डार्क मैटर(Dark matter)

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विज्ञान की दुनिया में आपने एक शब्द तो बहुत सुना होगा वह है "मैटर" जो भी हमें दिखाई दे रहा है वह मैटर है, और अब एक नये शब्द के बारे में जानकारी मिली है जिसे बोला जाता है "डार्क मैटर" डार्क मैटर एक प्रकार का पदार्थ है, जिसे ब्रह्मांड में बहुत अधिक द्रव्यमान के लिए जिम्मेदार माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार डार्क मैटर के विषय में अभी ज्यादा खोज नहीं हुई है, वैज्ञानिक लगातार डार्क मैटर की खोज में लगे हुए हैं। आज तक यह रहस्य ही है कि डार्क मैटर किस चीज़ से बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जितनी भी चीज़े हम देख पाते हैं वे पूरे ब्रह्माण्ड का सिर्फ 5% है और 95% हिस्से को हम देख ही नहीं पाते। अंतरिक्ष का 95% भाग डार्क एनर्जी और डार्क मैटर से मिलकर बना है जिसमे पूरे अंतरिक्ष का 27% भाग डार्क मैटर है और 68% भाग डार्क एनर्जी है। वैज्ञानिकों के अनुसार डार्क मैटर और डार्क एनर्जी ही वह एक कणी है जिसके कारण पूरा ब्रह्माण्ड क्रम बध्य ढंग से बंधा हुआ है अब प्रश्न ये उठता है कि आखिर ये डार्क मैटर दिखाई क्यों नहीं देते, डार्क मैटर ऐसे पदार्थों से मिलकर बना है जो ना तो प्रकाश उत्सर्जित करते हैं और न ही अवशोषित करते हैं।

डार्क मैटर का इतिहास

1933 में स्विस खगोल भौतिक वैज्ञानिक फ्रिट्ज ज्विकी ने आकाशगंगीय समूहों के अध्यन के दौरान डार्क मैटर की उपस्थित का अनुमान लगाया। 1939 में अमेरिकन खगोल शास्त्री होरास बेब्काक ने अपने द्वारा की गई आकाशगंगा घूर्णन गति की गणना को दर्शाने वाले आलेख के आधार पर डार्क मैटर की उपस्थित के प्रमाण दिए। वेरा रूबिन और केंट हार्ड अमेरिकन खगोलशास्त्री वेरा कार्बन के उपकरण निर्माता केंट फोर्ड के साथ 1960 - 1970 के मध्य मिलकर काम किया तथा नए स्पेक्टोग्राफ के प्रयोग से स्पायरल आकाश गंगा की घूर्णन गति का मापन किया उन्होंने पाया कि इस घूर्णन गति की व्याख्या के लिए इन आकाशगंगाओं में दर्शय पदार्थ का छः गुना डार्क मैटर होना चाहिए। डार्क एनर्जी 1998 में प्रकाश में आई जब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के दो समूह अलग-अलग आकाशगंगाओं में तारों (सुपरनोवा) में विस्फोट की प्रक्रिया का अध्ययन कर रहे थे। वैज्ञानिकों ने देखा कि सुपरनोवा की चमक अपेक्षा से कम थी, जिसका अर्थ है कि वे जितना होना चाहिए था उससे अधिक निकट थे। इसका मतलब सिर्फ यह है कि ब्रह्मांड के विस्तार की दर कुछ समय पहले की तुलना में बढ़ गई है। सुपरनोवा के अध्ध्यन से ज्ञात हुआ कि कोई रहस्यमयी बल गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत कार्य कर ब्रह्मांड के विस्तार को गति दे रहा है। पहले तो वैज्ञानिकों को इस प्रयोग के परिणामों पर शक हुआ। वैज्ञानिकों को लगा की सुपरनोवा की प्रकाश दीप्ति गैस या धूल के बादल के कारण कम हो सकती है। लेकिन उन्होंने जब उपलब्ध आँकड़ों को सावधानी पूर्वक जांचा तो पाया कि इन सब के पीछे कोई रहस्यमय बल है, जिसे आज हम डार्क एनर्जी (Dark Energy) के नाम से जानते है।

डार्क मैटर की पहचान

खगोल शास्त्र तथा ब्रह्मांड विज्ञान में डार्क मैटर एक प्रायोगिक आधार पर अप्रमाणित परन्तु गणितीय आधार पर प्रमाणित पदार्थ है। इसकी विशेषता है कि अन्य पदार्थ अपने द्वारा उत्सर्जित विकिरण से पहचाना जा सकता है किन्तु डार्क मैटर अपने द्वारा उत्सर्जित विकिरण से पहचाने नहीं जा सकते, इनके अस्तित्व का अनुमान दृश्यमान पदार्थों पर इनके द्वारा आरोपित गुरत्वीय प्रभावों से किया जाता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि अंतरिक्ष में कुछ तो है लेकिन उसका प्रमाण नही हैं जैसा कि आकाश गंगा में बहुत से तारे हैं अब प्रश्न ये उठता है कि ये  कभी आपस में टकराते नहीं हैं तो इसका एक कारण डार्क एनर्जी है। डार्क एनर्जी उस बल को दिया गया नाम है जिसके बारे में माना जाता है कि यह ब्रह्मांड के विस्तार को गति देता है। दूर की आकाशगंगाएँ तेज़ गति से हमसे दूर जाती हुई दिखाई देती हैं: विचार यह है कि ब्रह्मांड बड़ा हो रहा है और बिग बैंग के बाद से है। मापन अब इतना सटीक है कि खगोलविदों को यह बताने की अनुमति मिलती है कि ये आकाशगंगाएँ हमसे दूर जा रही हैं। ब्रह्मांड एक बढ़ती हुई दर से विस्तार कर रहा है।

डार्क मैटर का संघटन

डार्क मैटर ऐसे कणों से बना है जो प्रकाश को अवशोषित, परावर्तित या उत्सर्जित नहीं करते हैं, इसलिए विद्युत चुम्बकीय विकिरण को देखकर उनका पता नहीं लगाया जा सकता है। डार्क मैटर को प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा जा सकता है। हम जानते हैं कि डार्क मैटर उपस्थित है क्योंकि यह उन वस्तुओं पर प्रभाव डालता है जिन्हें हम सीधे देख नहीं सकते हैं। 1997 में, एक हबल स्पेस टेलीस्कॉप छवि ने छवि के अग्रभूमि में एक अन्य क्लस्टर द्वारा झुके हुए एक दूरस्थ आकाशगंगा समूह से प्रकाश प्रकट किया। जिस तरह से प्रकाश मुड़ा था, उसके आधार पर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि अग्रभूमि क्लस्टर का द्रव्यमान क्लस्टर में दिखाई देने वाले पदार्थ का 250 गुना है। वैज्ञानिकों का मानना है कि क्लस्टर में अस्पष्ट द्रव्यमान के लिए डार्क मैटर जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों का मानना है कि डार्क मटर कुछ यह वस्तुएं हो सकती हैं जैसे कि ठंडी गैसें, काली आकाशगंगाएं, या  ब्लैक होल और ब्राउन ड्वार्फ शामिल। अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि डार्क मैटर अजीब कणों से बना हो सकता है जो बहुत प्रारंभिक ब्रह्मांड में बनाए गए थे। ऐसे कणों में अक्षतंतु, कमजोर रूप से अन्योन्यक्रिया करने वाले बड़े कण (जिन्हें WIMPs कहा जाता है), या न्यूट्रिनो शामिल हो सकते हैं।