमाणु द्रव्यमान बनाता है। इसलिए, हम यह भी कह सकते हैं कि नाभिक में मौजूद न्यूक्लियंस की संख्या परमाणु के परमाणु द्रव्यमान के बराबर होती है। इसमें समान संख्या में न्यूक्लियॉन होंगे।
उदाहरण
28Ni58, 26Fe58
संख्या | 28Ni58 | 26Fe58 |
---|---|---|
प्रोटॉन की संख्या | 28 | 26 |
न्यूट्रॉन की संख्या | 30 | 32 |
द्रव्यमान संख्या | 58 | 58 |
लोहा और निकल आपस में समभारिक हैं। आयरन और निकल की परमाणु संख्या क्रमशः 26 और 28 है। हालाँकि, द्रव्यमान संख्या 58 है।
18Ar40 19K40, 20Ca40 आपस में समभारिक हैं।
संख्या | 18Ar40 | 19K40 | 20Ca40 |
---|---|---|---|
प्रोटॉन की संख्या | 18 | 19 | 20 |
न्यूट्रॉन की संख्या | 22 | 21 | 20 |
द्रव्यमान संख्या | 40 | 40 | 40 |
समभारिक शब्द की उत्पत्ति
क्या आप जानते हैं कि आइसोबार को मूल रूप से "आइसोबार" कहा जाता था? आइसोबार अलग-अलग रासायनिक तत्वों के परमाणु या न्यूक्लाइड होते हैं जिनमें समान संख्या में न्यूक्लियॉन (प्रोटॉन + न्यूट्रॉन) होते हैं। यह नाम 1918 में अल्फ्रेड वाल्टर स्टीवर्ट द्वारा दिया गया था। यह मूल रूप से ग्रीक शब्दों के संयोजन से लिया गया है- आइसोस का मतलब बराबर और बार का मतलब वजन होता है।
समभारिकों के गुण
- समभारिकों के परमाणु क्रमांक समान होने के कारण इनके रासायनिक गुण भी भिन्न होते हैं।
- समभारिकों के परमाणु क्रमांक, परमाणु संख्या, प्रोटॉनों की संख्या भिन्न होती है।
- किसी तत्व के सभी समस्थानिक आवर्त सारणी में एक ही स्थान ग्रहण करते है। लेकिन समभारिक भिन्न भिन्न स्थान ग्रहण करते हैं।
- हाइड्रोजन ही एकमात्र ऐसा तत्व है जिसके सभी समस्थानिकों के अलग-अलग नाम है।
अभ्यास प्रश्न
- निम्न में से कौन-कौन समस्थानिक हैं?
6C12 6C13 7C13 और 6C14
- नीचे दी गई तालिका को पूर्ण कीजिए।
संख्या | 6C12 | 6C14 |
---|---|---|
प्रोटॉन की संख्या | ||
न्यूट्रॉन की संख्या | ||
द्रव्यमान संख्या |